पद्मिनी कोल्हापुरे इंटरव्यू:सेट में ऋषि कपूर को थप्पड़ मारा तो बदला लेना चाहते थे, कहा- अब कम प्रोड्यूसर जुनून के लिए फिल्म बनाते हैं
प्रेम रोग, वो सात दिन जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में नजर आईं 80 के दशक की मशहूर एक्ट्रेस पद्मिनी कोल्हापुरे ने टीवी में वापसी की है। वो सोनी टीवी के भव्य शो ‘चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान’ में राजमाता की भूमिका में नजर आ रही हैं। पद्मिनी ने हाल ही में दैनिक भास्कर से अपने कमबैक और फिल्मी सफर पर बातचीत की है। पढ़िए बातचीत का प्रमुख अंश- सवाल- ‘चक्रवर्ती…’ शो में राजमाता की भूमिका में ऐसा क्या था जिसने आपको आकर्षित किया? जवाब- मैंने पहले भी टीवी पर एक छोटा सा कैमियो किया है, लेकिन अब सोनी टीवी पर ‘सम्राट पृथ्वीराज चौहान’ की भव्य गाथा के साथ वापसी करके मैं बहुत खुश हूं। दर्शकों की उत्सुकता और उनके इंतजार ने मुझे और मेहनत करने की प्रेरणा दी है। जब प्रोडक्शन हाउस ने पृथ्वीराज चौहान पर शो बनाने की बात की, तो सुनकर ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए। पृथ्वीराज चौहान के एक मासूम राजकुमार से महान योद्धा राजा तक के सफर में राजमाता की भूमिका को समझने के बाद मैंने तुरंत हां कह दिया। सवाल- किरदार को समझने के लिए क्या आपने कोई रिसर्च भी की? जवाब- हां कहने के बाद, मैंने पृथ्वीराज चौहान की कहानी को गहराई से समझने के लिए काफी रिसर्च की। ऐतिहासिक कहानियां पढ़ीं और गूगल पर उनके बारे में बहुत कुछ देखा। एक एक्टर के रूप में यह हमारा फर्ज बनता है कि स्क्रिप्ट के अलावा भी किरदार की गहराई में उतरने की कोशिश करें। बच्चों के लिए भी उन पर एनिमेटेड प्रोग्राम बने हैं, जो दर्शाता है कि वह बच्चों के लिए भी एक दिलचस्प योद्धा थे। बाकी ऐतिहासिक फिल्में और शो का प्रभाव दिमाग पर पड़ता ही है। मराठी शो जैसे छत्रपति शिवाजी और शंभाजी पर बनी फिल्में भी हैं। इन सभी से एक खास औरा मिलता है जो रानियों या उस दौर की महिलाओं का होता था। राजमाता, पृथ्वीराज चौहान की मार्गदर्शक भी थीं, जिनका उनके पालन-पोषण और महान योद्धा बनने में गहरा प्रभाव था। सवाल- कोई ऐसी भूमिका जो आपके दिल के बहुत करीब रही हो, जो ऑल टाइम फेवरेट हो? जवाब- मुझे इंडस्ट्री में 5 दशक हो चुके हैं। मैंने प्लेबैक सिंगर के तौर पर शुरुआत की, फिर अभिनय में आई। मेरी कुछ फिल्में और किरदार मेरे दिल के बहुत करीब रहे हैं, जैसे ‘प्यार झुकता नहीं’, ‘सात दिन’, ‘प्रेम रोग’, और ‘आहिस्ता आहिस्ता’। सवाल- मिथुन चक्रवर्ती के साथ आपकी केमिस्ट्री हमेशा हिट रही। क्या अब कभी साथ आने पर बात होती है? जवाब- हमारी इंडस्ट्री में नियम है कि एक एक्टर के साथ फिल्म हिट हो जाए तो उन्हीं के साथ लगातार फिल्में साइन करते हैं। ‘प्यार झुकता नहीं’ की सफलता के बाद मेरे और मिथुन के पास प्रोड्यूसर्स की लाइन लग गई थीं। मिथुन के