NSE, पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और अन्य ने TAP मामला सुलझाया:इसके लिए SEBI को ₹643 करोड़ का पेमेंट करेंगे, फरवरी 2023 में मार्केट रेगुलेटर ने भेजा था नोटिस
ट्रेडिंग एक्सेस प्वाइंट (TAP) के गलत इस्तेमाल के मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), एक्सचेंज के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर व CEO विक्रम लिमये और 8 अन्य लोग एक एग्रीमेंट पर पहुंच गए हैं। NSE और ये लोग इस मामले को निपटाने के लिए मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया को 643 करोड़ रुपए का पेमेंट करेंगे। यह अब तक का सबसे बड़ा सेटलमेंट अमाउंट में से एक है। मामले को तथ्य और कानून के निष्कर्षों को स्वीकार्य या आस्वीकार्य किए बिना एग्रीमेंट के जरिए सुलझाया गया है। इस निपटारे से NSE के IPO का रास्ता साफ हो गया है, जिसका काफी लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है। इस विवाद के कारण ही एक्सचेंज का इनिशियल पब्लिक ऑफर आने में देरी हो रही थी। NSE और लिमये के अलावा मामले का निपटारा करने वालों में उमेश जैन जी.एम. शेनॉय, नारायण नीलकांतन, वी.आर. नरसिम्हन, कमला के, नीलेश तिनेकर, आर नंदकुमार और मयूर सिंधवाड़ शामिल हैं। फरवरी 2023 में SEBI ने भेजा था नोटिस यह मामला फरवरी 2023 में तब सामने आया था जब SEBI ने NSE को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उस नोटिस कहा गया था कि कई ब्रोकरों ने TAP के जरिए सिस्टम में गड़बड़ी पैदा कर लाभ उठाया है और NSE इसे रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने में नाकाम रहा है। NSE के साथ रजिस्टर्ड ट्रेडिंग मैबर्स, NSE ट्रेडिंग सिस्टम के साथ कम्युनिकेशन स्टेबलिश करने के लिए TAP से जुड़े। 2008 में शुरू किया गया था TAP TAP एक ऐसा एप्लिकेशन था जिसे NSE ने फ्रंट-एंड और होस्ट एंड के बीच रखा गया था ताकि फ्रंट-एंड और होस्ट-एंड के बीच सभी संचार इस TAP एप्लिकेशन के माध्यम से हो। यानी शेयर को खरीदने और बेचने के ऑर्डर इसी सॉफ्टवेयर के जरिए प्लेस होते हैं। इस सॉफ्टवेयर को 2008 में शुरू किया गया था। 2016 में डायरेक्ट कनेक्ट नाम से एक नई सर्विस पेश की गई थी NSE ने TPA की शुरुआत ब्रोकर की तरफ से स्टॉक एक्सचेंज को भेजे जाने वाले ऑर्डर की संख्या पर नजर रखने के लिए की थी, ताकि वह उनसे ट्रांजैक्शन फीस वसूल सके। TPA कई सर्वरों से स्टॉक एक्सचेंज को ऑर्डर भेजता था। इस बीच 2013 में SEBI को दी गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि हाई फ्रिक्वेंसी ट्रेडर TEP सॉफ्टवेयर में हेरफेर करते हैं और ट्रांजैक्शन फीस के बिना ही ऑर्डर प्लेस कर देते हैं। SEBI इस मामले की जांच करता रहा और 2016 में TAP के ऑप्शन के तौर पर डायरेक्ट कनेक्ट नाम से एक नई सर्विस पेश की गई थी। इक्विटी सेगमेंट में बिजनेस के लिए डायरेक्ट कनेक्ट का इस्तेमाल सितंबर 2019 तक जारी था। SEBI ने 2017 में जब तब के NSE प्रमुख चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण से जुड़े कोलोकेशन घोटाले की जांच शुरू की, तो TAP के दुरुपयोग के बारे में पता चला।