Wednesday, March 12, 2025
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मूवी रिव्यू- तंगलान:चियान विक्रम के कंधे पर टिकी पूरी फिल्म; विजुअली रिच, फर्स्ट हाफ रोमांचक; हिंदी डबिंग में थोड़ी खामियां

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साउथ सिनेमा के स्टार चियान विक्रम की फिल्म ‘तंगलान’ तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम के बाद आज हिंदी में रिलीज हुई है। पा रंजीत के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में चियान विक्रम के अलावा पार्वती थिरुवोथु, मालविका मोहनन, डैनियल कैल्टागिरोन और पसुपति की मुख्य भूमिकाएं हैं। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटे 30 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार की रेटिंग दी है। फिल्म की कहानी क्या है? फिल्म की कहानी 1850 के उत्तरी अरकोट के वेप्पुर गांव के आदिवासियों की है। एक ब्रिटिश अधिकारी कोलार गोल्ड फील्ड्स में सोना ढूंढने के लिए आदिवासियों को बुलाता है। ब्रिटिश अधिकारी आदिवासियों के मुखिया तंगलान (चियान विक्रम) से से वादा करता है कि अगर वो लोग सोना ढूंढने में मदद करेंगे तो उनको भी उसमें हिस्सा मिलेगा। तंगलान अपनी पत्नी (पार्वती थिरुवोथु) बच्चे और पूरे आदिवासियों के समूह के साथ कोलार गोल्ड फील्ड्स में सोना ढूंढने के लिए निकलता है। इस दौरान उसका मुकाबला कुछ अलौकिक रहस्यमय शक्तियों से होता है। क्या वह अपने समूह के साथ सोना ढूंढने में सफल होता है। इस दौरान और क्या-क्या परेशानियां आती हैं। यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? पूरी फिल्म की कहानी चियान विक्रम के किरदार तंगलान के इर्द-गिर्द घूमती है। पूरी फिल्म की कहानी उन्हीं के कंधे पर टिकी हुई है। अपनी भूमिका से उन्होंने एक अलग ही छाप छोड़ी है। तंगलान की पत्नी गंगम्मा के रूप में पार्वती थिरुवोथु का भी अभिनय प्रभावशाली और यादगार है। ब्रिटिश अधिकारी की भूमिका में डैनियल कैल्टागिरोन, अर्जुन अंबुदान और पसुपति ने अपनी- अपनी भूमिका से पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश की है। आरती की भूमिका में मालविका मोहनन मजबूत,अलौकिक रहस्यमय शक्ति के रूप में उभरकर आईं हैं। फिल्म का डायरेक्शन कैसा है?
डायरेक्टर रंजीत को सरपट्टा परम्बरा, कबाली और काला जैसी हिट फिल्मों के लिए जाना जाता है। बात करें फिल्म तंगलान की तो फर्स्ट हाफ में ऐसे कई क्षण आते हैं जो रोमांचित करते हैं। इसके मुकाबले सेकेंड हाफ थोड़ा सा कमजोर है। तकनीकी रूप से फिल्म स्ट्रॉन्ग है। साउथ की कुछ हिंदी डब फिल्मों में सबसे बड़ी कमी यह दिखती है कि संवाद और उसके भाव के बीच सही तालमेल नहीं दिखता है। इस फिल्म में भी ऐसा ही दिखा। भावनात्मक दृश्यों में वह भाव नहीं दिखा। बीच-बीच में कहानी अपनी पकड़ खो देती है। सीन को बेहतर बनाने के लिए पटकथा पर थोड़ा और ध्यान देने की जरूरत थी। फिल्म में मालविका मोहनन का किरदार सरप्राइज पैकेज है। लेकिन मालविका मोहनन और उनकी जनजाति के किरदार को और बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता था। फिल्म का म्यूजिक कैसा है?
हिंदी पट्टी के दर्शकों को ध्यान में रखते हुए म्यूजिक पर काम किया जाना चाहिए था। इस फिल्म का ऐसा कोई गीत नहीं जो दर्शक गुनगुना सके। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर प्रभावी है। फाइनल वर्डिक्ट, फिल्म देखें या नहीं?
यह फिल्म एक अलग ही रोमांच की दुनियां में लेकर जाती है। फिल्म विजुअली काफी अच्छी बनी है। हिंदी डबिंग के हिसाब से कुछ खामियां जरूर हैं। फिर भी यह फिल्म एक बार जरूर देखी जा सकती है।

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