Friday, April 25, 2025
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कॉफी डे एंटरप्राइजेज के खिलाफ फिर शुरू हुई दिवालिया कार्यवाही:सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा से चुकी NCLAT, कंपनी पर ₹228 करोड़ के डिफॉल्ट का आरोप

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कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड (CDEL) के खिलाफ इंसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग्स यानी दिवालिया कार्यवाही फिर से शुरू हो गई। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLT के सुप्रीम कोर्ट की 21 फरवरी की समय सीमा के भीतर अपना आदेश जारी करने में विफल रहने के बाद यह फैसला हुआ है। इससे पहले NCLAT की चेन्नई बेंच ने सुनवाई पूरी कर ली थी और CDEL के निलंबित बोर्ड के एक डायरेक्टर द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। एक रेगुलेटरी फाइलिंग में CDEL ने कंफर्म किया कि चूंकि अपील को दी गई समय सीमा के अंदर निपटाया नहीं गया था। यही वजह है कि कॉर्पोरेट इंसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) पर रोक हटा दी गई है और इंटरिम रेजोल्यूशन प्रोसेस (IRP) को 22 फरवरी 2025 से बहाल कर दिया गया है। हालांकि कंपनी ने कहा कि आदेश सुरक्षित रखा गया है। लेकिन अभी तक इसे सुनाया नहीं गया। CDEL के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही 8 अगस्त 2024 को शुरू हुई थी CDEL के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही 8 अगस्त 2024 को शुरू हुई थी। जब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की बेंगलुरु बेंच ने IDBI ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड (IDBITSL) की याचिका स्वीकार की थी, जिसमें 228.45 करोड़ रुपए के डिफॉल्ट का दावा किया गया था। NCLAT ने 14 अगस्त 2024 को कार्यवाही पर रोक लगा दी थी कर्ज में डूबी कंपनी के संचालन की देखरेख के लिए एक IRP को नियुक्त किया गया था। निलंबित बोर्ड ने इसे तुरंत चुनौती दी थी। जिसके कारण NCLAT ने 14 अगस्त 2024 को कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। इसके बाद IDBITSL इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गई थी। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी 2025 को NCLAT की चेन्नई बेंच को 21 फरवरी तक अपील का निपटारा करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह भी फैसला सुनाया था कि अगर अपील का निपटारा तय समय सीमा के भीतर नहीं किया गया, तो CDEL की दिवालिया प्रक्रिया पर लगी रोक अपने आप खत्म हो जाएगी। कॉफी डे ग्रुप की पेरेंट कंपनी CDEL कॉफी डे ग्रुप की पेरेंट कंपनी CDEL, कैफे कॉफी डे आउटलेट, एक रिसॉर्ट, कंसल्टेंसी सर्विसेज और कॉफी बीन ट्रेडिंग ऑपरेट करती है। जुलाई 2019 में अपने फाउंडर वीजी सिद्धार्थ के निधन के बाद से कंपनी को फाइनेंशियल स्ट्रगल का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी संपत्ति की बिक्री और रिस्ट्रक्चरिंग के माध्यम से अपने लोन को कम करने का प्रयास कर रही है।

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