यह एक तरीके का जंगली फल होता है. राजस्थान में विभिन्न जनजाति के लोग जंगलों से इसे तोड़कर लाते हैं और बाजार में लाकर बेचते हैं. इसके अलावा कई लोग इसकी खेती भी करते हैं. अनेकों बीमारियों और धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग के कारण बाजार में इसकी डिमांड हमेशा रहती है.