रतन टाटा के बाद सौतेले भाई नोएल संभालेंगे टाटा ट्रस्ट:टाटा फैमिली के मेंबर, पारसी कम्युनिटी की पसंद; 40 साल से ग्रुप से जुड़े हैं
66 साल के नोएल टाटा अब ‘टाटा ट्रस्ट’ के चेयरमैन होंगे। वे रतन टाटा सौतेले भाई हैं। 9 अक्टूबर को रतन के निधन के बाद नोएल इकलौते दावेदार थे। हालांकि उनके भाई जिम्मी का नाम भी चर्चा में था, लेकिन वे पहले ही रिटायर हो चुके हैं। मुंबई में ट्रस्ट की मीटिंग में नोएल के नाम पर सहमति बनी। उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। नोएल को ही क्यों चुना गया….5 वजह नवल टाटा की दूसरी पत्नी के बेटे हैं नोएल
नोएल नवल टाटा की दूसरी पत्नी सिमोन के बेटे हैं। वहीं रतन टाटा और जिम्मी टाटा नवल और उनकी पहली पत्नी सूनी की संतान हैं। नोएल ने टाटा इंटरनेशनल से अपने करियर की शुरुआत की नोएल ने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स से पढ़ाई की है। नोएल ने टाटा इंटरनेशनल से अपने करियर की शुरुआत की। 1999 में वे ग्रुप की रिटेल शाखा ट्रेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर बनाए गए। इसे उनकी मां सिमोन ने शुरू किया था। 2010-11 में उन्हें टाटा इंटरनेशनल का चेयरमैन बनाया गया। इसके बाद उनके ग्रुप के चेयरमैन बनाए जाने पर चर्चा शुरू हो गई। इस बीच सायरस मिस्त्री ने खुद टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाए जाने की बात कही। इसके बाद सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया और रतन टाटा ने ग्रुप की कमान संभाली। 2018 में उन्हें टाइटन का वाइस चेयरमैन बनाया गया और 2017 में उन्हें ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किया गया। ₹13.8 लाख करोड़ के रेवेन्यू वाले टाटा ग्रुप में टाटा ट्रस्ट की 66% हिस्सेदारी
टाटा ट्रस्ट की अहमियत और आकार इस तरह समझ सकते हैं कि यह टाटा ग्रुप की परोपकारी संस्थाओं का समूह है। ये 13 लाख करोड़ रुपए के रेवेन्यू वाले टाटा ग्रुप में 66% की हिस्सेदारी रखता है। टाटा ट्रस्ट में सर रतन टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और एलाइड ट्रस्ट शामिल हैं। गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने वाले ये ट्रस्ट, रतन टाटा की विरासत का अभिन्न अंग हैं। रतन टाटा के निधन से जुड़ी खबरें… 3 नावों में ईरान से भागकर भारत आए:खुले में छोड़ देते हैं बिना कफन के शव; रतन टाटा की पारसी कम्युनिटी की कहानी टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 9 अक्टूबर की रात 11:30 बजे निधन हो गया था। वे पारसी समुदाय से ताल्लुक रखते थे। इस कम्युनिटी में शवों को जलाने या दफनाने का नहीं, बल्कि बिना कफन खुले में छोड़ देने का रिवाज रहा है, जहां गिद्ध जैसे पक्षी शव को नोच-नोचकर खा जाते हैं। जिस जगह शव को रखा जाता है उसे ‘टावर ऑफ साइलेंस’ कहा जाता है। हालांकि रतन टाटा का अंतिम संस्कार वर्ली के इलेक्ट्रिक अग्निदाह में किया गया। पूरी खबर यहां पढ़ें… पद्म विभूषण रतन टाटा नहीं रहे: बचपन में माता-पिता अलग हुए, दादी ने परवरिश की भारत के सबसे पुराने कारोबारी समूह के मुखिया रतन टाटा का बुधवार रात 11:30 बजे निधन हो गया। वे टाटा संस के मानद चेयरमैन थे। उन्होंने 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली। उन्हें बुधवार को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 7 अक्टूबर को भी उनके अस्पताल जाने की खबर आई थी, लेकिन उन्होंने पोस्ट करके कहा था कि वे ठीक हैं और चिंता की कोई बात नहीं है। पूरी खबर यहां पढ़ें…