पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर का निधन:100 साल की उम्र में ली आखिरी सांस, कुछ समय से मेलानोमा से पीड़ित थे
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। कार्टर कुछ समय से मेलानोमा नाम की बीमारी से पीड़ित थे। मेलानोमा एक तरह का स्किन कैंसर होता है। यह उनके लिवर और दिमाग तक फैल चुका था। 1 अक्टूबर 1924 को जन्मे कार्टर 1977 से 1981 तक अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति रहे। कार्टर सेंटर के माध्यम से किए गए कामों के लिए उन्हें 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। जिमी कार्टर अमेरिका के इतिहास में सबसे ज्यादा उम्र तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति हैं। किसान परिवार में पैदा हुए कार्टर अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति बने
साल 1924 में जिमी कार्टर का जन्म अमेरिका के जॉर्जिया में एक किसान परिवार में हुआ था। 1960 में वो राजनीति में आए और 1971 में पहले बार अपने राज्य के गवर्नर बने। इसके ठीक 6 साल जिमी कार्टर ने रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति जेरालड फोर्ड को हराया और वो राष्ट्पति बने। उनके कार्यकाल के दौरान दुनिया में कई तरह की क्राइसिस हुई। 1979 में ईरान में हुई क्रांति ने अमेरिकी समर्थक शाह को सत्ता से उखाड़ फेंका। वहीं कार्टर के समय ही अरब देशों और इजरायल के बीच सुलह करवाने के लिए डेविड एकॉर्ड साइन करवाया गया था। जनता पार्टी की सरकार के दौरान भारत आए थे जिमी कार्टर जिमी कार्टर भारत के दौरे पर आने वाले अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थे। वो जनवरी 1978 में तीन दिन के दौरे पर भारत आए थे। जिमी कार्टर का यह दौरा तब हुआ था जब कुछ महीने पहले ही इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली थी और इंदिरा गांधी की हार हुई थी। जिमी कार्टर के इस दौरे से 1971 में भारत-पाकिस्तान जंग और 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण से दोनों देशों के बीच आया तनाव कम हुआ था। बीबीसी के मुताबिक कार्टर की मां लिलियन कई महीनों तक भारत में रही थीं। जब कार्टर भारत आए तो वो हरियाणा में गुरुग्राम के एक गांव दौलतपुर नसीराबाद भी गए थे। इसके बाद से उस गांव का नाम कार्टरपुरी रख दिया गया था। कार्टर चाहते थे भारत परमाणु हथियार हासिल न करे
साल 1974 में भारत ने बिना किसी को भनक लगे राजस्थान के पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण किया था। जिससे अमेरिका नाराज हो गया था। इसके चलते भारत पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगाए गए थे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक जब जिमी कार्टर 1978 में भारत आए तो उन्हें पूरा यकीन था कि वो भारत से NPT यानी नॉन प्रोलिफरेशन ट्रीटी पर साइन करवा लेंगे और हमेशा के लिए हमारे परमाणु हथियार हासिल करने का रास्ता बंद करवा देंगे। हालांकि ऐसा नहीं हो पााया। तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बड़ी चालाकी से उनके सामने तीन शर्तें रख दी। उन्होंने कहा कि भारत NPT पर साइन कर देगा अगर दुनिया की सभी परमाणु शक्तियां भी ऐसा कर दें। दूसरी शर्त में उन्होंने कहा कि कोई भी परमाणु हथियार नहीं बनाएगा। तीसरी शर्त में उन्होंने कहा कि जितने देशों के पास परमाणु हथियार हैं अगर वो उन्हें खत्म कर देते हैं तो भारत भी कभी कोई परमाणु परीक्षण नहीं करेगा।