थ्री इडिएट्स वाले स्कूल को CBSE से मान्यता मिली:’रैंचो का स्कूल’ नाम से फेमस है; जल्द ही 12वीं तक पढ़ाई हो सकेगी
आखिरकार थ्री इडिएट्स वाले रैंचो के स्कूल को CBSE बोर्ड की ओर से मान्यता मिल ही गई है। लद्दाख के द्रुक पदमा कारपो स्कूल को करीब 20 साल पहले शुरू किया गया था। लेकिन CBSE बोर्ड बार-बार स्कूल के लिए मान्यता की मांग को रिजेक्ट करता रहा। आमिर खान की 2009 में आई फिल्म ‘थ्री इडिएट्स’ के जरिए फेमस हुआ ये स्कूल अभी तक जम्मू-कश्मीर स्टेट बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से एफिलिएटेड था। जल्द 12वीं तक होगा ये स्कूल लद्दाख का यह स्कूल पढ़ाने के इनोवेटिव टीचिंग मेथड्स के लिए जाना जाता है। नेशनल एजुकेशन पॉलीसी 2020 के पहले से ही ये स्कूल किताबी पढ़ाई से अलग रहा है। स्कूल अब जल्द ही 12वीं तक एक्सपेंड करने पर विचार कर रहा है। स्कूल प्रिंसिपल मिंगूर आंगमो ने कहा, ‘कई सालों के इंतजार के बाद आखिरकार हमें CBSE बोर्ड की मान्यता मिल गई है और 10वीं क्लास का हमारा पहला बैच बोर्ड एग्जाम्स देने के लिए तैयार है। हमारे यहां बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर है, अच्छा रिजल्ट आता है और नए-नए तरीकों से हमारे टीचर्स स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं। इसके बावजूद स्टेट बोर्ड से हमे NOC नहीं मिल पा रहा था जिसकी वजह से CBSE बोर्ड से मान्यता नहीं मिल पा रही थी।’ दरअसल, CBSE बोर्ड के एफिलिएशन के नियमों के अनुसार, स्कूलों को अपने रिस्पेक्टिव स्टेट बोर्ड से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट यानी NOC लेना होता है। इसी तरह विदेशी स्कूलों को अपनी एम्बेसी से ये सर्टिफिकेट लेना होता है। आंगमो ने कहा, ‘इंफ्रास्ट्रक्चर पहले ही एक्सपेंड किया जा चुका है। 2028 तक हम 11वीं और 12वीं क्लासेज भी शुरू कर सकेंगे। फिलहाल हम टीचर्स की ट्रेनिंग करा रहे हैं ताकि CBSE करिकुलम के हिसाब से पढ़ाने में उन्हें कोई दिक्कत न हो।’ लद्दाख के जम्मू-कश्मीर से अलग होने के बाद भी कई स्कूल जम्मू एंड कश्मीर बोर्ड से ही एफिलिएटेड रहे। लद्दाख की स्टूडेंट्स की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक कमेटी बनाने की बात चल रही है। थ्री इडिएट्स से फेमस हुआ था स्कूल 24 साल पुराने इस स्कूल का नाम मीफम पेमा कार्पो के नाम पर रखा गया है। कार्पो इस क्षेत्र के चर्चित स्कॉलर रहे हैं। वहीं पद्मा कार्पो का लोकल लैंग्वेज में मतलब सफेद लोटस होता है। लद्दाख आने वाले टूरिस्ट अब इस स्कूल को देखने जरूर आते हैं। इस स्कूल की दीवार को थ्री इडिएट्स फिल्म में दिखाया गया है। फिल्म का एक कैरेक्टर चतुर स्कूल की दीवार पर पेशाब करने की कोशिश करता है। स्कूल के बच्चे खिड़की से ये देखकर तार से बंधा बल्ब गिराते हैं जिससे चतुर के करंट लग जाता है। हालांकि फिल्म में दिखाई गई दीवार 2010 में आई बाढ़ में बह गई लेकिन उसका कुछ हिस्सा अभी भी बाकी है। ऐसी ही और खबरें पढ़ें… भेड़ चराने वाले लड़के ने क्रैक किया UPSC: पंचर वाले का बेटा, मजदूर का बेटा बनेंगे IAS; UPSC में चमके ये गुदड़ी के लाल बीरदेव दोनी रोज की तरह ही अपनी भेड़-बकरियां चरा रहे थे, जब गांव के दोस्त उनके पास पहुंचे और बताया कि उन्होंने UPSC क्लियर कर लिया है। पूरी खबर पढ़ें…