हे..! अश्लील महत्वाकांक्षा से भरे समय के रणवीरों, यह “समय” तुम्हारे मां-पिता को भी शर्मिंदा कर रहा है..!
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समय-समय की बात है और आज समय -समय का तकाजा है. कम्बख्त इतनी फुरसती, और फूहड़ महत्वाकांक्ष में डूबी पीढ़ी है कि हर क्षण ही क्रिएटिव हो रही है. रचनात्मकता के सोते मानों देह के रोम-रोम से फूट रहे हैं.