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स्मार्टफोन से हिंदू आस्था का डिजिटल उदय:धा​र्मिक स्टार्टअप्स में निवेश 1 साल में 10 गुना हुआ, दर्शन से पूजा तक ऑनलाइन

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भारतीय मूल की खुशबू (बदला हुआ नाम) इन दिनों दुबई में हैं और दो महीने से ‘श्री मंदिर’ ऐप से जुड़ी हैं। उन्होंने ऐप से ज्योतिषी की सलाह पर भारत के मंदिरों में वर्चुअल पूजा रखवाई है। यह ऐप 891 रु. में भारत या विदेश से श्रद्धालुओं को किसी भी मंदिर में वर्चुअल पूजा करने की सुविधा देता है। वामा ऐप पर 101 रु. में अयोध्या में दीपदान की सुविधा है। आस्था आधारित ये ऐप भारत के स्टार्टअप परिदृश्य में नया आयाम जोड़ रहे हैं। इनका लक्ष्य भारत सहित दुनियाभर में रहने वाले 110 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं को आकर्षित करना है। वामा के को-फाउंडर मनु जैन कहते हैं, ‘ऐसी सेवा का उदय स्मार्टफोन के तेज प्रसार का नतीजा है। हालांकि, ईसाई व मुस्लिम धार्मिक स्टार्टअप आंकड़ों में बहुत आगे हैं। ईसाईयों को धार्मिक सेवा दे रहे ‘यू वर्जन बाइबिल’ ऐप के 72.5 करोड़ और ‘मुस्लिम प्रो’ के 10 करोड़ डाउनलोड हैं। इन सुपर-ऐप की बराबरी के लिए हिंदू स्टार्टअप को लंबा रास्ता तय करना है।’ हिंदू स्टार्टअप्स के पास देवी-देवताओं की पूजा का विकल्प देने की सहूलियत है। इसलिए ये आस्था की बड़ी लहर लाने की शक्ति रखते हैं। इस कारोबारी मॉडल का आधार गहरी व विकसित होती धार्मिकता है। 2023 के पोलस्टर गैलप के सर्वे के अनुसार 80% भारतीय, धर्म को जीवन का अहम हिस्सा मानते हैं। वैश्विक आंकड़ा 63% है। रिसर्च फर्म आईएमएआरसी के मुताबिक भारत का धार्मिक बाजार सालाना करीब 5 लाख करोड़ (जीडीपी के 1.7% के बराबर) होने का अनुमान है। यह आंकड़ा 2032 तक दोगुने से ज्यादा होने की उम्मीद है। इसलिए इन स्टार्टअप्स को सौदा घाटे का नहीं लग रहा। ये नंबर्स भी अहम… 1 हजार स्टार्टअप धार्मिक उद्देश्य में मदद कर रहे डेटा प्रदाता ट्रैक्सन के अनुसार देश में एक हजार आस्था-आधारित भारतीय स्टार्टअप हैं। वे धार्मिक सेवाओं तक पहुंच के अलावा फोन पर पूजा, भक्ति संगीत की धुन पर ऑन-स्क्रीन फूल चढ़ाने और व्यक्तिगत कुंडली बनाना व मिलाना जैसी सेवाएं उपलब्ध कराते हैं।

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