हर दिन 450 शॉट खेलते थे वैभव सूर्यवंशी:गुजरात के खिलाफ 35 बॉल पर शतक लगाया; कोच बोले- ऐज पर सवाल उठाना बंद करो
14 साल के वैभव सूर्यवंशी ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ 35 बॉल पर शतक जमाया। उन्होंने 38 बॉल की पारी में 7 चौके और 11 छक्के लगाए। उनकी यह पारी कई वर्षों की मेहनत का फल है। वे हर अपने शॉट को परफेक्ट करने के लिए हर दिन 400 से 450 शॉट खेलते थे। वैभव की बैटिंग पर उनके कोच मनीष ओझा कहते हैं कि उनका बैट फ्लो देखकर ऐसा नहीं लगता है कि उनके पास अनुभव की कमी है। उसने गुजरात के खिलाफ हर गेंदबाज को बेहतर तरीके से खेला और चौके-छक्के जड़े। यह अचानक नहीं था, इस पर वर्षो से काम किया गया है। उनका बैट लिफ्ट काफी ऊपर है और डाउनसिंग काफी लंबा है। बैक लिफ्ट, बैक फुट और माइंड सेट सहित कई चीजों पर काफी सालों से काम किया गया है।’ मनीष ने भास्कर से वैभव के संघर्ष, प्रैक्टिस और करियर के शुरुआती दिनों पर बातचीत की वैभव के लिए अटैकिंग खेलना नया नहीं है। वह वैभव शुरू से ही अटैकिंग खेलते हैं। आप पहले मैच से ही देखा होगा कि वे इसी एप्रोच से खेलते हैं। मैच से पहले कोच ने कहा था ज्यादा समय क्रीज पर रहना
गुजरात के खिलाफ मैच से पहले वैभव ने कोच मनीष ओझा से बात की थी। कोच ने वैभव से कहा था- ज्यादा से ज्यादा समय क्रीज पर रहना है। आप 40 गेंद तक ग्राउंड में रहते हैं तो अपने गेम को ट्रांसफार्म कर देंगे। आपको ज्यादा समय मिलने पर अपना परफॉर्मेंस दे पाएंगे। पिछले मैच में वैभव 16 रन पर आउट हो गए थे। ऐज फ्राड के सवाल पर कहा- ऐज पर सवाल उठाना बंद करो
ऐज फ्राड से जुड़े सवाल पर वैभव के कोच ने कहा कि उनके ऐज को लेकर सवाल उठाना बंद करें। वे देश का एसेट हैं। हम सबकी जिम्मेदारी है कि उसे संभालें। उन्हें BCCI से क्लिन चीट मिल चुकी है। बोर्ड ने उसे ऐज ग्रुप में खेलने का मौका दिया। BCCI इतनी बड़ी संस्था हैं, वह गलत रहता तो उसे खेलने का मौका नहीं मिलता। उसने सारे डॉक्यूमेंट्स प्रूफ दिए हैं। इतना ही नहीं, उसका बोर्न टेस्ट भी हो चुका है। वहां से भी क्लियरेंस मिल चुकी है। भारत में सभी को आजादी है कि सवाल करने का। अब हर किसी को प्रूफ तो नहीं देंगे। मै वैभव से भी यही कहना चाहूंगा कि वह अपने खेल पर फोकस करें। इन सब चीजों पर ध्यान न दें। समस्तीपुर से पटना आकर 5 से 6 घंटा प्रैक्टिस करते थे वैभव
कोच ने बताया कि वैभव समस्तीपुर से एक दिन का गैप करके प्रैक्टिस के लिए पटना आते थे। वे 7.30 बजे मेरे पास पटना आ जाते थे। यहां अकादमी में वह 5 से 6 घंटे प्रैक्टिस करते थे। वे रोजाना 400 से 450 बॉल पर शॉट खेला करते थे। इसमें नेट सेशन, थ्रो डाउन, बॉलिंग मशीन और स्पेशली टारगेटिंग बॉलिंग सेशन होता था। जब यहां नहीं आते थे, तब घर पर ही प्रैक्टिस करते थे। पिता उसके क्रिकेट खेले हैं, उनके पास बेसिक नॉलेज है। ऐसे में प्रैक्टिस में हम जो करवाते थे, उसे वह छुट्टी वाले दिन समस्तीपुर में ही करवाते थे। वह घर के पास ही विकेट बनाय है। कभी वहां तो कभी समस्तीपुर स्थित लोकल क्रिकेट अकादमी में जाते थे। वैभव अगले टी-20 वर्ल्ड कप में टीम में दिख सकते हैं
कोच बोले की उम्मीद है कि वैभव अगले टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया में दिख सकते हैं। जिस तरह से वह खेल रहे हैं और अपना पॉजिटीव एट्ीयूट दिखाया है। मुझे लगता है कि जल्द ही वह टी-20 में टीम इंडिया का हिस्सा बन सकते हैं। पिता ने कर्ज लेकर क्रिकेटर बनाया कोच बताते हैं कि वैभव और उसके पिता करियर को लेकर एकदम क्लियर थे कि क्रिकेट में आगे बढ़ना है। वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी खुद क्रिकेट खेलते थे, लेकिन सुविधाओं के अभाव में आगे नहीं बढ़ सके। फिर छोटे बेटे में अपना अधूरा सपना पूरा होते देखा। तो वैभव को क्रिकेटर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके लिए उन्हें कई बार उन्हें कर्ज भी लेना पड़ा। उन्होंने वैभव को पहले समस्तीपुर की अकादमी में ट्रेनिंग कराई। फिर मेरे पास लेकर आए, तब वैभव साढ़े आठ साल के रहे होंगे। उनकी मां आरती जल्दी उठकर वैभव के लिए नास्ता तैयार करती थीं। वैभव ने खुद मैच के बाद बताया कि वे रात 11 बजे सोती थी और तीन घंटे के बाद उठ जाती थी, क्योंकि मुझे सुबह 4 बजे प्रैक्टिस के लिए निकलना होता था।