Tuesday, April 29, 2025
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कौन है पाकिस्तानी बिजनेसमैन जिसे ट्रंप भारत भेजेंगे:अमेरिकी राष्ट्रपति ने क्यों उसे सबसे बुरा इंसान कहा और मोदी बोले- शुक्रिया

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13 फरवरी को अमेरिका में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच मुलाकात हुई। इस मुलाकात में एक पाकिस्तानी बिजनेसमैन के बारे में भी बात हुई। जब बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प से इस बिजनेसमैन के बारे में सवाल पूछा गया, तो ट्रम्प ने उसे दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक बताया। ट्रम्प ने कहा कि उसे भारत को सौंपने में मुझे खुशी हो रही है। अब वह भारत जाकर न्याय का सामना करेगा। जवाब में पीएम मोदी ने ट्रम्प को शुक्रिया कहा। इस खबर में जानेंगे पाकिस्तानी बिजनेसमैन तहव्वुर राणा कौन है और क्यों उसके बारे में मोदी और ट्रम्प ने बात की… पाकिस्तानी मूल का बिजनेसमैन है तहव्वुर राणा 64 साल तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। उस पर पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली की मदद करने का आरोप है। हेडली 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। तहव्वुर हुसैन पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के तौर पर काम करता था। इसके बाद वह 1997 में कनाडा चला गया और वहां इमिग्रेशन सर्विसेस देने वाले बिजनेसमैन के तौर पर काम शुरू किया। यहां से वह अमेरिका पहुंचा और शिकागो सहित कई लोकेशंस पर फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम से कंसल्टेंसी फर्म खोली। अमेरिकी कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक, राणा कई बार कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड भी गया था। वह लगभग 7 भाषाएं बोल सकता है। हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली के बचपन का दोस्त है तहव्वुर पिछले साल कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने तर्क दिया था कि तहव्वुर इस हमले के मास्टरमाइंड डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है और उसे पता था कि हेडली लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर काम कर रहा है। हेडली की मदद करके और उसे आर्थिक मदद पहुंचाकर तहव्वुर आतंकी संस्था और उसके साथ आतंकियों को भी सपोर्ट कर रहा था। राणा को जानकारी थी कि हेडली किससे मिल रहा है, क्या बात कर रहा है। उसे हमले की प्लानिंग और कुछ टारगेट्स के नाम भी पता थे। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि राणा इस पूरी साजिश का हिस्सा था और इस बात की पूरी आशंका है कि उसने आतंकी हमले को फंडिंग करने का अपराध किया है। तहव्वुर ने हेडली को मुंबई में ऑफिस खोलने में मदद की राणा ने ही हेडली को मुंबई में फर्स्ट वर्ल्ड नाम से एक ऑफिस खोलने में मदद की। यह ऑफिस उसने अपनी आतंकी गतिविधियों को छुपाने के लिए खोला था। हेडली ने इमिग्रेशन कंसल्टेंसी के जरिए भारत घूमना और उन लोकेशन को ढूंढना शुरू किया, जहां लश्कर-ए-तैयबा आतंकी हमला कर सकता था। उसने मुंबई में ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस की रेकी की। बाद में यहीं पर हमले भी हुए। अमेरिकी सरकार का कहना है, ‘हेडली ने अपने बयान में बताया है कि राणा ने फर्स्ट वर्ल्ड से जुड़े एक शख्स को आदेश दिया कि वो हेडली के लिए मुंबई में फर्स्ट वर्ल्ड ऑफिस खोलने से जुड़ी फर्जी कहानी को सच दिखाने वाले डॉक्यूमेंट्स बनाए। राणा ने ही हेडली को सलाह दी कि भारत विजिट करने के लिए वीजा कैसे हासिल करना है। ये सारी बातें ईमेल और अन्य दस्तावेजों से प्रमाणित हुई हैं।’ अक्टूबर 2009 में गिरफ्तार हुआ था राणा अमेरिका के शिकागो में अक्टूबर 2009 में FBI ने ओ’हेयर एयरपोर्ट से तहव्वुर राणा को गिरफ्तार किया था। उस पर मुंबई और कोपेनहेगन में आंतकी हमले को अंजाम देने के लिए जरूरी सामान मुहैया कराने का आरोप था। हेडली की गवाही के आधार पर तहव्वुर को 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद पांच साल उसे निगरानी में रहना था। 2011 में राणा को दानिश न्यूजपेपर मॉर्गेनाविसेन जाइलैंड्स-पोस्टेन पर हमले की साजिश रचने का दोषी पाया गया था। इस अखबार ने 2005 में पैगंबर मोहम्मद पर 12 विवादित कार्टून्स छापे थे। इसके विरोध में ऑफिस पर हुए हमले में एक कार्टूनिस्ट का सिर कलम कर दिया गया। अगले ही साल यही 12 कार्टून ‘चार्ली हेब्दो’ नाम की फ्रांसीसी मैगजीन ने छापे, जिसके बदले में 2015 में चार्ली हेब्दो के ऑफिस पर हमला करके 12 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 2011 में भारत के NIA ने राणा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की 2011 में ही भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने राणा समेत 9 लोगों पर मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने और अंजाम देने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की। 2023 में मुंबई पुलिस की तरफ से पेश की गई 400 पेज की चार्जशीट में पुलिस ने लिखा कि राणा 11 नवंबर 2008 को भारत में दाखिल हुआ और 21 नवंबर तक यहां रहा। इस दौरान वह दो दिन मुंबई के पवई में होटल रिनैसां में रहा। राणा को भारत लाने के लिए 6 साल से कोशिश कर रही भारत सरकार भारत ने सबसे पहले 4 दिसंबर 2019 को डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की रिक्वेस्ट दाखिल की। उसकी अस्थायी गिरफ्तारी की मांग करते हुए 10 जून 2020 को एक शिकायत दाखिल की गई। भारत की तरफ से प्रत्यर्पण की मांग के खिलाफ राणा ने लोअर कोर्ट से लेकर सैन फ्रांसिस्को में US कोर्ट ऑफ अपील्स तक में याचिका दाखिल की। हर जगह से उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया। आखिरकार उसने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 13 नवंबर 2024 को एक याचिका दाखिल का लोअर कोर्ट के फैसले का रिव्यू करने की मांग की। इस साल 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने भी राणा की याचिका खारिज कर दी।

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