Friday, March 14, 2025
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CrazXy जैसी फिल्म के लिए एक्टर-डायरेक्टर का क्रेजी होना जरूरी:निर्देशक बोले- सोहम शाह कमाल के अभिनेता, उनकी परफॉर्मेंस ने रुला दिया

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‘तुम्बाड’ फेम एक्टर सोहम शाह की फिल्म CrazXy रिलीज हो गई है। वो फिल्म में नए अवतार में नजर आ रहे हैं। इस फिल्म को गिरीश कोहली ने डायरेक्ट किया है। गिरीश फिल्म ‘क्रेजी’ से अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने ‘मॉम’ और ‘केसरी’ जैसी फिल्मों को लिखा है। फिल्म के प्रोड्यूसर सोहम शाह हैं। ‘क्रेजी’ को फैंस से अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। गिरीश कोहली ने बतौर डायरेक्टर अपनी पहली फिल्म की जर्नी को दैनिक भास्कर से साझा किया है। पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश… सवाल- फिल्म लिखने और बनाने में बहुत लंबा समय लग गया। क्या चुनौतियां रहीं? जवाब- मैंने फिल्म आठ साल पहले लिखी थी। साल 2022 में मैंने फिल्म की शूटिंग शुरू की थी। फिल्म का लास्ट सेग्मेंट 2024 में शूट हुआ है। तो फिल्म बनाने में नहीं लिखने में समय लगा। मेरे लिए सबसे बड़ा चैलेंज रहा कहानी को लंबे समय तक अपने अंदर जिंदा रखने में। पैशन को ठंडा नहीं होने देना, कहानी को कमजोर नहीं होने देना। यूनिट इतनी बड़ी होती है, इतने सारे लोग जुड़े होते हैं, कई डिपार्टमेंट होते हैं तो एक डायरेक्टर की जिम्मेदारी होती है, सेट पर सब लोग मिलकर एक ही पिक्चर बनाए। छोटी-छोटी लड़ाइयां होती हैं, जिनसे हमें लड़ना होता है। बतौर आर्टिस्ट मेरे लिए चुनौती रहती है कि मैं अपने आर्ट से ‘मैं’ को कैसे निकालूं। मैं क्या चाहता हूं या अपनी पसंद थोपने से बचता हूं। फिल्म के लिए क्या जरूरी है, कहानी की मांग क्या है। इन सब पर लगातार काम करना इंटरनली एक चुनौती बन जाता है। अपने फैसले पर टिके रहने चैलेंजिंग था। कभी भी ये नहीं लगा कि वक्त लग रहा है तो मैं इसे छोड़ देता हूं। बाहर से देखिए तो ये एक रोड फिल्म है। सड़क के ऊपर शूट करना बहुत चैलेंजिंग होता है। हमने स्टूडियो में शूट नहीं किया है। कोई VFX शूट नहीं है। हम बस गाड़ी लेकर रोड पर उतर गए। भारत भ्रमण किया है। देश की बहुत सारी सड़कों पर शूटिंग की है। हमने इस फिल्म की शूटिंग मुंबई में नहीं की। फिल्म के लिए जो लैंडस्केप और टेक्सचर चाहिए था, वो मुंबई की सड़कों पर नहीं मिल सकता था। हमारे क्रू में लड़कियां थीं, उनका इस तरह रोड पर शूट करना चैलेंजिंग था। लेकिन उन्होंने बहुत हिम्मत दिखाई है। सवाल- अपनी फिल्म में मिलावट या फेर बदल ना करने का जो फैसला था, उस पर कुछ बताना चाहेंगे? जवाब- मैं इसे मिलावट के तौर पर नहीं देखता। सबका अपना नजरिया होता है और वो उसे सामने रखते हैं। प्रोड्यूसर भी बहुत तेज और जिम्मेदार लोग होते हैं। वो अपनी तरफ से अपना नजरिया रखते हैं, जो उन्हें लगता है कि बेहतर होगा। फिर इस जगह डायरेक्टर का विजन और कन्विक्शन काम आता है। फिर वो बताता है कि इस फिल्म के लिए क्या बेहतर होगा। मेरे सामने भी प्रोड्यूसर की तरफ से कुछ चीजें रखी गई थीं लेकिन कुछ भी बिना कारण नहीं था। उनकी तरफ से सवाल ही थे कि क्या हम ऐसा कर सकते हैं? मैंने सोहम शाह प्रोडक्शन