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हाईकोर्ट बोला- इमरजेंसी में काट-छांट करें, तभी रिलीज की परमिशन:कंगना का आरोप था- सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट नहीं दे रहा, इसलिए रिलीज में देरी

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कंगना रनोट की फिल्म इमरजेंसी की रिलीज को लेकर गुरुवार (26 सितंबर) को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि रिलीज की मंजूरी तभी मिलेगी, जब मेकर्स फिल्म में सेंसर बोर्ड द्वारा सुझाए कट लगाएंगे। सेंसर बोर्ड यानी सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने कोर्ट में कहा कि इमरजेंसी के मेकर्स ने अब तक कट्स नहीं लगाए हैं। वहीं, मेकर्स ने कोर्ट में कहा कि उन्हें कट्स लगाने के लिए समय चाहिए, जिसके बाद कोर्ट ने मामला 30 सितंबर तक के लिए टाल दिया है। इमरजेंसी की रिलीज पर क्यों लगी रोक, समझें पूरा मामला फिल्म की रिलीज को लेकर कंगना और जी स्टूडियो ने याचिका दायर की थी। उन्होंने आपत्ति जताई थी कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पहले सर्टिफिकेट दे दिया था, लेकिन 6 सितंबर को होने वाली रिलीज से 4 दिन पहले इस पर रोक लगा दी। इसके बाद कंगना ने आरोप लगाया था कि सेंसर बोर्ड फिल्म को सर्टिफिकेट जारी नहीं कर रहा है, जिससे फिल्म की रिलीज में देरी हो रही है। कंगना और फिल्ममेकर्स ने याचिका में सेंसर बोर्ड पर आरोप लगाया था कि उसने मनमाने ढंग से फिल्म का सर्टिफिकेट रोक रखा है। सेंसर बोर्ड ने ई-मेल के जरिए सर्टिफिकेट दे दिया था, लेकिन रिलीज से महज 4 दिन पहले सर्टिफिकेट की कॉपी देने से मना कर दिया। इस पर सेंसर बोर्ड के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने बताया था कि इमरजेंसी के मेकर्स को सिस्टम जनरेटेड मेल मिला था, लेकिन बाद में आपत्ति होने पर इसे रोक दिया गया था। कोर्ट ने लगाई थी सेंसर बोर्ड को फटकार 4 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जज ने सेंसर बोर्ड से जुड़े अधिकारियों को फटकार लगाई थी। उनसे सवाल किया कि आप सिस्टम जनरेटेड ई-मेल कैसे भेज सकते हैं। क्या मेल भेजने से पहले अधिकारियों ने फिल्म नहीं देखी? क्या सर्टिफिकेट देते हुए अधिकारियों ने अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया? याचिका में कंगना के प्रोडक्शन हाउस की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा- हम फिल्म में कोई बदलाव नहीं करेंगे और फिल्म को उसी तरह रिलीज करेंगे, जिस तरह सेंसर बोर्ड ने इसे पहले सील किया है। MP हाईकोर्ट में पहले से यह मामला था जबलपुर सिख संगत ने फिल्म इमरजेंसी और इसके ट्रेलर पर आपत्ति जताते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका लगाकर इसे बैन करने की मांग की थी। उनका कहना था कि फिल्म के जरिए सिख समुदाय की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। इस पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड को फिल्म को मंजूरी देने से पहले इसकी आपत्तियों पर विचार करने के आदेश दिए थे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने तुरंत आदेश देने से इनकार किया बॉम्बे हाईकोर्ट ने 4 सितंबर की सुनवाई में कहा था कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट CBFC को पहले ही आदेश दे चुका है, ऐसे में वह अभी इस पर कोई आदेश नहीं दे सकता। कोर्ट ने मेकर्स से कहा- ‘हम आपके साथ हैं, काश आपने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सामने भी इसी तरह जोरदार तरीके से तर्क दिया होता तो ऐसा नहीं हो सकता था कि सेंसर बोर्ड के चेयरमैन साइन नहीं करते। आखिर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि वे मेकर्स की याचिका को खारिज नहीं कर रहे हैं। अगर इसमें एक हफ्ते की देरी होती है तो कोई आसमान नहीं गिरेगा। मेकर्स को पहले ये दलीलें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सामने रखनी चाहिए थीं। ट्रेलर रिलीज के बाद से ही फिल्म इमरजेंसी विवादों में है। पंजाब में फिल्म को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन चल रहा है। फिल्म के ट्रेलर में खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले को दिखाए जाने के बाद कंगना को जान से मारने की धमकियां भी मिल रही हैं।

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