Wednesday, July 9, 2025
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पेरेंट्स ने क्रेडिट कार्ड और पैसे छीने,:ऋतिक की बहन सुनैना ने कहा- जिंदगी का कोई मकसद नहीं था, आज लोगों को इंस्पायर कर रही हूं

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फिल्म मेकर राकेश रोशन की बेटी सुनैना रोशन की जिंदगी बाहर से जितनी चमकदार दिखती है। असल लाइफ में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। जंक फूड की आदत की वजह से बहुत सारा खामियाजा भुगतना पड़ा। कैंसर, फैटी लीवर और शराब की लत जैसी समस्याओं से जूझना पड़ा, लेकिन आज अपनी स्ट्रिक्ट डाइट, डिसिप्लिन लाइफ स्टाइल से सुनैना लोगों इंस्पायर कर रही हैं। हाल ही में सुनैना ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश… सवाल- आज आप अपनी स्ट्रिक्ट डाइट, डिसिप्लिन लाइफ स्टाइल से लोगों इंस्पायर कर रही हैं। यह सब कैसा किया? जवाब- पहले तो बहुत मुश्किल था। धीरे-धीरे मैंने इस पर काम करना शुरू किया और 2-3 महीने में मेरी लाइफ स्टाइल बदल गई। अभी अगर जिम नहीं जाती हूं तो लगता है कि कुछ मिस कर दिया। पहले मैं हमेशा जंक फूड ही खाती थी। मैंने कभी भी हेल्दी फूड नहीं खाया था। सवाल- ऐसा कौन सा पल था जब आपने सोचा कि अब जंक फूड से किनारा कर लेना चाहिए? जवाब- जब मुझे जौंडिस हुआ तब कुछ भी नहीं खा पा रही थी। शरीर बहुत कमजोर हो गया था। उस समय मेरा वजन कम हो गया था। डॉक्टर से सलाह ली और तय किया कि अब वजन नहीं बढ़ने दूंगी। तेल और मसाले खाने पर पाबंदी थी। तभी से मेरी लाइफ स्टाइल चेंज हो गई और जंक फूड की बजाय अपनी डाइट में हेल्दी फूड शामिल किया। सवाल- जंक फूड आदत की वजह से खा रही थीं, या कोई और वजह थी? जवाब- आदत बन गई थी। 15 साल की उम्र से कभी घर का खाना नहीं खाया था। मेरे बेडरूम में मिठाई, केक हमेशा पड़ा रहता था। यह सब खाने के चक्कर में रात को कम सोती थी। सवाल- भाई ऋतिक इंडिया के सबसे फिट स्टार हैं, पेरेंट्स भी काफी फिट रहते हैं। कोई यकीन नहीं करेगा कि आपको खाने का इतना शौक कैसे हो गया? जवाब- मैं इमोशनल ईटिंग का शिकार हो गई थी। चाह कर भी जंक फूड खाना नहीं छोड़ पा रही थी। लेकिन जब जौंडिस (पीलिया) हुआ, तब मुझे सब कुछ छोड़कर अपनी फिटनेस पर ध्यान देना ही पड़ा। भगवान ने सोचा कि यह लड़की ऐसे सुधरने वाली नहीं है, इसलिए ऐसी बीमारी दो कि खुद सुधर जाए। सवाल- सिर्फ जौंडिस ही नहीं, बचपन में भी आपको बहुत सारी भयानक बीमारियां हुईं। आम तौर पर लोग टूट जाते हैं, लेकिन आज आप अपनी फिटनेस से लोगों को इंस्पायर करती हैं? जवाब- बचपन से ही गंभीर बीमारियों से जूझ रही हूं। मुझे 2003 में ट्यूबरक्लोसिस हुआ। एक महीने तक हॉस्पिटल में थी उसके बाद चार महीने तक घर से बाहर निकलने के लिए डॉक्टर ने मना किया था। मैं भगवान से पूछती थी कि मुझे ही यह सब क्यों हो रहा है? अचानक मेरे मन में ख्याल आया कि भगवान जो सभी परीक्षा से गुजरने के लिए कहेंगे उसमें पास होऊंगी। जब यह एटीट्यूड मेरे अंदर आया, तब मैंने सोचा कि जीवन में जो भी चुनौतियां आएंगी उसका डटकर मुकाबला करूंगी। सवाल- इन सब बीमारियों के अलावा आपको कैंसर भी हुआ, उसे कैसे आपने हराया? जवाब- जब डॉक्टर ने मुझे कैंसर के बारे में बताया तब मेरे पेरेंट्स, भाई, सुजैन और परिवार के बाकी लोग बहुत टेंशन में थे। मैंने हंसते हुए कहा कि इससे लडूंगी। मैं कैंसर को सिर्फ फीवर की तरह समझकर यही सोच रही थी कि ठीक हो जाएगा। जब डैड को कैंसर हुआ तब बहुत बहुत रोई। मुझे महसूस हुआ कि यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। सवाल- जब आपको कैंसर हुआ था तब आपके लिए ऋतिक हर चीज की रिसर्च कर रहे थे? जवाब- मेरा भाई घर में सेमी डॉक्टर है। जब मुझे कैंसर हुआ तब भाई हमेशा मेरे साथ ही रहता था। रात-रात जागकर लैपटॉप खोलकर रिसर्च करता था। हर डॉक्टर से मिलकर सलाह लेता था। ऋतिक ने ही सजेक्ट किया था कि कीमोथेरेपी कौन डॉक्टर करेगा? सवाल- अल्कोहल की लत कैसे लगी, उससे कैसे छुटकारा पाया आपने? जवाब- एक ऐसा दौर था जब जिंदगी का कोई मकसद नहीं बचा था। बहुत अकेलापन महसूस कर रही थी। मैंने बीयर पीना शुरू किया फिर धीरे-धीरे आदत लग गई। मुझे याद नहीं रहता था कि किससे मिल रही हूं। मैंने मम्मी पापा को बताया कि इससे छुटकारा पाना चाहती हूं। पापा ने मेरे क्रेडिट कार्ड और सारे पैसे रख लिए। निगरानी के लिए बॉडीगार्ड रख दिए ताकि मैं कहीं ड्रिंक ना कर सकूं, लेकिन इंडिया और मुंबई जैसे शहर में तमाम पाबंदियों के बाद भी कहीं ना कहीं ड्रिंक मिल ही जाता है। मैं कहीं ना कहीं से एक बोतल बीयर का इंतजाम कर ही लेती थी। फिर मैं अमेरिका रीहैब सेंटर गई। वहां की दिनचर्या बहुत ही टफ थी। वहां 28 दिन का कोर्स करके वापस इंडिया आ गई।

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