Tuesday, March 11, 2025
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पोलियो हुआ, समाज ताने मारने लगा, अब ब्रॉन्ज मेडल जीता:मोना ने शूटिंग से पहले 3 खेलों में हाथ अजमाया, 10 महीने बच्चों से अलग रही

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जयपुर की मोना अग्रवाल ने पेरिस पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता है, लेकिन मेडल तक पहुंचने का मोना का सफर आसान नहीं था। बचपन में पोलियो हो गया। इससे चलने में परेशानी होने लगी। समाज के ताने सुनने पड़े। अलग-अलग खेल सीखे। उनमें नेशनल लेवल तक पहुंची। 2 साल पहले शूटिंग सीखनी शुरू की। 10 महीने बच्चों से अलग रही। अब देश के लिए मेडल जीतकर सफलता हासिल की। आगे पढ़िए मोना की पूरी कहानी… मोना ने 2017 से गेम खेलना शुरू किया था। सबसे पहले मोना ने एथलेटिक्स से करियर की शुरुआत की। फिर सिटिंग वॉलीबॉल में भी हाथ आजमाया। उन्होंने सिटिंग वॉलीबॉल इंडिया की टीम भी बनाई। इसके बाद वेटलिफ्टिंग की। इस दौरान उन्होंने स्टेट और नेशनल लेवल के अवॉर्ड जीते। टोक्यो पैरालिंपिक के बाद उन्होंने अपनी फिजिकल फिटनेस को ध्यान में रखते हुए गेम में बदलाव लाने की तैयारी शुरू कर दी थी। – रविंद्र चौधरी, मोना के पति 2022 से शुरू की शूटिंग की तैयारी
रविंद्र चौधरी ने बताया- साल 2021 दिसंबर से मोना ने शूटिंग में करियर बनाने की ठानी। जनवरी 2022 से उन्होंने शूटिंग की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने शूटिंग में जी-जान लगा दी। उसी बदौलत आज वह इस मुकाम तक महज 2 साल में ही पहुंच पाई हैं। रविंद्र चौधरी ने भी सिटिंग वॉलीबॉल खेला है। फिलहाल व्हीलचेयर बास्केटबॉल का प्लेयर हूं। हम दोनों मिले, एक दूसरे से बातचीत की। परिवार की रजामंदी से लव मैरिज हुई अरेंज मेरी और मोना की मुलाकात साल 2017 में जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में एक टूर्नामेंट के दौरान हुई थी। धीरे-धीरे दोनों की बातचीत बढ़ने लगी। फिर दोस्ती हो गई। फिर लगा कि हम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं, लेकिन हम दोनों अलग-अलग जातियों से आते हैं। हम लव मैरिज करना चाहते थे। परिवार की रजामंदी के बाद शादी बहुत ही धूमधाम से हुई। – रविंद्र चौधरी, मोना के पति 10 महीनों से बच्चों से नहीं मिली मोना
रविंद्र चौधरी ने कहा- मैंने, मेरे मम्मी-पापा, मेरे भाई और भाभी ने मिलकर दोनों बच्चों को संभाला। मोना को इस बात का विश्वास दिलाया कि उनके बच्चों की अच्छी परवरिश हो रही है। मुझे और मोना दोनों को ऐसा लगता है कि सामान्य लोग जो नहीं कर पाते हैं, उससे ज्यादा हमें अपने समाज के लिए करना है। इसी सोच के साथ मैं और मोना दोनों मेहनत कर रहे हैं। मोना को बच्चों के साथ खेलना बहुत ज्यादा पसंद है। हमारे भी दो बच्चे हैं, लेकिन अपने गेम की वजह से वह बच्चों से ही पिछले 8 से 10 महीनों से नहीं मिल पाई। लगातार दिल्ली रहकर तैयारी कर रही थी। इसी बात का उन्हें सबसे ज्यादा दुख भी रहता है। – रविंद्र चौधरी रविंद्र ने बताया- शूटिंग काफी महंगा खेल है। आज मेडल जीतने के बाद तो मोना को काफी लोग पहचानने लग गए हैं। कुछ वक्त पहले तक उसे न लोग जानते थे, सरकारी मदद भी पिछले कुछ महीनों से मिल रही थी। शूटिंग बहुत ज्यादा महंगा गेम है। ऐसे में परिवार के लोग मिलकर मोना को इस खेल में आगे बढ़ाने के लिए मदद कर रहे थे। बहू को नहीं करने देती घर के काम
मोना की सास निरमा देवी ने कहा- मुझे आज अपने बेटे की पसंद पर नाज है। मोना अब जब भी घर आएगी, तब उसे मनपसंद खाना खिलाऊंगी। वैसे भी आम दिनों में मैं उसे काम नहीं करने देती। घर के सभी काम मैं ही करती हूं। उन्हें तो कभी कभार सिर्फ चाय बनाने का ही मौका मिलता है। मेरी बहू के इस कारनामे से काफी खुश हूं। उन्होंने हमारे परिवार का नाम समाज और देश में रोशन किया है। इसकी खुशी शब्दों में बयां करना काफी मुश्किल है। – निरमा देवी, मोना की सास वहीं, मोना की देवरानी सविता ने कहा- उन्होंने पूरी जान लगाकर मेहनत की थी। आज उसका परिणाम सामने आया है। उन्होंने हमारे परिवार का नाम देश में रोशन किया है। अब वह जब भी घर आएंगी तो नाच गाकर उनका स्वागत करेंगे। सीकर से है मोना का परिवार
मोना का जन्म राजस्थान के सीकर में हुआ है। पोलियो की बीमारी के कारण वह बचपन से ही चलने में असमर्थ हो गई थीं। मोना एमबीए कर चुकी हैं। झोटवाड़ा में परिवार के साथ रहती हैं। उनकी एक बेटी और एक बेटा है। पहले पैरालिंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई थीं
मोना ने पहले 2022 एशियाई पैरा खेलों और लीमा में 2023 डब्ल्यूएसपीएस चैंपियनशिप के जरिए पेरिस 2024 पैरालिंपिक के लिए क्वालिफाई करने का लक्ष्य रखा था। हालांकि, वह पैरालिंपिक के लिए क्वालिफाई करने से चूक गई थीं। इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित हुए डब्ल्यूएसपीएस विश्व कप 2024 में सफलता हासिल की। इसमें उन्होंने 250.7 का कुल स्कोर दर्ज करके स्वर्ण पदक जीता था। ये भी पढ़ें… पेरिस पैरालिंपिक में जयपुर की अवनी ने गोल्ड जीता:मोना अग्रवाल को मिला ब्रॉन्ज मेडल; लेखरा को लगातार दूसरा स्वर्ण पदक पेरिस पैरालिंपिक में भारत ने आज दो पदक जीते। जयपुर की अवनी लेखरा और मोना अग्रवाल ने आर-2 महिला 10 एम एयर राइफल एसएच-1 में गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीते। फाइनल राउंड में अवनी पहले और मोना तीसरे नंबर पर रहीं। गोल्ड पर निशाना साधने वाली अवनी ने अपना ही पैरालिंपिक रिकॉर्ड भी तोड़ा। टोक्यो पैरालिंपिक में उन्होंने 249.6 पॉइंट हासिल कर पैरालिंपिक रिकॉर्ड बनाया था। इस बार 249.7 पॉइंट हासिल कर नया रिकॉर्ड बनाया। (पूरी खबर पढ़ें)

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