Sunday, July 20, 2025
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फिजी के PM बोले- मोदी बॉस साहब हैं:करोड़ों लोगों का उन पर यकीन, दुनिया उनके विकास मॉडल को अपनाए

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फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी राबुका ने बुधवार को PM मोदी की जमकर तारीफ की और उन्हें दुनिया का बॉस कहा। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक राबुका ने कहा- मोदी बॉस साहब हैं। बॉस साहब का धन्यवाद। मैं उन्हें फिर से पीएम बनने पर बधाई देता हूं। राबुका ने यह भी कहा कि मोदी का सबका साथ, सबका विकास एक बेहतरीन शासन मॉडल है। इसे पूरी दुनिया को अपनाना चाहिए। ताकि सभी का समावेशी विकास हो सके और दुनिया बेहतरीन हो सके। फिजी के प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि पीएम मोदी दुनियाभर में शांति और हिंदुओं की एकता के एक प्रतीक बन गए हैं। भारत में इतने लोगों का उन पर यकीन होना एक बड़ी बात है। फिजी ने पीएम मोदी को दिया था सर्वोच्च सम्मान
इससे पहले मई 2023 में पीएम मोदी ने फिजी की अपनी यात्रा के दौरान पोर्ट मोरेस्बी में राबुका से मुलाकात की थी। फिजी ने प्रधानमंत्री मोदी को फिजी गणराज्य के सर्वोच्च सम्मान – कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी से सम्मानित किया था। गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब किसी विश्व नेता ने प्रधानमंत्री मोदी बॉस कहा है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने उन्हें ‘बॉस’ कह चुके हैं। साल 2023 में ऑस्ट्रेलिया में प्रवासी भारतीयों के बीच मोदी की लोकप्रियता देख अल्बनीज हैरान हो गए थे। उन्होंने मोदी की तुलना चर्चित रॉकस्टार ब्रूस स्प्रिंगस्टीन से की थी। राबुका ने भारतीय मूल के लोगों से मांगी थी माफी
2 साल पहले राबुका ने फिजी में भारतीय मूल के लोगों से माफी मांगी थी। दरअसल, साल 1987 में सितिवेनी राबुका ने देश में तख्तापलट किया था और भारत समर्थक सरकार गिरा दी थी। इस दौरान राबुका लेफ्टिनेंट कर्नल थे। राबुका ने अपने 10 नकाबपोश सैनिकों के साथ फिजी की संसद पर धावा बोला और प्रधानमंत्री टिमोसी बावद्र को गिरफ्तार कर लिया। राबुका ने पीएम टिमोसी और सरकार के 27 बड़े नेताओं को एक ट्रक में भरकर किसी अज्ञात जगह ले गए। वे खुद केयरटेकर सरकार के चीफ बन गए और फिजी के संविधान को निलंबित करने का ऐलान कर दिया। तब राबुका ने दलील दी थी कि भारतीय मूल के लोगों की आबादी, फिजी की मूल निवासियों से ज्यादा हो गई है। इसलिए फिजी के लोगों का अपने देश पर कंट्रोल हासिल करने के लिए यह तख्तापलट जरुरी था। इस घटना के बाद फिजी में भारतीय लोगों पर हमले शुरू हो गए। भारतीय मूल के लोगों की दुकानों को नुकसान पहुंचाया जाने लगा। राबुका के इस कदम की दुनियाभर में निंदा हुई। भारत ने फ़िजी पर व्यापार प्रतिबंध भी लगा दिए। उसे कई देशों ने मान्यता देने से इनकार कर दिया। भारी अंतर्राष्ट्ररीय दबाव के बाद राबुका ने इस्तीफा दे दिया।

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