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पूर्व भारतीय क्रिकेटर सैयद आबिद अली का निधन:भारत के लिए 34 मैच खेले; फर्स्ट क्लास में 397 विकेट लिए

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भारत के पूर्व क्रिकेटर सैयद आबिद अली का बुधवार को अमेरिका में निधन हो गया। वे 83 साल के थे। सैयद ने 34 मैचों में भारत को रिप्रजेंट किया था। 9 सितंबर 1941 को हैदराबाद में सैयद का जन्म हुआ था। उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 397 विकेट लिए। सैयद ने दिसंबर 1967 एडिलेड में भारत के लिए डेब्यू किया था। उन्होंने अपने पहले मैच में ही 6 विकेट लिए थे, जो उनके करियर का बेस्ट प्रदर्शन था। उन्होंने सिडनी में 78 और 81 रन की पारी भी खेली थी। सैयद ने 1974 तक टेस्ट क्रिकेट खेला। उन्होंने इस फॉर्मेट में 47 विकेट और 1018 रन अपने नाम किए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया
आबिद अली ने 1967-68 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया था। ब्रिसबेन में खेले गए मैच में उन्होंने 55 रन देकर 6 विकेट लिए थे। हैदराबाद के इस खिलाड़ी को ‘चिच्चा’ के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने मालदीव और UAE की क्रिकेट टीम सहित आंध्रप्रदेश रणजी टीमों को कोचिंग भी दी। फील्डिंग प्रैक्टिस के लिए रोलर पर पानी डालते थे
सैयद को विकेटों के बीच अपनी तेज दौड़ के लिए जाना जाता था। वे हैदराबाद के फतेह मैदान, (जिसे अब लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम के नाम से जाना जाता है) में रोलर पर पानी डालते थे और उस पर बॉल उछालकर कैच पकड़ने की प्रैक्टिस करते थे। फर्स्ट क्लास में 397 विकेट लिए
सैयद आबिद अली ने सिर्फ 5 वनडे मैच खेले, लेकिन उनमें से 3 मैच पहले वनडे वर्ल्ड कप 1975 में खेले। उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 98 गेंदों में 70 रन बनाए थे। आबिद ने फर्स्ट क्लास में 397 विकेट लिए और 212 मैचों में 8732 रन भी बनाए। उनका करियर का बेस्ट स्कोर 173* रहा। टीम के हिसाब से वे सबकुछ करते थे: गावस्कर
सैयद के निधन पर सुनील गावस्कर ने कहा, ‘बहुत दुखद समाचार, वे एक शानदार क्रिकेटर थे जो टीम की जरूरत के हिसाब से सब कुछ करते थे। मिडिल ऑर्डर पर बल्लेबाजी करने वाले एक ऑलराउंडर होने के बावजूद, उन्होंने जरूरत पड़ने पर बल्लेबाजी की शुरुआत भी की। लेग साइड कॉर्डन (फील्ड पोजिशन) में उन्होंने शानदार फील्डिंग की।’ 1960 के दशक में उनका योगदान याद किया जाएगा: ओझा
सैयद आबिद अली के निधन पर पूर्व भारतीय स्पिनर प्रज्ञान ओझा ने X पोस्ट में लिखा, ‘हैदराबाद के महान ऑलराउंडर सैयद आबिद अली सर के निधन से बहुत दुखी हूं। भारतीय क्रिकेट में उनका योगदान, खास तौर पर 1960 और 70 के दशक में, हमेशा याद किया जाएगा। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।’

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