भाई के 10 विकेट से कैंसर का दर्द भूली बहन:लखनऊ में आकाशदीप की बहन बोलीं- मैंने अखंड ज्योति जलाई, उसकी बातें सुन आंसू आ गए
क्रिकेटर आकाशदीप ने एजबेस्टन टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ 10 विकेट लिए। यह मैच भी भारत बड़े अंतर से जीता। मैच जीतने के बाद आकाशदीप ने अपने इस प्रदर्शन को कैंसर से जूझ रही बहन अखंड ज्योति सिंह को समर्पित किया। अखंड ज्योति का लखनऊ में इलाज चल रहा है। वह मां के साथ यहीं हैं। आकाशदीप के यह बताने के बाद भास्कर ने आकाशदीप की बहन से बात की। बहन अखंड ज्योति ने बताया- आकाशदीप को हम लोगों ने टीवी पर देखा। उसके अच्छे प्रदर्शन से पूरा परिवार खुश है। उसने जब बताया कि उसका प्रदर्शन मुझे समर्पित है, तब से मेरे आंसू नहीं रुक रहे। मैंने उसके बेहतर प्रदर्शन के लिए अखंड ज्योति जलाई है। घर में सब लोगों ने एक साथ पूजन-हवन किया। यह सब उसके प्रदर्शन के लिए था और उसने प्रदर्शन मुझे बीमारी से उबरने के लिए किया। इंडिया की जीत और भाई आकाशदीप के अच्छे प्रदर्शन की खुशी में एक पल के लिए अपनी बीमारी का दुख भूल गई। मुझे कैंसर का दर्द महसूस नहीं हुआ। अखंड ज्योति ने भाई आकाशदीप के बारे में जो कुछ बताया, पढ़ेंगे इस रिपोर्ट में… पहले पढ़िए आकाशदीप ने इंग्लैंड से जो कहा… मेरी बहन कैंसर से पीड़ित है। हर बार जब गेंद अपने हाथ में लेता था तो उसके विचार मेरे दिमाग में आते। दो महीने पहले मेरी बहन को कैंसर का पता चला था। वह मेरे प्रदर्शन से बहुत खुश होगी और उसके चेहरे पर मुस्कान आएगी। जब भी गेंद हाथ मे लेता हूं तो उसके विचार, तस्वीर मेरे दिमाग में आ जाती है। यह प्रदर्शन उसे ही समर्पित है। मैं उसे बताना चाहता हूं कि बहन, हम सब तुम्हारे साथ हैं।’ घर में चला पूजन-हवन का दौर करीब 7000 किलोमीटर दूर जब आकाशदीप इंग्लैंड के खिलाड़ियों के विकेट उड़ा रहे थे तब लखनऊ में उनकी मां लड्डूमा देवी और कैंसर से पीड़ित बहन अखंड ज्योति सिंह घर में हवन-पूजन कर रही थीं। इसके साथ ही टीवी पर आकाशदीप की परफॉर्मेंस देखकर सभी लोग प्राउड फील कर रहे थे। अब पढ़िए, बहन अखंड ज्योति ने जो बताया… भाई पर फख्र है, वह देश का नाम रोशन करता रहे आकाशदीप की कैंसर से पीड़ित बहन और मां से भास्कर रिपोर्टर ने टेलिफोनिक बात की। बहन अखंड ज्योति सिंह ने बताया- मैं खुद को बहुत गौरवान्वित की महसूस कर रही हूं। मेरे भाई ने अपनी जिंदगी के सबसे बड़े अचीवमेंट को मुझे समर्पित कर दिया। भाई का स्टेटमेंट जब टीवी पर सुना तो बहुत भावुक हो गई। खुद को संभालते हुए आंसू पोंछे और दिल से प्रार्थना निकली कि मेरा भाई ऐसे ही देश का नाम रोशन करता रहे। भाई जब क्रिकेट खेल रहा था तो हम लोग यहां प्रार्थना कर रहे थे। जितने दिन इंग्लैंड और इंडिया के बीच मैच चला घर में अखंड ज्योति भी जलती रही। जब मेरा भाई विकेट ले रहा था तो हम लोग यहां पर तालियां बजाकर जश्न मना रहे थे। इस खुशी के बीच मैं अपनी बीमारी का दुख एकदम भूल गई थी। मां बोलीं- बेटे ने सिर ऊंचा कर दिया आकाशदीप की मां लड्डूमा देवी ने कहा- आज बेटे के प्रदर्शन से बहुत खुशी है। उसने देश का नाम रोशन किया। हमें अपने बेटे पर गर्व है। उसकी मेहनत देश के काम आई। उसने भारत की जीत में जो भूमिका निभाई है उससे हमारा सिर ऊंचा हो गया। बेटे ने टीम इंडिया को जीत में योगदान देकर हमारा सपना पूरा किया है। मैं चाहती थी कि बेटा टीम इंडिया के खेले और बड़ी जीत दिलाए। आखिरकार उसने यह कर दिखाया। वह दिन देख लिया जिसका बरसों से इंतजार था। 