पाकिस्तान में मंकीपॉक्स का पांचवां केस मिला:मरीज की हालत स्थिर, सऊदी अरब से लौटा था; भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए RT-PCR किट डेवलप
पाकिस्तान में एमपॉक्स का एक और मरीज पाया गया है। ऐसे में एमपॉक्स मरीजों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है। पांचों मामले इंटरनेशनल फ्लाइट से उतरने वाले लोगों में मिले हैं। ये नहीं पता चल पाया कि तीनों में कौन सा वैरिएंट है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि कराची एयरपोर्ट में पैसेंजर की जांच की गई। वहां दो संदिग्ध मरीज दिखे, जिसमें से 51 साल का व्यक्ति वायरस से संक्रमित मिला। उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। पाकिस्तान में मंकीपॉक्स वायरस का नया मामला सामने आने के बाद सरकार सतर्क हो गई है। सभी हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। वहीं, लोगों से कहा गया है कि वह मंकीपॉक्स के फैलने के बारे में चिंता न करें। पाकिस्तान में पिछले साल मंकीपॉक्स से एक मरीज की मौत हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को Mpox यानी मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। यह दो साल में दूसरी बार था जब इस बीमारी को हेल्थ इमरजेंसी बताया गया। इस वायरस का नया स्ट्रेन (Clad-1) पिछले स्ट्रेन के मुकाबले ज्यादा संक्रामक है और इसकी मृत्यु दर भी ज्यादा हैं। भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए RT-PCR किट डेवलप
मंकीपॉक्स के पब्लिक इमरजेंसी घोषित होने के 15 दिन के अंदर भारत ने इस संक्रमण की जांच के लिए RT-PCR किट डेवलप कर लिया है। इस किट का नाम IMDX Monkeypox Detection RT-PCR Assay है और इसे सीमेंस हेल्थीनीयर्स ने तैयार किया है। कंपनी के मुताबिक इस किट से सिर्फ 40 मिनट में टेस्ट रिजल्ट मिल जाएंगे। इस किट को पुणे के ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने क्लिनिकल मान्यता दे दी है। सेंट्रल प्रोटेक्शन ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने इस किट को बनाने की मंजूरी दे दी है। पारंपरिक तरीकों के मुकाबले तेज रिजल्ट देगी यह किट
सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर हरिहरन सुब्रमण्यन ने कहा कि सटीक और सही डायग्नॉस्टिक्स की आवश्यकता आज के समय में जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी पहले कभी नहीं रही। यह किट सिर्फ 40 मिनट में रिजल्ट देगी, जो कि 1-2 घंटे में रिजल्ट देने वाले पारंपरिक तरीकों के मुकाबले कहीं तेज है। इस किट की मदद से मंकीपॉक्स का पता लगाने में लगने वाला समय कम होगा, जिससे इलाज में भी तेजी आएगी। IMDX मंकीपॉक्स RTPCR किट भारतीय वैधानिक दिशानिर्देशों के तहत बनाई गई है और ग्लोबल स्टैंडर्ड के मुताबिक है। वडोदरा की यूनिट में एक साल में 10 लाख किट बनाने की क्षमता
सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने बताया है कि यह RT-PCR किट वडोदरा स्थित कंपनी की मॉलिक्यूलर डायग्नॉस्टिक्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में बनाई जाएगी। इस यूनिट की एक साल में 10 लाख किट बनाने की क्षमता है। फैक्ट्री इन RT-PCR किट को उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। कैसे काम करेगी यह RT-PCR किट
कंपनी ने कहा कि यह RT-PCR किट मॉलिक्यूलर टेस्ट है जो वायरस के जीनोम में दो अलग क्षेत्रों को टारगेट करता है, जिससे क्लेड-I और क्लेड-II दोनों वैरिएंट का पता लगाया जा सकता है। यह टेस्ट किट अलग-अलग वायरल स्ट्रेन्स का पूरी तरह से पता लगाने और व्यापक रिजल्ट देने की क्षमता रखता है। खासतौर से यह किट किसी भी प्लेटफॉर्म पर काम कर सकती है और स्टैंडर्ड PCR सेटअप के साथ मौजूदा लैब फ्लोवर्क में आसानी से फिट हो जाती है। इससे किसी नए इंस्ट्रूमेंट की जरूरत नहीं होती। मौजूदा कोविड टेस्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करने से इसकी क्षमता में इजाफा होगा। अफ्रीका में अब तक Mpox के 17 हजार से ज्यादा मामले सामने आए
अफ्रीका सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Africa CDC) के मुताबिक इस साल अब तक अफ्रीकी महाद्वीप पर Mpox के 17,000 से अधिक संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जबकि 517 मौतें रिपोर्ट की गई हैं। पिछले साल इसी अवधि की तुलना में इस साल मामलों में 160% की बढ़ोतरी हुई है। पहली बार 1958 में बंदरों में मिला था एमपॉक्स
पहली बार मंकीपॉक्स 1958 में खोजा गया था। तब डेनमार्क में रिसर्च के लिए रखे दो बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण सामने आए थे। इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में कॉन्गों में 9 साल के बच्चे में पाया गया। आम तौर पर ये बीमारी रोडेंट्स यानी चूहे, गिलहरी और नर बंदरों से फैलती है। यह बीमारी इंसानों से इंसानों में भी फैल सकती है। इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं। इसमें शरीर में फफोले या छाले पड़ जाते हैं। ये छोटे दानेदार या बड़े भी होते हैं। इन फफोलों या छालों में मवाद भर जाता है। ये धीरे-धीरे सूखकर ठीक होते हैं। इस दौरान बुखार, जकड़न और असहनीय दर्द होता है। 2022 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तय किया कि मंकीपॉक्स नाम बंदरों के लिए एक कलंक जैसा है। ये वायरस बंदरों के अलावा दूसरे जानवरों से भी आता है। इसलिए इसका नाम बदलकर एमपॉक्स कर दिया गया। अब पूरी दुनिया में इसे एमपॉक्स कहा जाता है। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 7 दिन के अंदर होता है वायरस का असर
जब भी कोई व्यक्ति किसी मंकीपॉक्स पेशेंट के संपर्क में आता है तो वायरस एक सेहतमंद व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है। उसके 3 से 7 दिन के भीतर ये वायरस असर करने लगता है। एमपॉक्स से पीड़ित लोग संक्रामक होते हैं। जब तक सभी घाव ठीक नहीं हो जाते और त्वचा की नई परत नहीं बन जाती, तब तक वे दूसरों को इसे फैला सकते हैं।