Sunday, December 22, 2024
Latest:
Jobs

10 में 8 एम्प्लॉयर ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ के सपोर्ट में:ऑफिस टाइमिंग के बाद काम से मिलती आजादी, उल्लंघन करने पर बॉस पर होगी कार्रवाई

Share News

देश में इन दिनों ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ को लेकर नए सिरे से बहस छिड़ी हुई है। हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक, हर 10 में से 8 एम्प्लॉयर्स वर्किंग प्लेस पर ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ पॉलिसी को लागू करने के पक्ष में हैं। ग्लोबल जॉब मैचिंग और हायरिंग प्लेटफॉर्म Indeed ने यह सर्वे कराया है। इसमें बताया गया है कि भारत में 79% एम्प्लॉयर्स ने वर्किंग प्लेस पर ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ पॉलिसी को पॉजिटिव स्टेप बताया है। यह सर्वे जुलाई से सितंबर 2024 के दौरान सेंसरवाईड ने 500 एम्प्लॉयर्स और नौकरी तलाश करने वाले 500 कैंडिडेट्स पर किया था। दरअसल, भारत में ‘ऑलवेज ऑन’ का कल्चर एम्प्लॉइज की परेशानी बनता जा रहा है। इसलिए इस नीति के बारे में उठ रही आवाज तेज होती जा रही है ताकि एम्प्लॉइज पर बढ़ते तनाव और काम के बोझ को कम किया जा सके। 88% एम्प्लॉइज लगातार बॉस के कॉन्टैक्ट में रहते हैं
सर्वे के मुताबिक 88% भारतीय एम्प्लॉइज से उनके एम्प्लॉयर्स काम के घंटों बाद भी लगातार कॉन्टैक्ट में रहते हैं। सर्वे में शामिल 85% एम्प्लॉइज ने बताया कि वह अगर बीमारी की वजह से छुट्टी पर हों या पब्लिक हॉलिडे के दिन घर पर हों तब भी ऑफिस से कम्युनिकेशन बना रहता है। 79% एम्प्लॉइज को महसूस होता है कि काम के घंटों (Working Hours) के बाद भी मौजूद ना रहने पर उन्हें सजा मिल सकती है। प्रमोशन न होने का डर
एम्प्लॉइज को इस बात का डर हमेशा सताता रहता है कि अगर काम के घंटों के बाद भी वह ऑफिस से जुड़े नहीं रहते तो उनका प्रमोशन रुक जाएगा।ऑफिस में उनकी इमेज खराब करने की कोशिश की जाएगी। साथ ही उनके प्रोजेक्ट में भी रुकावट आ सकती है। इससे बचने के लिए एम्प्लॉइज को किसी गुलाम की तरह काम करना पड़ता है। राइट टू डिस्कनेक्ट को लेकर हर जेनरेशन की सोच अलग
इस सर्वे में यह भी सामने आया है कि काम के घंटों के बाद कॉन्टैक्ट में रहने और ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ के मामले में हर जेनरेशन का नजरिया अलग है। बेबी बूमर्स (88%) से जब काम के घंटों के बाद कॉन्टैक्ट किया जाता है तब उन्हें महसूस होता है कि वह कंपनी के लिए जरूरी​​​​​ हैं। एम्प्लॉइज की वफादारी और हमेशा मौजूद रहने की लगन दिखती है। इस जेनरेशन के लिए लगातार मौजूद रहने को काम की लगन और भरोसेमंद के रूप में देखा जाता है। जेन जी डिजिटल या कनेक्टेड दुनिया में बड़े हुए हैं। वह वर्क और लाइफ के बीच बैलेंस और खुद की हेल्थ को ज्यादा अहम समझते हैं। इस जेनरेशन के लोग वर्क और पर्सनल लाइफ के बीच बाउंडरी वॉल बना कर रखते हैं। वहीं, दूसरी तरफ 81% एम्प्लॉयर्स को यह भी लगता है कि अगर उन्होंने सोशल लाइफ और वर्क लाइफ के बीच अंतर बनाकर नहीं रखा तो वो हुनरमंद एम्प्लॉइज को खो देंगे। यह भी एक वजह है कि एम्प्लॉयर्स ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ को सही मानते हैं। वर्क प्रेशर से एना की मौत हुई कुछ दिन पहले पुणे स्थित EY कंपनी की एग्जिक्‍यूटिव एना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत हो गई थी। डॉक्‍टर्स का कहना था कि एना न ठीक से सो रही थी, न समय से खाना खा रही थी, जिसकी वजह से उसकी जान चली गई। एना की मां ने आरोप लगाए थे कि एक्‍सट्रीम वर्क प्रेशर के चलते एना की जान गई। इस घटना के बाद ‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ की मांग जोर पकड़ रही है। पूरी खबर यहां पढ़ें… ये खबरें भी पढ़ें… ‘भाई मेरे से नहीं हो रहा बिल्‍कुल’:Deloitte के एक्‍स एम्‍प्‍लॉई ने शेयर किए स्‍क्रीनशॉट, कहा- एना पर क्‍या बीता समझ सकता हूं भाई अब मेरे से नहीं हो रहा बिल्‍कुल… चक्‍कर आ रहे हैं… मैं इस बार पक्‍का शिकायत करने वाला हूं…’ ये व्‍हॉट्सऐप मैसेज Deloitte के एक्‍स एम्‍प्‍लॉई जयेश जैन ने अपने X अकाउंट पर शेयर किए हैं। जयेश ने कहा, ‘EY यानी Ernst Young कंपनी में जो हुआ वो सिर्फ एक उदाहरण है। मैं आपसे Deloitte में मेरे काम करने के दौरान का अनुभव शेयर कर रहा हूं।’ पूरी खबर यहां पढ़ें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *