चीन पर टैरिफ को लेकर ट्रम्प का यू-टर्न:बोले- इसे कम करने को तैयार; 20 दिन पहले US ने 145% और चीन ने 125% टैरिफ लगाया था
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इशारा दिया है कि वे चीन पर लगाए गए टैरिफ को कम कर सकते हैं। उन्होंने ये माना कि मौजूदा टैरिफ दरें इतनी ज्यादा हैं कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने एक-दूसरे के साथ व्यापार करना ही बंद कर दिया है। ट्रम्प ने NBC के एक शो में कहा कि किसी भी समय मैं चीन पर टैक्स घटा दूंगा, क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनके साथ व्यापार करना मुमकिन नहीं होगा, और वे व्यापार करना चाहते हैं। ट्रम्प ने इशारा किया कि चीन की इकोनॉमी इस वक्त मुश्किल में है। वहां फैक्ट्रियों में कामकाज 2023 के बाद से सबसे बुरी हालत में है। एक्सपोर्ट के ऑर्डर भी काफी गिर गए हैं। अपनी अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत ट्रम्प ने अमेरिका में सामान बेचने वाले सभी देशों पर 10% टैरिफ लगाया था। लेकिन, चीन पर टैरिफ बढ़ाते-बढ़ाते 20 अप्रैल को 145% तक कर दिया था। बदले में चीन ने भी अमेरिकी सामान पर 125% तक का टैरिफ लगा दिया था। ट्रम्प बोले- बातचीत की शुरुआत मैं नहीं करूंगा रविवार को आए इंटरव्यू में ट्रम्प ने माना कि चीन पर टैरिफ का असर पड़ा है, फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं और बेरोजगारी काफी बढ़ गई है। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि बातचीत शुरू करने के लिए वो पहल नहीं करेंगे। एंकर क्रिस्टन वेल्कर ने पूछा, क्या आप चीन से बातचीत शुरू करने के लिए टैरिफ हटाने वाले हैं? इस पर ट्रम्प ने जवाब दिया, मैं ऐसा क्यों करूं? ट्रम्प ने ये भी कहा कि बीजिंग की तरफ से हाल में कुछ अच्छे संकेत मिले हैं, लेकिन उन्होंने दोहराया कि अमेरिका और चीन के बीच कोई भी डील तभी होगी जब वो बराबरी की होगी। चीन ने भी बातचीत के लिए तैयार होने के संकेत दिए इस बीच चीन ने शुक्रवार को पहली बार संकेत दिए कि वो अमेरिका के साथ बातचीत के लिए तैयार है। वो अमेरिका के साथ ट्रेड डील की संभावना तलाश रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका की ट्रेड बातचीत की पेशकश पर चीन विचार कर रहा है, लेकिन बातचीत तभी शुरू होगी जब ट्रम्प एकतरफा तौर पर लगाए गए टैरिफ को खत्म करेंगे। टैरिफ वॉर से अमेरिका-चीन दोनों को नुकसान अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर ने वित्तीय बाजारों को हिलाकर रख दिया है और इससे मैन्युफैक्चरिंग उपकरणों के साथ-साथ कपड़े और खिलौनों जैसी सस्ती चीजों की कीमतें बढ़ने का खतरा है, जिन पर कई अमेरिकी निर्भर रहते हैं। वहीं, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की फैक्ट्रियों में कामकाज 2023 के बाद से सबसे बुरी हालत में है। एक्सपोर्ट के ऑर्डर भी काफी गिर गए हैं। ये गिरावट दिसंबर 2022 के बाद से सबसे ज्यादा है। इससे पहले ऐसा अप्रैल 2022 में हुआ था जब शंघाई पूरी तरह लॉकडाउन में चला गया था। ट्रेड वॉर के बीच चीन ने बोइंग से नए विमानों की डिलीवरी लेने से मना किया पिछले महीने चीन ने अपनी एयरलाइन कंपनियों को अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से नए विमानों की डिलीवरी नहीं लेने के आदेश दिए थे। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग ने अमेरिका में बनने वाले विमान के पार्ट्स और डिवाइसेस की खरीद रोकने का आदेश भी दिया है। चीन ने यह आदेश अमेरिका के 145% टैरिफ के जवाब में जारी किया था। बोइंग एयरप्लेन एक अमेरिकी कंपनी है, जो एयरप्लेन, रॉकेट, सैटेलाइट, टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट और मिसाइल बनाती है। कंपनी की स्थापना 15 जुलाई 1916 को विलियम बोइंग ने की थी। कई देशों की एयरलाइंस कंपनियां बोइंग के बनाए गए प्लेन का इस्तेमाल करती हैं। बोइंग अमेरिका की सबसे बड़ी एक्सपोर्टर कंपनी है और यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिफेंस डील करने वाली कंपनी भी है। चीन ने कीमती मेटल्स की सप्लाई भी रोकी चीन ने इस ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के निर्यात पर भी रोक लगा दी है। चीन ने कार, ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक असेंबल करने के लिए जरूरी मैग्नेट यानी चुंबकों के शिपमेंट भी चीनी बंदरगाहों पर रोक दिए हैं। ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस के लिए बेहद अहम हैं। इस फैसले से दुनियाभर में मोटरव्हीकल, एयरक्राफ्ट, सेमीकंडक्टर और हथियार बनाने वाली कंपनियों पर असर पड़ेगा। ये महंगे हो जाएंगे। चीन ने 4 अप्रैल को इन 7 कीमती धातुओं के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। आदेश के मुताबिक ये कीमती धातुएं और उनसे बने खास चुंबक सिर्फ स्पेशल परमिट के साथ ही चीन से बाहर भेजे जा सकते हैं। पूरी खबर यहां पढ़ें…