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ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका की अर्थव्यवस्था गिरी:पहली तिमाही में जीडीपी 0.3% घटी, तीन साल बाद गिरावट आई; मंदी का आशंका बढ़ी

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डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के शुरुआत में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज की गई है। 2025 की पहली तिमाही में जीडीपी में 0.3% की गिरावट आई है। ऐसा तीन साल में पहली बार हुआ है। पिछले साल की आखिरी तिमाही अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2.4% की दर से बढ़ी थी। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जीडीपी में गिरावट की सबसे बड़ी वजह आयात में भारी बढ़ोतरी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक टैरिफ की संभावनाओं को देखते हुए अमेरिकी कंपनियों ने भारी मात्रा में आयात किया है। इसकी वजह से जीडीपी का आंकड़ा नीचे आ गया है। उपभोक्ता खर्च घटा, मंदी की आशंका बढ़ी अमेरिका के बढ़ते आयात की वजह से आर्थिक विकास में भी 5% अंक की गिरावट आई है। दूसरी तरफ उपभोक्ता खर्च भी तेजी से घटा है। बोस्टन कॉलेज के अर्थशास्त्री ब्रायन बेथ्यून के मुताबिक अमेरिकी की अर्थव्यवस्था की हालत बिगड़ने के पीछे ट्रम्प की नीतियां बड़ी वजह हैं। उपभोक्ता खर्च अमेरिका की GDP का 70% हिस्सा है, अगर लोग डर के मारे खरीदारी बंद कर दें, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। अर्थशास्त्री जोसेफ ब्रुसुएला के मुताबिक, अगले 12 महीनों में अमेरिका में मंदी की संभावना 55% है। चीन पर 125% टैरिफ बढ़ा चुके हैं ट्रम्प ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक बार फिर चीन के साथ टैरिफ वॉर शुरू कर दिया है। ट्रम्प अब तक चीनी सामानों पर 125% टैरिफ बढ़ा चुके हैं। दूसरी तरफ उन्होंने 75 से ज्यादा देशों को रेसिप्रोकल टैरिफ में 90 दिनों की छूट दी है। चीन पर 125% टैरिफ लगाने का आसान भाषा में मतलब है कि चीन में बना 100 डॉलर का सामान अब अमेरिका में जाकर 225 डॉलर का हो जाएगा। अमेरिका में चीनी सामानों के मंहगे होने से उसकी बिक्री कम हो जाएगी। ट्रम्प इन देशों को टैरिफ पर रोक के जरिए नए व्यापार समझौतों पर बातचीत करने का समय देना चाहते हैं। चीन पर टैरिफ क्यों बढ़ाया अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट के मुताबिक ट्रम्प ने उन देशों को टैरिफ वापस लेकर प्रोत्साहित किया है, जिन्होंने बढ़ते ट्रेड वॉर के बीच अमेरिका के खिलाफ मोर्चा नहीं खोला। चूंकि चीन ने बुधवार को ही अमेरिका पर टैरिफ 34% से बढ़ाकर 84% करने की घोषणा की थी। इसलिए ट्रम्प ने चीन पर टैरिफ 104% से 125% कर दिया। चीन नई इंडस्ट्री व इनोवेशन बढ़ाने पर जोर दे रहा चीन के पास अमेरिका के करीब 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है। चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी।

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