पीएम इंटर्नशिप स्कीम का लॉन्च रुका:1.25 कैंडिडेट्स को मिलना था फायदा; स्कीम में कम स्टाइपेंड जैसी 3 कमियां
पीएम इंटर्नशिप योजना (PMIS) 2 दिसंबर को लॉन्च होने वाली थी, जिसे फिलहाल रोक दिया गया है। इस स्कीम के तहत 5 सालों में 1 करोड़ युवाओं के देश की टॉप 500 कंपनियों में पेड इंटर्नशिप दी जानी थी। इसके रजिस्ट्रेशन भी 15 नवंबर तक हुए थे। हालांकि, अब इसे अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है। इस स्कीम के तहत इंटर्नशिप करने वाले कैंडिडेट्स के पहले बैच को 280 कंपनियों में 12 महीने की इंटर्नशिप दी जानी थी। कॉर्पोरेट मंत्रालय का कहना है, ‘अब स्कीम के लॉन्च होने की नई तारीखें तय की जाएंगीं। हालांकि स्कीम को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है।’ इंटर्नशिप में कैंडिडेट्स के लिए कई और फायदे भी हैं। इंटर्नशिप जॉइन करने पर कैंडिडेट्स को 6000 रुपए का वन-टाइम ग्रांट दिया जाएगा। भारत सरकार की प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ भी इंटर्न्स को मिलेगा। इसका प्रीमियम भारत सरकार की ओर से भरा जाएगा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्कीम में 3 बड़ी कमियां हैं- 1- MSME को नहीं शामिल किया गया: स्कीम के तहत 500 कंपनियों को उनके कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) एक्सपेंडिचर के अनुसार चुना गया। यह वह खर्च होता है जो कंपनियां सामाजिक चीजों जैसे एथिक्स, एनवायरमेंट, रिसोर्सेज वगैरह के लिए खर्च करती हैं। साल 2023 में भारतीय कंपनियों ने 29,986 करोड़ रुपए CSR के तहत खर्च किया था। हालांकि जिन 500 कंपनियों का चुनाव किया गया उनके लिए इंटर्नशिप स्कीम में शामिल होना जरूरी नहीं था। कंपनियों को अपने सहयोग वाली दूसरी कंपनियों के साथ मिलकर भी इंटर्नशिप स्कीम में शामिल होने का ऑप्शन था, लेकिन छोटे और मध्यम उद्योगों को भी स्कीम में शामिल नहीं किया गया। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानी CII के साउथ रीजन के प्रेसिडेंट एम पोन्नुस्वामी का कहना था कि ‘सीआईआई की सिफारिश है कि सरकार अगले पांच सालों में MSME में इंटर्नशिप के लिए कम से कम 40% का रिजर्वेशन करे, यानी 40 लाख युवाओं को MSMEs में इंटर्नशिप दे।’ पोन्नुस्वामी का कहना है कि 2030 तक देश की लगभग 70% आबादी काम करने वाली उम्र की होगी। MSME की देश की GDP में हिस्सेदारी 30% और एक्सपोर्ट में 45% है। इस स्कीम से MSMEs और कैंडिडेट्स दोनों को फायदा होगा। 2- सभी इलाकों में बराबर इंटर्नशिप नहीं दी गई: स्कीम के ऑफिशियल पोर्टल के मुताबिक, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इंटर्नशिप की पेशकश की गई है, लेकिन इनमें से ज्यादातर ऑफरिंग कुछ खास इलाकों में ही हैं। मसलन, महाराष्ट्र में 14,694, तमिलनाडु में 13,263, जबकि दिल्ली में सिर्फ 3,543 इंटर्नशिप ऑफर की गईं। 3- घर से दूर रहकर गुजारे के लिए स्टाइपेंड कम: इंटर्नशिप के लिए शुरुआत में 6000 रुपए सरकार देगी। इसके बाद हर महीने कंपनी अपने CSR फंड से इंटर्न की ट्रेनिंग का खर्च उठाएगी और 500 रुपए देगी। हालांकि कंपनी चाहें तो इसे बढ़ा सकती हैं। एक अखबार के मुताबिक, JNU में पढ़ाने वाली लेबर इकोनॉमिस्ट अनाम्रिता रॉय चौधरी कहती हैं, ‘यह योजना सिर्फ उन लोगों के लिए अच्छी है जिनके पास पहले से कुछ रिसोर्सेज हैं। 5 हजार की रकम बहुत कम है। आप इतने पैसे में अकेले नहीं रह सकते। इंटर्नशिप वह समय है जब व्यक्ति रोजगार के लायक बन रहा होता है, इस दौरान वह अपना गुजारा कैसे करेगा।’ केंद्रीय योजना आयोग के पूर्व सलाहकार बी चंद्रशेखरन कहते हैं कि फॉर्च्यून 500 कंपनियों को इंटर्नशिप में शामिल करना सही दिशा में पहला कदम है, लेकिन यह ठीक से सोच-समझकर शुरू की गई योजना नहीं है। ये खबरें भी पढ़ें… स्कूल के टॉयलेट में रहकर पढ़ रहे बच्चे: छत्तीसगढ़ के एकलव्य स्कूल का वीडियो, निकाले जाने के डर से नहीं करते शिकायत छत्तीसगढ़ के नारायणपुर से एक वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में गेट पर लिखा है ‘प्रसाधन’ और अंदर छोटी सी जगह में एक तरफ टेबल पर किताबें रखी हुई हैं। दूसरी तरफ बिस्तर लगा हुआ है। एक तरफ स्कूल बैग रखे हैं, जैसे ही बच्चे स्कूल बैग हटाते हैं तो समझ आता है ये कोई कमरा नहीं बल्कि टॉयलेट है, जहां स्कूली बच्चे रहने को मजबूर हैं। पूरी खबर पढ़ें…