भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग का मामला:पूर्व CEC कुरैशी बोले- रिपोर्ट रत्ती भर सच नहीं; BJP का चुनाव में बाहरी घुसपैठ का आरोप
भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने उस रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया था 2012 में उनके मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) रहते चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी फंडिंग का इस्तेमाल किया गया था। कुरैशी ने यह बयान बीजेपी प्रवक्ता अमित मालवीय के आरोप पर दिया है। मालवीय का कहना था कि 2012 में एसवाई कुरैशी के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (IFES) के साथ एक MoU साइन किया था। ये संस्था जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा है। इसे मुख्य तौर पर USAID से आर्थिक मदद मिलती है। अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्टी और जॉर्ज सोरोस पर भारतीय चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। मस्क के फंडिंग बंद करने से शुरू हुआ विवाद
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब राष्ट्रपति ट्रम्प के सहयोगी इलॉन मस्क के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने भारतीय चुनाव में दी जाने वाली 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपए) की फंडिंग रद्द कर दी है। कुरैशी बोले- रिपोर्ट में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं कुरैशी ने कहा- ”2012 में मेरे चुनाव आयुक्त रहते अमेरिकी एजेंसी की तरफ से भारत में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए करोड़ों डॉलर की फंडिंग वाली मीडिया रिपोर्ट में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।” SY कुरैशी ने बताया कि जब वे 2012 में मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तब IFES के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) साइन हुआ था। चुनाव आयोग ने ऐसा ही समझौता कई अन्य एजेंसियों और इलेक्शन मैनेजमेंट बॉडीज के साथ किया था। यह समझौता इसलिए किया था गया था ताकि चुनाव आयोग के ट्रेनिंग और रिसोर्स सेंटर यानी इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (IIIDEM) में इच्छुक देशों को ट्रेनिंग दी जा सके। कुरैशी ने कहा कि MoU में साफ तौर से कहा गया था कि किसी भी पक्ष पर किसी भी तरह की वित्तीय और कानूनी जिम्मेदारी नहीं होगा। यह शर्त दो अलग-अलग जगह पर रखी गई थी, ताकि किसी भी अस्पष्टता की गुंजाइश न रहे। इस MoU को लेकर किसी भी तरह धनराशि का जिक्र पूरी तरह से झूठ। बता दें कि MoU दो या दो से ज्यादा पक्षों के बीच हुए समझौते का दस्तावेज ज्ञापन होता है। इस ज्ञापन में एक साझा कार्यक्रम की रूपरेखा तय की जाती है और साथ मिलकर काम करने के लिए तय की गई बातें दर्ज होती हैं। प्रधानमंत्री के सलाहकार ने बताया सबसे बड़ा स्कैम एसवाई कुरैशी के बयान के बाद पीएम मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने भी इस पर बयान दिया है। संजीव सान्याल ने कहा कि USAID इतिहास का सबसे बड़ा स्कैम है। हम यह जानना चाहेंगे कि भारत में 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपए) का फंड किसे मिला है। USAID कैसे काम करती है? अमेरिकी की यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट एजेंसी पूरी दुनिया में डेवलपमेंट कार्यों के लिए मदद देती है। इस मकसद लोकतंत्र को बढ़ावा देना और गरीबी कम करना है। इसके साथ ही यह स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास, रोजगार जुड़े कई प्रोजेक्ट्स के लिए फंडिंग देती है। —————————————- यह खबर भी पढ़ें… मस्क ने भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग रोकी:182 करोड़ मिलते थे, भाजपा बोली- कांग्रेस-सोरोस ने इलेक्शन प्रॉसेस में दखल दिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगी इलॉन मस्क ने भारत के चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग रद्द कर दी है। मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने शनिवार को ये फैसला लिया। यहां पढ़ें पूरी खबर…