Tuesday, April 29, 2025
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जंग के बीच लेबनान में क्यों तैनात है भारतीय सैनिक:1978 में शुरू हुई तैनाती; लेबनान पर इजराइली हमले जारी, 700 से ज्यादा की मौत

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इजराइल और लेबनान के बीच 8 दिनों से जंग जारी है। इस जंग में अब तक 700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं इजराइल ने हिजबुल्लाह की मिसाइल और ड्रोन यूनिट के कमांडरों को एयरस्ट्राइक में मार दिया है। इसी बीच इजराइल में तैनात भारतीय सेना के एक जवान को गुरुवार सुबह एयर एंबुलेंस से भारत लाया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सैनिक का नाम हवालदार सुरेश आर (33) है, जो बीते 30 दिनों से इजराइल के एक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें सिर में चोटें आई हैं, जिसकी वजह से वो जगह और लोगों को पहचान नहीं पा रहे थे। हालांकि उन्हें चोट लगने की वजह साफ नहीं हुई है। सुरेश इजराइल के गोलन हाइट्स में संयुक्त राष्ट्र के मिशन UNDOF फोर्स में शामिल थे। इजराइल के अलावा भारत के 900 जवान लेबनान में इजराइली सीमा पर भी तैनात हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जंग के बीच इजराइल सीमा पर भारतीय सैनिक क्या कर रहे हैं? इस स्टोरी में इसी सवाल का जवाब जानते हैं… इजराइल-लेबनान में जंग रोकने के लिए तैनात भारतीय जवान
मार्च 1978 की बात है। लेबनान में मौजूद फिलिस्तीन समर्थक उग्रवादियों ने तेल अवीव के पास दर्जनों यहूदियों की बेरहमी से हत्या कर दी। इस हत्याओं का बदला लेने के लिए इजराइली सेना ने दक्षिणी लेबनान में आतंकियों के सफाए के लिए एक ऑपरेशन चलाया। इसके बाद दोनों देशों में जंग शुरू हो गई। इसे इजराइल की ओर से लेबनान पर किया गया हमला बताया गया। जब ये मामला UN में पहुंचा तो तुरंत यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल ने इस जगह पर शांति कायम करने के लिए एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव के मुताबिक इजराइली सेना को फौरन लेबनान सीमा से वापस लौटने को कहा गया। इसके बाद लेबनान में UN की ओर से शांति कायम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय फोर्स की तैनाती की गई। UN की ओर से तैनात इन जवानों को संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल यानी UNIFIL कहा जाता है। 1978 के बाद से ही यहां UNIFIL की तैनाती है। इस वक्त भारत के 900 जवानों की तैनाती दक्षिणी लेबनान के इजराइल सीमा के पास तैनात हैं। दक्षिणी लेबनान में जहां UN की फोर्स की तैनाती है, उस 110 किलोमीटर के क्षेत्र को ‘ब्लू लाइन’ कहा जाता है। इस समय संयुक्त राष्ट्र के पीस मिशन में 48 देशों के लगभग 10,500 पीसकीपर्स हैं। अब जानिए UN पीस मेकर्स क्या होते हैं और कब बनाया गया…. 1999 में UN पीस कीपिंग मिशन पर भेजे गए भारतीय सैनिक
1999 में रिटायर्ड मेजर जनरल राजपाल पूनिया UN पीस मिशन में दक्षिण अफ्रीका के सिएरा लियोन में एक मिशन के लिए गए थे। यहां शांति कायम करने के लिए उन्हें स्थानीय छोटे-छोटे आतंकी संगठन के खिलाफ ऑपरेशन चलाना था। ये आतंकी संगठन स्थानीय सरकार पर दवाब बनाने के लिए अक्सर यहां हिंसा करते थे। पूनिया के मुताबिक, UN का ये मिशन इतना ज्यादा खतरनाक था कि 16 देश के जवान हथियार डाल चुके थे। इसके बाद इस मिशन को पूरा करने का जिम्मा UN की ओर से इंडियन आर्मी को दिया गया। भारतीय जवानों के मोर्चा संभालते ही पूरी कंपनी को आतंकवादियों ने घेर लिया और हथियार डालने के लिए कहा। भारतीय जवानों ने हथियार नहीं डालने का फैसला किया। आतंकियों ने पाकिस्तान के जवानों को बंधक बना लिया था। जब कोई रास्ता नहीं बचा तो भारतीय जवानों ने ऑपरेशन शुरू किए और पाकिस्तानी जवानों को बचा लिया। ये पाकिस्तानी जवान मिशन से वापस लौटने से पहले इंडियन आर्मी को सैल्यूट करके गए थे। अफ्रीका में भारतीय सैनिकों से परेशान होकर आतंकियों ने राशन के ट्रकों को रोक दिया। कहीं आने-जाने नहीं देते थे। 75 दिन तक 233 जवानों की पूरी बटालियन बिना खाना रही। ऐसे हालात हो गए कि घास की रोटियां खानी पड़ी थीं। भारतीय जवानों ने तय किया कि डरेंगे नहीं, लड़ते हुए शहीद होंगे। उस वक्त आतंकवादियों से लड़ते हुए हिमाचल के रहने वाले हवलदार कृष्ण कुमार शहीद हो गए थे। पूरे सम्मान के साथ आतंकवादियों से लड़कर भारत लौटे थे। उन्होंने बताया कि UN में तैनात भारतीय पीस मेकर्स जवानों को लेकर ‘ऑपरेशन खुखरी’ नाम से एक किताब भी लिखी गई है। सिएरा लियोन में पीस कीपिंग मिशन 2001 चला था।

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