Friday, July 18, 2025
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भारत ने बांग्लादेश से जूट-प्रोडक्ट के इंपोर्ट पर पाबंदी लगाई:अब सिर्फ महाराष्ट्र के एक बंदरगाह से एंट्री होगी; इस फैसले से भारतीय जूट इंडस्ट्री को फायदा होगा

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भारत ने बांग्लादेश से जूट और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट पर पाबंदी लगा दी है। यह फैसला दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के चलते लिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब बांग्लादेश से जूट प्रोडक्ट्स सिर्फ महाराष्ट्र के न्हावा शेवा बंदरगाह के जरिए ही भारत में आ सकेंगे। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के तहत काम करने वाले डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने शुक्रवार को इस बारे में नोटिफिकेशन जारी किया था। सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश से जूट के इंपोर्ट पर यह पाबंदी इसलिए लगाई गई है। क्योंकि वहां से सस्ते और सब्सिडी वाले जूट प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट से भारत की जूट इंडस्ट्री लंबे समय से नुकसान झेल रही है। दरअसल, साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया (SAFTA) के तहत बांग्लादेश से जूट प्रोडक्ट्स को भारत में बिना ड्यूटी के इंपोर्ट की छूट है। लेकिन बांग्लादेश सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और वहां के एक्सपोर्टर्स द्वारा गलत तरीकों का इस्तेमाल, जैसे- गलत लेबलिंग, ड्यूटी से बचने के लिए टेक्निकल छूट का दुरुपयोग और ज्यादा सब्सिडी हासिल करने के लिए गलत घोषणाएं। बांग्लादेश से आने वाले जूट प्रोडक्ट्स पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई यह सभी बातें भारतीय जूट इंडस्ट्री के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। इसके जवाब में भारत की डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ एंटी-डंपिंग एंड एलाइड ड्यूटीज (DGAD) ने जांच की और बांग्लादेश से आने वाले जूट प्रोडक्ट्स पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई। लेकिन इसके बावजूद इंपोर्ट में खास कमी नहीं आई। बांग्लादेश से जूट प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट सिर्फ न्हावा बंदरगाह से होगा अब सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए यह फैसला लिया है कि बांग्लादेश से जूट प्रोडक्ट्स का इंपोर्ट केवल न्हावा शेवा बंदरगाह से ही होगा। एक सूत्र ने बताया, ‘इस कदम से गलत लेबलिंग और धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही क्वालिटी चेक को और मजबूत किया जाएगा, ताकि अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस पर लगाम लगे।’ यह फैसला भारतीय जूट इंडस्ट्री के लिए राहत भरा हो सकता है इसके अलावा सरकार यह भी सुनिश्चित कर रही है कि बांग्लादेश के एक्सपोर्टर्स किसी अन्य देशों के रास्ते से इन पाबंदियों को नजरअंदाज न कर सकें। यह कदम आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में जूट इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की आजीविका को बचाने के लिए उठाया गया है। यह फैसला भारतीय जूट इंडस्ट्री के लिए राहत भरा हो सकता है, जो लंबे समय से विदेशी इंपोर्ट के दबाव में थी।

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