Tuesday, March 11, 2025
Latest:
Entertainment

BB-18 का टाइटल जीतने के बाद करण वीर मेहरा बोले:माता-पिता के संस्कारों ने दिलाई जीत, दोस्तों की सुनता तो लड़कर बाहर आता

Share News

टीवी के जाने-माने एक्टर करण वीर मेहरा ने बिग बॉस 18 का खिताब अपने नाम किया। उन्हें 50 लाख रुपए और चमचमाती बिग बॉस की ट्रॉफी मिली है। ऐसे में करण वीर मेहरा ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि यह सफर उनके लिए काफी शानदार और इमोशनल रहा। आपने अपनी मेहनत और खेल से बिग बॉस 18 के विनर का टाइटल जीता है। आप क्या कहेंगे? पहले तो मैं बिग बॉस 18 को खेल नहीं कहूंगा। यह एक रियलिटी शो था। मैं इसमें अपनी असली जिंदगी जी रहा था, जैसे मैं अपनी रोजमर्रा की जिंदगी जीता हूं। लोग इसे खेल मानते हैं, लेकिन मेरे हिसाब से यह शो सिर्फ उसी समय के लिए खेल होता है जब हम कोई टास्क कर रहे होते थे। बाकी तो यह एक जिंदगी जीने का शो है। अगर आप असली रहेंगे और अपने आप को सच्चाई के साथ पेश करेंगे, तो आप जीत सकते हैं। आप दिल के बहुत अच्छे इंसान हैं। क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपकी यही अच्छाई आपकी गेम में रुकावट बनी हो? मैंने हमेशा कहा है कि अगर मैं ट्रॉफी की तरफ बढ़ रहा हूं, तो वो सिर्फ उन्हीं संस्कारों की वजह से है, जो मेरे माता-पिता ने मुझे दिए हैं और जो मेरे टीचर्स ने सिखाया है। अगर मैं अपने दोस्तों की सुनता, तो शायद आज मैं ट्रॉफी नहीं जीतता, बल्कि लड़ाई करते हुए शो से बाहर हो चुका होता। मुझे खुशी है कि मैं उस उम्र में हूं, जहां मैं अपने संस्कारों के साथ आगे बढ़ रहा हूं। शो में आपको कई सारी बातें सुनने को मिलीं, खासकर पर्सनल लाइफ के बारे में। कैसे आपने इन सब चीजों को डील किया और सबसे चैलेंजिंग क्या था? मैं बहुत ज़्यादा धीट हूं। मुझे किसी की बातों का कोई असर नहीं पड़ता। मैं अपनी जिंदगी में एक थ्योरी के साथ चलता हूं, और वो है ‘नीले बाल’। मान लीजिए, अगर कोई कहे कि आपके नीले बाल अच्छे हैं या बुरे लग रहे हैं, तो जब मेरे पास नीले बाल ही नहीं हैं, तो मुझे क्या फर्क पड़ेगा? बाकी तो वो एक पल का होता है, लोग बोल देते हैं और फिर बाद में सॉरी कहकर सब कुछ ठीक हो जाता है। शो के दौरान आपका सबसे इमोशनल मोमेंट कौन सा था? मेरी मम्मी का जब लेटर आया था और उनकी राइटिंग देखी, तो मैं रो पड़ा था। वैसे, मैं अपनी जिंदगी में कभी इतना नहीं रोया, जितना इस शो के दौरान रोया। जब हम सनी पाजी और बॉबी देओल को रोते हुए देखते थे, तो सोचते थे कि ये ऐसे कैसे रो सकते हैं। अब मुझे वो फीलिंग समझ में आई, मैं तो खुद फूट-फूटकर रोने लगता हूं। हालांकि, मुझे इस पर खुशी है। पहले लगता था कि ये मेरी कमजोरी है, लेकिन अब मुझे ये काफी पॉजिटिव लगता है। इस शो का एक दिन एक साल के बराबर होता है। आपने हर खतरों का सामना किया और जीत भी हासिल की। लेकिन इस खेल में आपकी विनिंग क्वालिटी क्या रही? जैसा मैंने पहले कहा, मैंने इस गेम को कभी भी गेम नहीं समझा, इसे हमेशा अपनी जिंदगी की तरह जीया है। शायद यही चीजें लोगों को पसंद आईं। कई ऐसे टास्क थे, जो मैंने निडरता के साथ किए। यही कुछ कारण हो सकते हैं कि लोग मुझे पसंद करते हैं और मैं जीत पाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *