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फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों बोले- भारत UNSC का स्थाई सदस्य बने:कहा-संस्था में सुधार की जरूरत; जापान, जर्मनी समेत 2 अफ्रीकी देशों की सदस्यता का समर्थन

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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने UNSC (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) में भारत की परमानेंट सीट (स्थाई सदस्यता) का समर्थन किया है। गुरुवार, 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में दिए भाषण में मैक्रों ने कहा कि फ्रांस UNSC में स्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने का समर्थन करता है। मैक्रों ने UNSC में भारत के अलावा जर्मनी, जापान, ब्राजील और 2 अफ्रीकी देशों को सदस्यता देने के लिए कहा है। उन्होंने इसे UNSC को समावेशी बनाने के लिए जरूरी कदम बताया। इसके अलावा मैक्रों ने संस्था के काम में बदलाव के लिए इसमें सुधारों की जरूरत की बात भी कही। इससे पहले 21 सितंबर को क्वाड देशों की तरफ से जारी किए गए संयुक्त बयान में भी UNSC में सुधार करने के लिए कहा था। इसमें अफ्रीकी, एशियाई, लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों को शामिल करने की बात कही गई थी। भारत UNSC में परमानेंट सीट क्यों चाहता है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है। यह UN की सबसे पावरफुल संस्था है। इस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी है। कुछ मामलों में UNSC अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने या बहाल करने के लिए प्रतिबंध लगाने या बल उपयोग करने का सहारा ले सकती है। यानी अगर भारत भी UNSC का परमानेंट मेंबर बन गया तो दुनिया के किसी भी बड़े मसले पर उसकी सहमति जरूरी होगी। सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य देश हैं, जिनमें 5 स्थायी (P-5) और 10 अस्थायी हैं। स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं। स्थायी सदस्यों में से यदि कोई भी देश किसी फैसले से असहमत होता है तो वीटो पावर का इस्तेमाल कर उसे पास होने से रोक सकता है। भारत UNSC में छठी परमानेंट सीट का सबसे मजबूत दावेदार भारत की सदस्यता में सबसे बड़ा रोड़ा चीन
UNSC के 5 परमानेंट मेंबर हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन। इनमें 4 देश भारत का समर्थन करने को तैयार हैं, लेकिन चीन नहीं चाहता कि UN की सबसे ताकतवर बॉडी पर भारत को एंट्री मिले। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कोई भी प्रस्ताव पारित करने के लिए सभी 5 स्थायी देशों का समर्थन जरूरी है। फ्रांस, अमेरिका, रूस और ब्रिटेन अपनी सहमति जता चुके हैं, लेकिन चीन अलग-अलग बहानों से भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध करता रहा है। जबकि भारत ने UNSC में चीन के परमानेंट मेंबर बनने का समर्थन किया था।

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