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जयदीप अहलावत ने चार साल से छुट्टी नहीं ली:पाताल लोक 2 के प्लॉट को बताया कॉम्प्लिकेटेड, बोले- फाइट सीन के दौरान हाथ-पैर भी टूटे

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क्राइम थ्रिलर सीरीज ‘पाताल लोक’ का पहला सीजन दर्शकों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा था। अब इस सीरीज का दूसरा सीजन 17 जनवरी से अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम होने जा रहा है। हाल ही में सीरीज की स्टारकास्ट जयदीप अहलावत, तिलोत्तमा शोम और शो के क्रिएटर सुदीप शर्मा ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। इस दौरान जयदीप अहलावत ने कहा कि पाताल लोक सीजन वन के बाद से बिना ब्रेक लिए काम कर रहे हैं। सीरीज की स्टारकास्ट और राइटर-क्रिएटर सुदीप शर्मा ने बातचीत के दौरान और क्या कहा, पढ़िए बातचीत के कुछ अंश में.. सुदीप, आप सामाजिक मुद्दों को बहुत ही खूबसूरती से पिरोते हैं। ‘पाताल लोक 2’ के ट्रेलर को लोगों की बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। कैसा फील कर रहे हैं? यह शो हम सबके दिलों के बहुत करीब है। इसको बेहतर बनाने में पूरी टीम ने जान लगा दी है। लोगों की प्रतिक्रिया देखकर संतुष्टि जैसी भावना आती है, लेकिन थोड़ी सी घबराहट भी होती है। हमने वाकई में इसे अच्छा बनाया है, यह तो रिलीज के बाद ही पता चलेगा। वैसे इस शो को लेकर हम सभी लोग बहुत ही उत्साहित हैं। जयदीप, आपने पाताल लोक सीजन वन में अपने किरदार को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया था। इस बार किरदार को किस तरह से जिया है? किरदार को आत्मसात करने का तो पहले सीजन जैसा ही प्रोसेस था। इतना जरूर था कि ‘पाताल लोक 2’ की शूटिंग से पहले, मैंने सीजन वन के कुछ सीन देखे थे। अब कहानी दो-ढाई साल आगे बढ़ चुकी है। बहुत सारे किरदार के जीवन में बदलाव आए हैं। हाथीराम चौधरी के जीवन में भी बदलाव आया है। मेरे लिए यह समझना जरूरी था कि अब हाथीराम कैसा है, उसकी सोच कैसी है? मुझे पता था कि मेरी टीम बहुत सही है। मुझे बस उनके साथ बहना आता है। सेट पर पहुंचता था, तो लगता था कि सब कुछ हाथीराम के लिए हो रहा है। हमारी टीम के साथ ऐसा रिश्ता बन गया है कि मुझे इतना विश्वास था कि कुछ गलत नहीं होने देंगे। तिलोत्तमा, आप पहली बार पाताल लोक का हिस्सा बनी हैं। इस शो को लेकर क्या कहना चाहेंगी? इस शो की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ना सिर्फ पुरुषों, बल्कि औरतों के किरदार को भी बहुत ही गहराई के साथ लिखा गया है। यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी। इस शो में जिस तरह की भूमिका निभा रही हूं, वैसी भूमिका पहले कभी नहीं निभाई थी। इसमें मैं मेघना की भूमिका निभा रही हूं, जो अच्छी तरह से जानती है कि उसकी क्या जिम्मेदारियां हैं। किरदार को लेकर आपकी किस तरह की तैयारी थी? मैं तो यही सोच रही थी कि क्या तैयारी करूं, लेकिन स्क्रिप्ट इतनी अच्छी और पूरी डिटेल में लिखी गई थी कि सोचने का समय नहीं मिला। इससे हमारा काम बहुत आसान हो गया