5 साल ऑटो चलाकर क्रिकेटर बने जुनैद की कहानी:शमी आइडल, उन्हीं की 11 नंबर जर्सी पहनते हैं, लखनऊ में पूरा हुआ सपना
लखनऊ के इकाना स्टेडियम में 27 साल बाद मुंबई की टीम ईरानी कप जीतने में सफल रही। ईरानी कप 2024 में मुंबई की टीम में एक ऐसे तेज गेंदबाज ने एंट्री की, जो एक समय में ऑटो भी चला चुका है। वह गेंदबाज कोई और नहीं बल्कि जुनैद खान हैं। जुनैद ने धारदार गेंदबाजी के दम पर मुंबई को ईरानी कप की ट्रॉफी दिलाने में अहम भूमिका दिलाई। 19 साल की उम्र में प्रोफेशनल मैच खेलने की शुरुआत की और आज मुंबई की रणजी टीम का हिस्सा हैं। कन्नौज में टेनिस बॉल खेलते हुए जुनैद ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में मुंबई की टीम में ईरानी ट्राफी में डेब्यू किया था। कैसे घर में आर्थिक तंगी होने पर मुंबई कमाने गए। 5 साल क्रिकेट से दूर रहे। फिर एक सहारा मिलते ही वह अपनी प्रतिभा के दम पर मौके को भुनाने लगे। मोहम्मद शमी को आइडल बनाया और आज उनकी गेंदबाजी देख लोग तारीफ करते नहीं थक रहे। दैनिक भास्कर से खास बातचीत करते हुए मोहम्मद जुनैद ने अपनी कहानी बताई… सवाल: ईरानी ट्रॉफी तक सफर कैसा रहा, मुंबई की टीम का हिस्सा कैसे बने ?
जवाब: यूपी के कन्नौज का रहने वाला हूं। क्रिकेट का शौक बचपन से है। घर में समस्या के चलते खेल नहीं पाया। आर्थिक तंगी के कारण घर से मुंबई गया था। यहां चार-पांच साल तक ऑटो रिक्शा चलाया। फिर एक कंपनी में हेल्पर, इवेंट मैनेजमेंट में सुपरवाइजर का काम किया। घर का खर्च चलाने के लिए अलग-अलग तरह के कई काम किए। 2019 में संजीवनी क्रिकेट एकेडमी में गया। वहां कोच सतीश सावंत और मनीश वाघेरा से बात की। पूछा यहां आकर खेल सकता हूं। फीस पूछा तो उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है तुम आकर खेल सकते हो। इसके बाद मैं रात में काम करता था। दिन में क्रिकेट खेलता था। काम की वजह से कई बार प्रैक्टिस पर नहीं जा पाता था। कोच सतीश सावंत ने कहा कि खेलना है या काम करना है। दोनों में से एक ही काम पकड़ना पड़ेगा। उनको कभी बोलता था आऊंगा तो कभी नहीं पहुंच पाता था। इस दौरान उन्हें अपनी समस्या बताई कि खाने, पीने रहने की समस्या थी। फिर वहां से खेलना शुरू कर दिया। इसके बाद लॉकडाउन लग लग गया। इससे घर लौटना पड़ा। सवाल: अभिषेक नायर से कैसे मिले, उन्होंने क्या सिखाया?
जवाब: लॉकडाउन के बाद फिर मुंबई गया। वहां पर पीजीआई हिंदु जिम खाना ज्वाइन की, अच्छा परफॉर्म किया। वहीं पर अभिषेक नायर से मुलाकात हुई। उन्हें मैं अपने मां-बाप के बाद सबसे अधिक मानता हूं। वह ऐसे बंदे हैं जैसा इंडिया में कोई नहीं है। उन्होंने मेरी ऐसी मदद की है, जैसा कोई नहीं करता है। मैं एक बार खेल रहा था तो उन्होंने मुझे बुलाया, पूछा क्या करते हो। मैंने अपने बारे में बताया। उन्होंने मेरी समस्या सुनी। कहा- बस खेल, मेहनत कर, मैं तेरी सारी समस्या दूर कर दूंगा। फिर उनकी एकेडमी में जाने लगा। वह खेल से लेकर पैसे तक की मदद करने लगे। इसके बाद पिछले साल केकेआर का नेट बॉलर सिलेक्ट हुआ। उधर अच्छा रहा। क्लब में अच्छा परफार्म किया। टीम में आने के बाद कर्नाटक और चेन्नई में अच्छा परफाॅर्म किया। लखनऊ में मेरा सपना पूरा हुआ। मैं, सोच भी नहीं सकता, लखनऊ में ईरानी ट्रॉफी का मैच खेलना मेरे जीवन का बहुत बड़ा मैच है। सवाल: क्रिकेट के प्रति रुझान कैसे बना?
जवाब: मेरे मोहल्ले में कई सीनियर क्रिकेटर हैं, जो टेनिस के साथ में लेदर बॉल क्रिकेट भी खेलते हैं। इशरार, नौशाद, साेनू, दानिश के साथ में मेरे भाई भी टेनिस बहुत अच्छा खेलते थे। बचपन में उन्हीं लोगों के साथ मैंने भी क्रिकेट खेला शुरू किया। 2014 में घर की आर्थिक स्थिति खराब होने पर मुंबई गया था। पांच साल तक क्रिकेट से दूर रहा। फिर मैदान पर वापसी हुई है। तो लगातार मेहनत कर रहा हूं। सवाल: किसको आइडल मानते हैं?
जवाब: भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी मेरे आइडल हैं। उनका एक्शन, रिदम, स्विंग, सीम सहित पूरी बालिंग पसंद है। इसलिए मैं उनको फॉलो करता हूं। इसीलिए मैं, उन्हीं का जर्सी नंबर 11 पहनता हूं। इशारा करते हुए जुनैद ने अपनी जर्सी का नंबर दिखाते हुए यह बात बताई। सवाल: परिवार में कौन- कौन है, इंडिया के लिए क्या तैयारी है?
जवाब: मम्मी हैं, पापा नहीं है। घर में 7 भाई और तीन बहन हैं। सभी की शादी हो गई है। एक दो भाई फर्नीचर काम करते हैं। परिवार की स्थित अभी भी अच्छी नहीं है रोज कमाओ- रोज खाओ वाली स्थिति है। अभी तो मुंबई टीम में मिले मौके पर अच्छा प्रदर्शन करने का ध्यान है। लगातार मेहनत कर रहा हूं। देश के लिए अच्छी क्रिकेट खेलने का लक्ष्य है।