Friday, July 18, 2025
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स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा तीन गुना हुआ:2024 में ₹37,600 करोड़ पहुंचा, ये पैसा बैंकों-वित्तीय संस्थानों का; स्विट्जरलैंड बोला- यह काला धन नहीं

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स्विस बैंकों में भारतीयों की ओर से जमा किया जाने वाला पैसा 2024 में तीन गुना से ज्यादा बढ़कर 3.5 अरब स्विस फ्रैंक (लगभग 37,600 करोड़ रुपए) तक पहुंच गई। स्विट्जरलैंड के सेंट्रल बैंक, स्विस नेशनल बैंक (SNB) के नए डेटा के मुताबिक, ये 2021 के बाद सबसे ज्यादा है। SNB ने कल यानी 19 मई को ये आंकड़ा जारी किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बढ़ोतरी का ज्यादातर हिस्सा बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन के जरिए आया है, न कि पर्सनल अकाउंट्स से। इंडिविजुअल कस्टमर्स के खातों में जमा राशि में केवल 11% की बढ़ोतरी हुई, जो 346 मिलियन स्विस फ्रैंक (लगभग 3,675 करोड़ रुपए) है। ये कुल राशि का दसवां हिस्सा है। स्विट्जरलैंड बोला इस पैसे को ‘काला धन’ मानना सही नहीं 2023 में भारतीयों का पैसा 70% घटकर 1.04 अरब स्विस फ्रैंक (करीब ₹11 हजार करोड़) के चार साल के निचले स्तर पर पहुंच गया था। स्विस अधिकारियों का कहना है कि इस पैसे को ‘काला धन’ मानना सही नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि वह भारत के साथ टैक्स चोरी रोकने में सहयोग कर रहे हैं। 2018 से भारत और स्विट्जरलैंड के बीच एक समझौता है, जिसके तहत भारतीय खातों की जानकारी हर साल शेयर की जाती है। इंडिविजुअल भारतीयों के जमा और लोन 2024 में 6% बढ़ा बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के आंकड़ों के मुताबिक, इंडिविजुअल भारतीयों के जमा और लोन 2024 में 6% बढ़कर 74.8 मिलियन डॉलर (लगभग 650 करोड़ रुपए) हो गए। वैश्विक रैंकिंग में भारत 48वें स्थान पर पहुंच गया, जो 2023 में 67वां था। स्विस बैंक क्या है? स्विट्जरलैंड में मौजूद वे बैंक हैं, जो अपनी सख्त गोपनीयता (प्राइवेसी) और सिक्योरिटी के लिए जाने जाते हैं। इन बैंकों में लोग अपने पैसे इसलिए भी जामा करते हैं क्योंकि इनके खातों की जानकारी किसी को नहीं दी जाती अकाउंट होल्डर के देश और सरकार को भी नहीं। ये बैंक अपने कस्टमर डिटेल गुप्त रखते हैं और अकाउंट को केवल एक नंबर (कोड) से पहचाना जाता है, जिसे ‘नंबर्ड अकाउंट’ कहते हैं। इस वजह से ये बैंकों को दुनिया भर के अमीर लोग, कारोबारी, और कभी-कभी गलत काम करने वाले लोग भी अपने पैसे रखने के लिए चुनते हैं। 17वीं सदी में हुई थी स्विस बैंक की शुरुआत स्विस बैंक की शुरुआत 17वीं सदी में हुई थी, और 1713 में स्विट्जरलैंड में गोपनीयता के सख्त कानून बनाए गए। 1998 में यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड और स्विस बैंक कॉर्पोरेशन के मिलने से UBS बना, जिसे लोग आज ‘स्विस बैंक’ के नाम से जानते हैं। ये बैंक पैसे जमा करने के साथ-साथ इन्वेस्टमेंट और फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए भी जाने जाते हैं। भारत के साथ स्विस बैंक का विवाद भारत में स्विस बैंक का नाम सुनते ही काले धन की बात दिमाग में आती है। काला धन यानी वो पैसा जो टैक्स चोरी, भ्रष्टाचार या गैरकानूनी तरीकों से कमाया गया हो। स्विस बैंकों की गोपनीयता की वजह से कई लोग इसे काला धन छिपाने की ‘सबसे सुरक्षित तिजोरी’ मानते हैं। भारत में इससे जुड़े कई विवाद हैं…

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