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दावा- आतंकी मसूद अजहर को अफगानिस्तान में हार्ट अटैक आया:पाकिस्तान के मिलिट्री अस्पताल में शिफ्ट हुआ; संसद और पुलवामा अटैक का मास्टरमाइंड रह चुका

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आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद चीफ और भारत के मोस्ट वांटेड आतंकी मसूद अजहर को हार्ट अटैक आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मसूद अजहर अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत में आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा था। यहीं पर उसे दिल का दौरा पड़ा। फिलहाल उसे बेहतर इलाज के लिए पाकिस्तान लाया गया है। रिपोर्ट् के मुताबिक मसूद अजहर का इलाज कराची के मिलिट्री हॉस्पीटल में हो रहा है। हालांकि उसकी हालत को लेकर कोई जानकारी नहीं मिली है। इलाज के लिए इस्लामाबाद से कार्डियोलॉजिस्ट भी आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक जल्द ही उसे रावलपिंडी भेजा जा सकता है। हाल ही में मसूद अजहर का स्पीच वायरल हुआ था। यह स्पीच 3 दिसंबर को जैश के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुआ। इसमें मसूद ने भारत, PM मोदी और इजराइली PM नेतन्याहू के खिलाफ बातें कही। अपने भाषण में अजहर कहा था- मुझे शर्म आती है कि मोदी जैसा कमजोर शख्स हमें चुनौती देता है या फिर नेतन्याहू जैसा ‘चूहा’ हमारी कब्र पर नाचता है… मुझे बताएं कि क्या 300 लोग भी नहीं हैं जो मेरी बाबरी को वापस पाने के लिए लड़ सकें? जैश-ए-मोहम्मद ने यह नहीं बताया कि अजहर ने अपना भाषण किस तारीख को और कहां पर दिया। संसद हमले के अलावा पठानकोट-पुलवामा हमले का भी मास्टरमाइंड है अजहर संसद हमले के अलावा पठानकोट-पुलवामा हमले का भी मास्टरमाइंड है अजहर अजहर भारत में एक नहीं बल्कि कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है। संसद हमले के अलावा मसूद 2016 में हुए पठानकोट हमले का भी मास्टरमाइंड है। इस मामले में दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, मसूद ने भारत पर हमलों के लिए जैश-ए-मोहम्मद के कैडर का इस्तेमाल किया था। उसने 2005 में अयोध्या में राम जन्मभूमि और 2019 में पुलवामा में CRPF के जवानों पर भी हमला करवाया था। इसके अलावा मसूद 2016 में उरी हमले और अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में भारतीय कॉन्सुलेट पर अटैक का भी जिम्मेदार है। अजहर अल-कायदा चीफ ओसामा बिन लादेन और तालिबान फाउंडर मुल्ला उमर का खास था। 1994 में पहली बार भारत आया था मसूद अजहर मसूद अजहर पहली बार 29 जनवरी, 1994 को बांग्लादेश से विमान में सवार होकर ढाका से दिल्ली पहुंचा था। 1994 में अजहर फर्जी पहचान बनाकर श्रीनगर में दाखिल हुआ था। उसका मकसद हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी और हरकत-उल-मुजाहिदीन गुटों के बीच तनाव कम करना था। इस बीच भारत ने उसे आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए अनंतनाग से गिरफ्तार कर लिया था। तब अजहर ने कहा था- कश्मीर को आजाद कराने के लिए 12 देशों से इस्लाम के सैनिक आए हैं। हम आपकी कार्बाइन का जवाब रॉकेट लॉन्चर से देंगे। इसके 4 साल बाद जुलाई 1995 में जम्मू-कश्मीर में 6 विदेशी टूरिस्ट्स को अगवा कर लिया गया। किडनैपर्स ने टूरिस्ट के बदले समूद अजहर को रिहा करने की मांग की। इस बीच अगस्त में दो टूरिस्ट किडनैपर्स की कैद से भागने में कामयाब हो गए। हालांकि, बाकियों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी। 1999 में विमान हाईजैक के बाद भारत सरकार ने अजहर को छोड़ा 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली आ रहे एक भारतीय विमान को अजहर के भाई सहित दूसरे आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था। वो इसे अफगानिस्तान के कंधार ले गए, जहां उस वक्त तालिबान का शासन था। विमान में कैद लोगों के बदले मसूद अजहर सहित 3 आतंकियों को छोड़ने की मांग की गई। आतंकियों की मांग पूरी हुई और मसूद आजाद हो गया। इसके बाद वह पाकिस्तान भाग गया। चीनी सरकार UNSC में मसूद को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित होने से कई बार बचा चुकी है। 2009 में अजहर को वैश्विक आतंकी की लिस्ट में शामिल करने के लिए पहली बार प्रस्ताव आया था। तब लगातार 4 बार चीन ने सबूतों की कमी का हवाला देकर प्रस्ताव पास नहीं होने दिया। 2019 में वैश्विक आतंकी घोषित हुआ अक्टूबर 2016 में चीन ने फिर से भारत के प्रस्ताव के खिलाफ जाकर UNSC में अजहर को बचा लिया। इसके बाद 2017 में अमेरिका ने UNSC में अजहर को आतंकी घोषित करने की मांग उठाई, लेकिन चीन फिर से बीच में आ गया। आखिरकार, मई में चीन ने अपना अड़ंगा हटा दिया और UNSC में मसूद को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित कर दिया गया।

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