10 विकेट लेकर रचा इतिहास आकाशदीप ने इंग्लैंड में 187 रन देकर 10 विकेट लिए। रविवार को दूसरे टेस्ट के पांचवें और अंतिम दिन इंग्लैंड को 336 रन से हराकर एजबेस्टन में 58 साल पुराने मिथक को तोड़ते हुए ऐतिहासिक जीत हासिल की। आकाश दीप कि धारदार इन-कटर के सामने जो रूट, बेन डकेट, ओली पोप और हैरी ब्रुक जैसे खिलाड़ी चकमा खाते हुए चित नजर आए। बता दें कि आकाशदीप ने फरवरी 2024 में इंग्लैंड खिलाफ ही डेब्यू किया था। 23 फरवरी को रांची में खेले गए चौथे टेस्ट की पहली पारी के पहले ही सेशन में 3 टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों को आउट किया था। इस तरह से आकाशदीप ने मैच में बनाई जगह आकाशदीप को पहले मैच में प्लेइंग-11 में मौका नहीं मिला था, लेकिन इस बार बुमराह की गैरहाजिरी में इन्होंने दोनों पारियों में बेहतरीन गेंदबाजी की। पहली पारी में आकाशदीप ने 88 रन देकर 4 विकेट लिए। वहीं, दूसरी पारी में इन्होंने 99 रन देकर 6 विकेट लिए। आकाशदीप ने अपनी सीम मूवमेंट से पूरे मैच में इंग्लैंड के बल्लेबाजों को परेशान रखा। नई गेंद से उन्होंने दोनों पारियों में भारतीय टीम को ब्रेक-थ्रू दिलाए। बिहार के सासाराम से टीम इंडिया तक का सफर आकाशदीप का जन्म 15 दिसंबर 1996 को बिहार के देहरी, सासाराम में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही क्रिकेट को अपना सपना बनाया, लेकिन इस राह में उन्हें काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। जब बिहार क्रिकेट एसोसिएशन निलंबित था, तब उनके पास कोई मंच नहीं था। पड़ोसियों तक ने अपने बच्चों को आकाश से दूर रहने की सलाह दी थी, ताकि उनके बच्चे पढ़ाई छोड़ क्रिकेट की राह पर न चले जाएं। पिता चाहते थे, बेटा सरकारी नौकरी करे आकाशदीप के पिता स्व. रामजी सिंह शारीरिक शिक्षक थे, जबकि माता लड्डूमा देवी गृहिणी हैं। उनका परिवार गांव में खेती-बाड़ी करता है। उनके पिता रामजी सिंह चाहते थे कि बेटा सरकारी नौकरी करे। उन्होंने आकाश को चपरासी या कॉन्स्टेबल बनने की सलाह दी थी। लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। आकाश अक्सर छुप-छुपकर क्रिकेट खेला करते थे। साल 2015 में लकवा मारने के कारण पिता और बड़े भाई की छह महीने के अंदर मौत के बाद आकाश परिवार के कमाने वाले एकमात्र सदस्य बन गए थे। आकाश इन कठिन परिस्थितियों में 3 साल तक क्रिकेट से दूर रहे थे। लेकिन बाद में घर चलाने के लिए उन्होंने क्रिकेट की ही मदद ली थी। बंगाल में घर चलाने के लिए क्रिकेट को बनाया पेशा शुरुआत में आकाश अपनी बहन के साथ दिल्ली चले गए थे। यहां से उन्होंने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की। फिर बंगाल में क्लब क्रिकेट खेला। बाद में घरेलू क्रिकेट में बंगाल का प्रतिनिधित्व भी किया। घर खर्च के लिए देते थे 25 हजार घर का खर्च चलाने के लिए आकाशदीप अपने एक दोस्त की मदद से दुर्गापुर में एक क्रिकेट क्लब से जुड़े। वहीं, टेनिस बॉल क्रिकेट खेलकर उन्होंने हर दिन 800 रुपए तक कमाए और महीने के करीब 25 हजार रुपए परिवार को भेजते थे। बाद में वे कोलकाता चले आए और CAB लीग में यूनाइटेड क्लब से खेले। उनकी लंबाई और गेंदबाजी की धार को देखकर कोचों ने उन्हें तेज गेंदबाज बनने के लिए प्रेरित किया। आकाशदीप को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर बैन की वजह से बंगाल जाना पड़ा था। ————————- ये खबर भी पढ़िए… यूपी में क्रिकेटर यश दयाल पर रेप की FIR : युवती बोली- शादी का झूठा वादा कर यौन शोषण किया IPL चैंपियन RCB के तेज गेंदबाज यश दयाल पर सोमवार की देर शाम रेप की FIR दर्ज हो गई। गाजियाबाद की युवती ने उन पर शादी का वादा कर यौन शोषण का आरोप लगाया था। पीड़ित ने 21 जून को सीएम योगी से शिकायत की थी। गाजियाबाद पुलिस ने एक हफ्ते पहले युवती के बयान दर्ज किए। हालांकि क्रिकेटर यश दयाल ने अभी तक अपना बयान नहीं रिकॉर्ड कराया है। (पूरी खबर पढ़िए)