साथ एक नई फिल्म पर बात चल रही है लेकिन अभी सिर्फ एक ही राउंड की मीटिंग हुई है। सवाल- क्या लगता है कि वेटरन एक्ट्रेसेस के लिए अब सिनेमा में बहुत अच्छे, सशक्त रोल लिखे जा रहे हैं? जवाब- हमारे जमाने में और मुझसे पहले के युग में भी मीना कुमारी जी, नरगिस आंटी, नूतन आंटी, नंदा जी जैसी दिग्गज कलाकारों के साथ मैंने काम किया है। उस समय विभिन्न ओरिएंटेड, महिला प्रधान फिल्में बनती थीं। अब कहानी लिखते समय ही किसी हीरोइन को दिमाग में रखा जाता है। आजकल इतनी सारी हीरोइन्स हैं कि प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स के पास बहुत विकल्प हैं। बहुत कम ऐसे प्रोड्यूसर या डायरेक्टर रह गए हैं जो जुनून या प्यार के लिए फिल्में बनाते हैं, ज्यादातर लोग बॉक्स ऑफिस का सोचते हैं। वह दौर अलग था, यह दौर अलग है। इवॉल्व होना बहुत जरूरी है और आजकल जो ट्रेंड चल रहा है, आपको उसी के साथ चलना पड़ता है। सवाल- आपका एक किस्सा बड़ा चर्चित रहा। ऋषि कपूर सर को थप्पड़ मारने वाला। ‘प्रेम रोग’ में था वो? जवाब- ‘प्रेम रोग’ में एक सीन के दौरान ऋषि जी को गुस्सा आया था, रीटेक हो रहा था। उन्होंने कहा, “मैं इसका बदला जरूर लूंगा। हमारी एक और फिल्म थी ‘राही बदल गए’, जिसमें ऋषि जी को मुझे थप्पड़ मारना था। उन्होंने कहा, “अब वो वक्त आ गया है। मैंने खुद उनसे कहा, “प्लीज आप थप्पड़ मारिए, वर्ना वो इम्पैक्ट जो स्क्रीन पर दिखाते हैं, वो नहीं आता। हालांकि उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले, वह सीन एक ही टेक में ही ओके हो गया था। सवाल- एक्टिंग तो आप करती हैं लेकिन कभी राइटिंग या डायरेक्शन करना चाहा है? जवाब- डायरेक्शन, बाप रे! मेरा एक खुद का क्लोथिंग लेबल है, ‘पद्म सीता’। मुझे इसमें रुचि रही है, इसलिए मैं यह कर रही हूं। मेरी जिंदगी में महिलाओं का प्रभाव ज्यादा रहा है, इसलिए मैं महिलाओं के लिए गारमेंट्स बनाती हूं। इसके अलावा, मुझे गाने का भी शौक है। मैं पहले गाती भी थी, मैंने और मेरी बहन शिवांगी ने प्लेबैक सिंगिंग की है। हाल ही में यूएस में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल नाइट थी, वहां मैंने गाने भी गाए। लता मंगेशकर मेरी बुआ लगती हैं। मेरे पिताजी भी गाते थे, वह म्यूजिशियन थे। सवाल- क्या आगे किसी मराठी सिनेमा में भी नजर आएंगी? जवाब- मैंने मराठी फिल्में की हैं। मेरी एक मराठी फिल्म ‘चिमनी पाखर’ मेरा असल कमबैक थी। जिसे मैंने शायद 2000 में किया था। लोग आज भी उसे याद करते हैं। उसके बाद मैंने ‘प्रवास’ नाम की एक फिल्म भी की, जो अशोक सराफ जी के साथ थी और 2020 में रिलीज हुई थी। अभी मेरे पति मेरे लिए मराठी में एक फिल्म प्लान कर रहे हैं। फिलहाल, मैं देहरादून में एक हिंदी फिल्म ‘झाड़फूंक’ भी कर रही हूं, जो एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है। इसमें यशपाल शर्मा जी मेरे साथ हैं और राजन वर्मा डायरेक्टर हैं।