था। थोड़ा सा लहजा पकड़े के लिए होमवर्क मिला था। क्योंकि यह किरदार नागालैंड से है। सुदीप, आप सामाजिक, पॉलिटिकल और जातिगत मुद्दों को अपनी शो में बड़ी ही निर्भीकता से उठाते हैं, आप डरते नहीं हैं। यह सोच कहां से लेकर आते हैं? जब हम कुछ गलत करेंगे तब डर लगेगा। मैं वहां की कहानी लेकर आता हूं, जिस जगह से मुझे प्यार है। अब प्यार का यह मतलब नहीं कि हम वहां की कमियों को नजर अंदाज करें। अगर वहां कोई बुराई है, तो उस पर प्रकाश डालना चाहिए। इससे वहां की बुराई खत्म हो जाती है। हमारे परिवार में भी बुराइयां होती हैं, इसका मतलब यह नहीं कि हम उन्हें नजर अंदाज कर दें। जयदीप, पहले सीजन से लेकर दूसरे सीजन तक, रियल लाइफ और पर्दे पर क्या बदलाव आया है? रियल लाइफ में यह बदलाव आया कि बहुत सारा काम किया। पाताल लोक सीजन वन के रिलीज हुए 4 साल हो गए हैं। आज तक मैंने छुट्टी नहीं ली है। अच्छी-अच्छी कहानियां, अच्छे किरदार और अच्छे लोगों के साथ काम करने का मौका मिला है। मुझे और भी अच्छी चीजों का इंतजार है। बात जहां ‘पाताल लोक 2’ की है, तो आप देखेंगे कि हाथीराम के जीवन में क्या-क्या बदलाव आया है। हाथीराम चौधरी सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि ये समाज और मानवता की मुश्किलों को दिखाने वाला आईना बन गया है। तिलोत्तमा, आपके किरदार में नया रंग और फ्लेवर देखने को मिलेगा ही, आप अपनी तरफ से इसमें क्या नया लेकर आ रही हैं? मुझे नहीं पता कि ऐसा क्या कर दिया है? हां, मैं इस शो को लेकर बहुत ही एक्साइटेड हूं। हर दिन की शूटिंग की बहुत सारी यादें हैं। इस तरह का किरदार पहले कभी नहीं निभाया है। मैंने इसमें एक्शन सीन भी किए हैं। मैं इसे लेकर एक्साइटेड और थोड़ी डरी हुई भी हूं। सुदीप, आपने इस सीरीज में नॉर्थ ईस्ट की कहानी को पिरोया है, क्या हम आगे मणिपुर की कहानी आपके किसी सीरीज में देख पाएंगे? इस बार नॉर्थ ईस्ट की कहानी लाने का मकसद सिर्फ इसलिए था, क्योंकि मैं असम में पला बढ़ा हूं। नागालैंड में मेरे दोस्त हैं। वहां मैंने ट्रैवल किया है। उस जगह के बारे में मुझे पता था। नॉर्थ ईस्ट से मेरा बहुत ही करीबी रिश्ता रहा है। मेरी फैमिली के कुछ लोग अभी भी वहां है। मेरा मन अपने बचपन को एक राइटर के नजरिए से देखने का था। कहीं ना कहीं इसमें मेरी भी जर्नी दिखेगी। रही बात मणिपुर की, तो अभी कुछ पता नहीं कि आगे क्या करूंगा। जयदीप, शूटिंग के दौरान का ऐसा कोई खास लम्हा जिसे आप शेयर करना चाहें? मैं हर दिन बच्चे की तरह खुश होता हूं। सुबह उठकर सेट पर पहुंचता हूं। वहां जो होता है उसका हिस्सा बनने की कोशिश करता हूं। चाहे मेरा सीन हो या ना हो। पूरे माहौल को एन्जॉय करता हूं। नागालैंड में हमने ऐसे-ऐसे सीन शूट किए हैं, जो हमने कभी सोचा ही नहीं था। एक फाइट सीक्वेंस की शूटिंग हमने लगातार 5 दिन किए। उस दौरान बहुत चोट लगी, सिर फूटे, घुटने टूटे। आज भी शूटिंग के वो पांच दिन नहीं भूल सकता हूं। ऐसे बहुत सारे क्षण हैं, जो हमेशा साथ रहते हैं। उस दौरान जो सीखने को मिलता है वह तो अलग ही बात होता है।

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