से पहले एक जगह ही इस स्टोरी को पिच किया था लेकिन शायद उन्हें स्टोरी समझ नहीं आई। मैं इस बात को नेगेटिव तौर पर लेता भी नहीं हूं। सवाल- राइटिंग में आपने महारत हासिल की है। कई बड़े प्रोजेक्ट्स आपके नाम हैं। डायरेक्टर डेब्यू के तौर पर आपने इसी फिल्म को क्यों चुना? जवाब- मैंने नहीं चुना। फिल्म आपको चुनती है। मैं तो बस अपना काम करता हूं और लिखते रहता हूं। मैं अपनी हर कहानी को लेकर बहुत पैशनेट और ईमानदार हूं। लेकिन आपको कोई ऐसा मिलना चाहिए, जिसकी वाइब आप से मैच करती हो। अकीरा कुरोसावा एक जापानी फिल्ममेकर थे। उन्होंने किसी इंटरव्यू में कहा था कि एक राइटर-डायरेक्टर या किसी भी क्रिएटर के पास एक नहीं बहुत सारी कहानियां होनी चाहिए। जब आपको प्रोड्यूसर के सामने बैठने का मौका मिले तो आप उन्हें अपनी कहानी सुनाइए। अगर वो पसंद ना आए तो निराश होकर उठिए मत, उन्हें दूसरी कहानी सुनाइए। मुझे उनकी ये बात बहुत सही लगती है। मैं मानता हूं कि आप अपना काम करते रहिए, जब कोई कहानी आपको यूनिक लगे तो उसे लिख दीजिए। सवाल- क्या आपके साथ कभी अकीरा कुरोसावा की कही बात हुई है? जवाब- हां, बिल्कुल। ऐसा तो मेरा सोहम के साथ ही हुआ है। मैंने 10 साल पहले एक कहानी लिखी थी। मुझे लगता है ये मेरी सबसे मजबूत कहानियों में से है। मैंने सोहम के पास उसे पिच किया। सोहम को वो बहुत अच्छी भी लगी और हम दोनों ने चाहा कि हम उसे बनाए। लेकिन उनका प्रोडक्शन हाउस जिस स्टेज पर था, सोहम बतौर एक्टर जिस स्टेज पर थे वो नहीं बन पाई। तब सोहम ने कहा कि ये ना बनाकर कुछ और ट्राई करें? हम दोनों ही एक-दूसरे के साथ काम करना चाहते थे। हमने साथ में एक्सप्लोर करना शुरू किया। ऐसे में ‘क्रेजी’ की कहानी सामने आई। सवाल- आपने फिल्म ‘सत्या’ और ‘इंकलाब’ के गानों को रिक्रिएट किया है। इसका आइडिया कहां से आया? जवाब- देखिए, कल्लू मामा गाना हमेशा से स्क्रिप्ट में था। मुझे लगता है राइटर के लिए लिख देना बहुत आसान है। लेकिन पहले के गाने को सिचुएशन के हिसाब से रिक्रिएट करने में क्रिएटिविटी लगती है। रिक्रिएशन में गाना प्लग इन प्ले या रेट्रोफिटेड नहीं लगना चाहिए। कुल मिलाकर जबरदस्ती का घुसाया हुआ नहीं लगना चाहिए। ‘सत्या’ का गाना ‘गोली मारे भेजे में’ मेरी फिल्म की सिचुएशन के साथ बहुत सही जा रहा था। फिल्म का किरदार ओवर थिंकिंग में फंसा हुआ है। अगर वो दिमाग की सुनेगा तो मरेगा, नहीं सुनेगा तो मरेगा। यही फिल्म की कहानी है। हालांकि, ये एक तरह का रिस्क भी है। ये विशाल भारद्वाज और गुलजार जी का बनाया कल्ट गाना है। इस गाने को रिक्रिएट करने की हिमाकत के लिए या तो आप निहायती बेवकूफ होने चाहिए या क्रेजी। लेकिन मेरा कन्विक्शन था कि मैं सही कर रहा हूं। जब एक्टर, प्रोड्यूसर, यूनिट आपकी टीम को भी सही लगता है तो एक वैलिडेशन मिल जाता है। गानों को रिक्रिएट करना आसान नहीं है। इसमें प्रोडक्शन का सपोर्ट चाहिए। लीगल इश्यू और राइट्स का मामला होता है। बहुत सारे पैसे लगते हैं। फिल्म में अभिमन्यु और चक्रव्यूह का मेटाफेर हमेशा से था। किरदार का नाम इसलिए अभिमन्यु सूद रखा था। मैं महाभारत का बहुत बड़ा फैन हूं। ये मुझे हिंदुस्तान की सबसे बड़ी स्टोरी लगती है। मेरी फिल्म ‘मॉम’ में भी महाभारत का रेफरेंस है। दूसरा गाना जो ‘अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंस गया है तू’ ये मेरा आइडिया नहीं है। ना ही स्क्रिप्ट में इसका जिक्र मिलेगा। इस फिल्म में बाद में शामिल किया गया। और वो भी मेरे प्रोड्यूसर का आइडिया था। मेरी फिल्म का म्यूजिक विशाल भारद्वाज और गुलजार जी ने दिया है। हमारे पास ग्रेट कंपोजर थे तो मेरा आइडिया था कि कुछ ओरिजनल करते हैं। सवाल- क्या आप और सोहम मायानगरी की चकाचौंध से खुद को बचा पाए हैं? जवाब- मेरा मानना है कि जीवन में चक्रव्यूह कभी खत्म नहीं होने वाला है। इंडस्ट्री न सही किसी और चीज में फंस जाओगे। आपकी जिम्मेदारी होती है इसलिए स्वैग से लड़िए। अगर आपने भेद दिया और चक्रव्यूह से निकल गए तो लोग कहेंगे क्या स्टड था। अगर नहीं भेद पाए तो लोग कहेंगे क्या बेवकूफ था। गया ही क्यों? लोग कुछ ना कुछ कहते ही रहेंगे। फिल्म इंडस्ट्री से डर के आप बाहर चले जाओ कहीं और चक्रव्यूह मिल जाएगा। ये सब कभी खत्म नहीं होने वाला है। जहां, तक चकाचौंध की बात है तो ये बस एक शोर है। असलियत वो है जो आप 90 मिनट में दर्शकों को दिखाएंगे। सवाल- क्या ऐसा कहा जा सकता है कि इस फिल्म में क्रेजी एक्टर और क्रेजी डायरेक्टर का डेडली कॉम्बिनेशन है? जवाब- बिल्कुल कहा जा सकता है। सोहम शाह क्रेजी एक्टर हैं। उन्हें अब कुछ भी साबित नहीं करना है। सोहम अपना क्रेजीनेस अपनी फिल्मों से साबित कर चुके हैं। फिल्म की कुछ-कुछ चीजें आपने भांप ली है, जो हम छिपा रहे थे। तो आप खुद सोच लीजिए कि ऐसे पागलपन के लिए एक क्रेजी एक्टर और एक क्रेजी डायरेक्टर ही चाहिए। सवाल- आखिर में ये बताइए कि इस फिल्म की जो आपकी जर्नी रही है, उसमें सबसे इमोशनल या मुश्किल क्या रहा? जवाब- ये मेरी पहली पिक्चर है। मेरे लिए तो कई इमोशनल मोमेंट है। मैं तो कहता हूं पहला प्यार, पहला एक्टर, पहली फिल्म ये सब स्पेशल रहेंगे। मैंने राइटर के तौर पर बहुत काम किया है लेकिन बतौर डायरेक्टर मेरी पहली फिल्म है। ये पूरा एक्सपीरियंस ही इमोशनल है। मैंने इस फिल्म से लाइफ के प्रति, अपने बारे में, फिल्म मेकिंग के बारे में बहुत कुछ सीखा है। एक एपिसोड हुआ था, जो बहुत मुश्किल था। मैं दावे से कह सकता हूं कि जब आप फिल्म देखेंगे तो आप समझ जाएंगे कि मैं इसी सीन की बात कर रहा था। वो सीन मेरी फिल्म का आइटम नंबर है। हमने तो फिल्म में क्रिएटिव तरीके से लिखकर, एक्ट करके और परफॉर्म करके आइटम नंबर किया है। उस सीन को लेकर चिंता भी बहुत थी। लेकिन ऐसा हुआ कि वो सीन मेरी पहली फिल्म का पहला सीन बना, जिसे शूट किया गया। और वो सबसे मुश्किल सीन था। वो सीन थोड़ा लंबा है इसलिए उसे शूट करने में तीन-चार दिन का समय लगा। तीसरे या चौथे दिन मुझे अच्छे से याद नहीं है, सोहम ने 10 मिनट का एक लंबा टेक दिया। सोहम ने कमाल की परफॉर्मेंस दी। मैंने श्रीदेवी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, ऋषि कपूर जैसे अच्छे-अच्छे एक्टर्स के साथ काम किया है। लेकिन मैं सोहम की परफॉर्मेंस देखता रहा गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे सामने चल क्या रहा है। मैं उस दिन रोया। मेरे खुशी के आंसू निकल रहे थे कि किसी ने मेरी फिल्म के लिए अपना बेस्ट दिया है। तो वो मेरे लिए बहुत इमोशनल रहेगा और मुझे याद भी रहेगा।

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