Sunday, March 16, 2025
International

बांग्लादेश में यूनिवर्सिटी ने 2 हिंदू छात्रों को सस्पेंड किया:इस्लाम के अपमान का आरोप; 5 और छात्रों को सस्पेंड करने के लिए प्रदर्शन

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बांग्लादेश के ढाका में पबना यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने रविवार को इस्लाम के कथित अपमान के आरोप में दो हिंदू छात्र बिकर्ण दास दिव्या और प्रणय कुंडू को सस्पेंड कर दिया। इसके अलावा पांच और हिंदू छात्रों को सस्पेंड करने की मांग की जा रही है। यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर डॉ. कमरुज्जमां खान के मुताबिक दोनों छात्रों के खिलाफ पिछले शुक्रवार को आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद तुरंत कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, लेकिन उनके जवाब संतोषजनक नहीं थे। मामला सुलझाने के लिए यूनिवर्सिटी के डिसिप्लिन बोर्ड ने एक इमरजेंसी बैठक बुलाई थी। शनिवार को फार्मेसी डिपार्टमेंट के 5 अन्य छात्र विद्युत सरकार, सुवर्ण सरकार, दीपू बिस्वास, तनय सरकार और अंकन घोष के कुछ वॉट्सएप चैट्स सोशल मीडिया पर लीक हो गए थे। आरोप है कि ये पांचों स्टूडेंट्स कथित तौर पर इस्लाम के बारे में अपमानजनक टिप्पणी कर रहे थे। इस मामले के सामने आते ही यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट्स ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और इन पांचों को तत्काल सस्पेंड करने की मांग करने लगे। 24 घंटे में लिया जाएगा बाकी 5 स्टूडेंट्स पर फैसला
स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी के मेन गेट और एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिस पर ताला लगा दिया। रविवार दोपहर करीब 2.30 बजे यूनिवर्सिटी प्रॉक्टर ने स्टूडेंट्स से बात की और दो हिंदू स्टूडेंट्स को अस्थाई तौर पर सस्पेंड कर दिया। उन्होंने यह भी कहा की फार्मेसी डिपार्टमेंट के पांच हिंदू छात्रों के मामले में 24 घंटे के अंदर फैसला लिया जाएगा। इसके बाद स्टूडेंट्स ने अपना विरोध प्रदर्शन खत्म कर दिया और गेट खोल दिए। हिंदू धार्मिक स्थलों को लगातार निशाना बनाया जा रहा
बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना सरकार गिरने के बाद से भारत विरोधी भावनाओं को बल मिला है। इसके अलावा अल्पसंख्यकों से जुड़े धार्मिक स्थलों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। हिंदू नेताओं को धमकियां मिल रही हैं। इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर से पुलिस हिरासत में हैं। आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट
बांग्लादेश में 5 जून को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था, इसके बाद से ही ढाका में यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट कर रहे थे। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। यह आरक्षण खत्म कर दिया गया तो छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी। देखते ही देखते बड़ी संख्या में छात्र और आम लोग प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए। इस प्रोटेस्ट के दो महीने बाद 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं। इसके बाद सेना ने देश की कमान संभाल ली।

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