Wednesday, July 9, 2025
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‘मां लगाती थीं झाड़ू-पोंछा, पापा बेचते थे नारियल पानी’:कान्स जाने से पहले नर्वस थे विशाल जेठवा, बोले- इंग्लिश को लेकर था डर

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एक्टर विशाल जेठवा, जिनकी फिल्म ‘होमबाउंड’ हाल ही में कान्स फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई, उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि इस इवेंट में जाने से पहले वो काफी घबराए हुए थे। उन्होंने कहा कि वो इतनी टेंशन में थे कि लगभग कान्स नहीं जाने का फैसला कर लिया था। विशाल जेठवा ने कहा, “मैं बहुत डर गया था, वहां जाने से पहले ही बहुत नर्वस था। मुझे हमेशा से एक डर रहा है, मैं लोगों से इंग्लिश में कैसे बात करूंगा? मुझे उस माहौल की आदत नहीं थी और मेरे साथ जो लोग जा रहे थे, वे सब बहुत अनुभवी थे। मुझे डर था कि मैं सबके सामने खुद को कैसे प्रेजेंट करूंगा। यहां तक कि जाने से पहले मैं इतना लो फील कर रहा था कि मैंने सोचा रहने दो, मैं नहीं जा रहा हूं।” बातचीत और मोटिवेशन से लौटा विशाल का आत्मविश्वास विशाल ने आगे बताया, “मुझे इस बात की चिंता नहीं थी कि मैं क्या खो दूंगा, मैंने तो मानो तय कर लिया था, लेकिन जब कुछ लोगों से बात हुई, जिन्होंने मुझे समझाया और मोटिवेट किया, तब मेरा आत्मविश्वास खुद-ब-खुद लौट आया। जब मैं वहां पहुंचा, तो एक अलग सी एनर्जी महसूस हुई। मेरे कपड़े पहनने से पहले मैंने अपना आत्मविश्वास पहन लिया था और वही सबसे जरूरी चीज थी। इसलिए जब मैं वहां था, तो हर पल को जी रहा था, क्योंकि मेरे पास खोने को कुछ नहीं था।” मां करती थीं झाड़ू-पोंछा, पापा बेचते थे नारियल
परिवार और साधारण शुरुआत पर बात करते हुए विशाल ने बताया कि वो एक बहुत साधारण परिवार से आते हैं। उन्होंने कहा, “मेरी बहन ने जाते वक्त कहा था, ‘इतना स्ट्रेस मत ले, तू एक घरेलू नौकरानी का बेटा है।’ मेरी मां दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा करती थी। वो सुपरमार्केट में सैनिटरी पैड्स तक बेचती थी। मेरे पापा नारियल पानी बेचते थे। मैंने ये सब देखा है।” विशाल ने आगे ये भी बताया, “आज मेरी जिंदगी काफी बदल गई है, लेकिन मैं कभी-कभी भूल जाता हूं कि प्रिविलेज कितनी बड़ी चीज है। हम सोचते हैं कि प्रिविलेज सिर्फ फायदेमंद होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। प्रिविलेज के साथ जिम्मेदारी भी आती है।” नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद पर बोलते हुए विशाल जेठवा ने कहा, “मेरे को-एक्टर्स (‘होमबाउंड’ में) ईशान खट्टर और जाह्नवी कपूर के पास प्रिविलेज था। हम मानते हैं कि जिनके पास मौके हैं, उनकी जिंदगी आसान है, लेकिन ऐसा नहीं है। उन्हें भी उतनी ही मेहनत करनी पड़ती है। कई प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के बच्चे आए और चले गए, सब सफल नहीं हो पाए। बात ये है कि ऑडियंस किसे स्वीकार करती है।” प्रिविलेज के सिर्फ फायदे नहीं, नुकसान भी होते हैं – विशाल विशाल ने ये भी कहा, “हमें वो मौके नहीं मिलते जो उन्हें मिलते हैं, लेकिन हमें खुद को साबित करने के लिए एक्स्ट्राऑर्डिनरी काम करना पड़ता है। यह कोई शिकायत नहीं है, सिर्फ एक सच्चाई है क्योंकि जब आप मेहनत से आगे बढ़ते हैं, तभी लोग आपके साथ फोटो खिंचवाना चाहते हैं।” विशाल ने आगे कहा. “हम सोचते हैं कि उनके संघर्ष अलग हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उनके संघर्ष छोटे हैं। अगर कल मेरे एक बेटा होता है, तो उसे ‘जेठवा’ सरनेम मिलेगा और ये सरनेम उसे कुछ फायदे भी देगा और कुछ नुकसान भी। प्रिविलेज ऐसा ही होता है।”

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