Friday, March 14, 2025
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पोप की हालत में मामूली सुधार, खतरा बरकरार:ऑक्सीजन दी जा रही, प्लेटलेट्स भी घटीं; ट्रम्प ने अच्छी सेहत की कामना की

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कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस की हालत में मामूली सुधार देखने को मिला है, हालांकि खतरा अभी भी बना हुआ है। वेटिकन ने इसे लेकर बयान जारी किया है। इससे पहले बताया गया था कि पोप के किडनी फेल होने के लक्षण दिख रहे हैं। साथ ही प्लेटलेट्स की कमी का भी पता चला था। उन्हें ऑक्सीजन का हाई फ्लो दिया जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी सोमवार को पोप की अच्छी सेहत की कामना की। फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों के साथ बैठक के दौरान ट्रम्प ने कहा कि हम पोप की अच्छी सेहत की कामना करते हैं, हम चाहते हैं कि वह जल्दी ठीक हो जाएं। 88 साल के पोप फ्रांसिस फेफड़ों में इन्फेक्शन के कारण 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका निमोनिया और एनीमिया का इलाज भी चल रहा है। डॉक्टरों ने 21 फरवरी को उन्हें खतरे से बाहर बताया था और कहा था कि उनकी हालत में सुधार हो रहा है। अगले दिन अस्थमा अटैक के बाद पोप की हालत गंभीर हो गई थी। पिछले 1 हफ्ते का बड़ा घटनाक्रम… इटली की पीएम भी पोप से मिलने पहुंचीं थीं
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी 19 फरवरी को पोप से मिलने पहुंची थीं। दोनों के बीच करीब 20 मिनट की मुलाकात हुई। मुलाकात के बाद में मेलोनी ने बताया कि पोप की हालत में हल्का सुधार है और चेहरे पर मुस्कान बनी हुई है। मेलोनी ने कहा, ‘पोप और मैंने हमेशा की तरह मजाक किया। पोप ने अपना सेंस ऑफ ह्यूमर नहीं खोया है।’ पोप के भर्ती होने के बाद मेलोनी उनसे मिलने वाली पहली नेता हैं। 1000 साल में पोप बनने वाले पहले गैर-यूरोपीय
पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी हैं, वो 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। उन्हें पोप बेनेडिक्ट सोलहवें का उत्तराधिकारी चुना गया था। पोप फ्रांसिस बीते 1000 साल में पहले ऐसे इंसान हैं जो गैर-यूरोपीय होते हुए भी कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। पोप का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। पोप बनने से पहले उन्होंने जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से जाना जाता था। पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे। पोप ने अपना ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बिताया है। वे सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) के सदस्य बनने वाले और अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप हैं। उन्होंने ब्यूनस आयर्स यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की थी। साल 1998 में वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने थे। साल 2001 में पोप जॉन पॉल सेकेंड ने उन्हें कार्डिनल बनाया था। पोप फ्रांसिस के बड़े फैसले

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