पृथ्वी की तरफ आ रहा विशाल एस्टेरॉयड अपोफिस:अप्रैल 2029 में पृथ्वी के पास से गुजरेगा, इसे अराजकता का देवता भी कहते हैं
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने बताया है कि एक 335 मीटर लंबा एस्टेरॉयड पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। इस एस्टेरॉयड का नाम अपोफिस है, जिसे 2004 में खोजा गया था। एस्टेरॉयड अपोफिस 13 अप्रैल 2029 को पृथ्वी के नजदीक से गुजरेगा। इस दौरान इसकी पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 32 हजार किमी रहेगी। हालांकि फिलहाल अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसके पृथ्वी से टकराने की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। अपोफिस जब पृथ्वी के पास गुजरेगा, तब नासा का OSIRIS-APEX स्पेसक्राफ्ट इसका अध्ययन करेगा। इस एस्टेरॉयड को मिस्त्र के देवता ‘गॉड ऑफ कैओस’ यानी अराजकता का देवता के तौर पर भी जाना जाता है। पहले 2029 में टकराने की थी संभावना
एस्टेरॉयड अपोफिस को 2004 में अमेरिका की किट पीक नेशनल ऑब्जर्वेटरी ने खोजा था। तब यह संभावना जताई गई थी कि ये 2029 में पृथ्वी से टकरा सकता है। इसका आकार लगभग 335 मीटर यानी 1100 फीट है। इसके पृथ्वी के नजदीक सबसे खतरनाक ऑबजेक्ट्स में गिना जाता है। बाद में इसकी लगातार ट्रैकिंग और गोल्टस्टोन डीप स्पेस कम्युनिकेशन और द ग्रीक बैंक टेलीस्कोप से मिले हाई रेजोल्यूशन रडार डेटा ने इसके ऑर्बिट की मैपिंग करने में मदद की। इसके बाद इससे जुड़े खतरे कम हो गए। अपोफिस एक S टाइप एस्टेरॉयड है। यह सिलिकेट मटेरियल से बना है, जिसमें निकल और लोहा मिला हुआ है। इसका मूंगफली जैसा आकार इसके अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों को लुभाता है। ISRO भी कर रहा है ट्रेकिंग
ISRO ने अंतरिक्ष में मौजूद क्षुद्रगहों और दूसरे चीजों से पृथ्वी की रक्षा के लिए एक नया डोमेन जोड़ा है। इसे प्लानेटरी डिफेंस नाम दिया गया है। NDTV से बात करते हुए ISRO के चेयरमेन एस सोमनाथ ने बताया कि हमारा नेटवर्क फॉर स्पेस ऑबजेक्ट ट्रेकिंग (NETRA) सिस्टम अपोफिस को लगातार मॉनीटर कर रहा है। सोमनाथ ने कहा कि भारत दुनिया के दूसरे देशों के साथ मिलकर किसी भी बाहरी खतरे से निपटने में सहयोग करेगा। ISRO चीफ ने कहा कि किसी बड़े एस्टेरॉयड का हमला पूरी मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा है। हमारे पास रहने के लिए सिर्फ एक पृथ्वी ही है। ये खबर भी पढ़ें… चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाएगा रूस:भारत-चीन होना चाहते हैं शामिल, 2035 तक बनाने का लक्ष्य; इससे मून मिशन को मदद मिलेगी रूस चांद पर न्यूक्लियर पॉवर प्लांट बनाने की योजना पर काम कर रहा है। ये पावर प्लांट रूस और चीन की उस साझेदारी का हिस्सा है जिसके तहत ये दोनों देश चांद पर बेस बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं। इसकी मदद से चांद पर बनने वाले बेस की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जाएगा। इस प्लांट की योजना में रूस और चीन के साथ, अब भारत भी शामिल होना चाहता है। रूस की स्टेट न्यूक्लियर एनर्जी कॉर्पोरेशन, रॉसटोम के प्रमुख एलेक्सी लिखाशेव के हवाले से रूसी समाचार एजेंसी TASS के ने जानकारी दी है। पूरी खबर यहां पढ़ें…