ओटीटी रिव्यू-ताजा खबर 2:ताजा खबर में कहानी के नाम पर कोई ताजगी नहीं, जावेद जाफरी के सामने फीके पड़े भुवन बाम
यूट्यूबर भुवन बाम की वेब सीरीज ‘ताजा खबर सीजन 2’ आज से डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो चुकी है। इस सीरीज में भुवन बाम के अलावा श्रिया पिलगांवकर, जावेद जाफरी, देवेन भोजानी, नित्या माथुर, प्रथमेश परब, महेश मांजरेकर जैसे सितारों ने काम किया है। 6 एपिसोड के इस सीरीज को दैनिक भास्कर ने 5 में से 2 स्टार की रेटिंग दी है। सीरीज की कहानी क्या है? पहले सीजन में दिखाया गया था कि किस तरह से एक सफाई कर्मचारी अचानक अमीर बन जाता है। लेकिन बिना मेहनत के कमाए पैसे और ताकत के अपने दुष्परिणाम भी होते हैं। वसंत गावड़े उर्फ वस्या (भुवन बाम) गरीबों में पैसे बांटकर पाप कम करना चाहता है। लेकिन कुछ पाप खून लेकर ही कम होते हैं। वस्या की हत्या हो जाती है। लेकिन यूसुफ अख्तर (जावेद जाफरी) को पता चल जाता है कि वस्या की हत्या नहीं हुई है। उसने अपनी हत्या का ड्रामा खुद ही क्रिएट था। वो वस्या को ढूंढ लेता है और उससे 2 हफ्ते में 500 करोड़ रुपए चुकाने की बात करता है। वस्या की लव लाइफ में भी उतार-चढ़ाव चल रहा है। 500 करोड़ रुपए चुकाने उसकी गर्लफ्रेंड मधु (श्रिया पिलगांवकर) बेस्ट फ्रेंड पीटर (प्रथमेश परब), बेकरी के मालिक महबूब भाई (देवेन भोजानी) किस तरह से मदद करते हैं। और, इस दौरान क्या-क्या मुसीबतें आती हैं। सीरीज की कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? ‘ताजा खबर सीजन 2’ की कहानी मुख्यरूप से वसंत गावड़े उर्फ वस्या और यूसुफ अख्तर के किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है। यूसुफ अख्तर के किरदार में जावेद जाफरी ने जान फूंक दी है। भुवन बाम ने भी अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश की है। लेकिन जावेद जाफरी के सामने थोड़े से कमजोर दिखे। इमोशनल सीन को श्रिया पिलगांवकर ने अच्छे से निभाया है। किस्मत भाई की भूमिका में महेश मांजरेकर का किरदार कैमियो से कुछ ज्यादा नहीं दिखता। महबूब भाई की भूमिका में देवेन भोजानी खरे नहीं उतरे। देवेन भोजानी जैसे दिग्गज अभिनेता से डायरेक्टर ठीक से काम नहीं निकलवा पाए। पीटर की भूमिका में प्रथमेश परब बीच-बीच में कॉमेडी का तड़का लगाते रहते हैं। लेकिन उनका भी किरदार पूरी तरह से उभरकर नहीं आया। डायरेक्शन कैसा है? वस्या और उसके वरदान के बीच चमत्कार और जादू को सीरीज के डायरेक्टर हिमांक गौर ने इस तरह से पेश किया है। जो कनेक्ट नहीं होती है। इस सीरीज की पूरी कहानी कॉकटेल की तरह है। सीरीज की कहानी ना तो पूरी तरह से काल्पनिक लगती है और ना ही वास्तविकता के करीब दिखती है। यही वजह है कि सीरीज के बाकी किरदार असर नहीं छोड़ पाते हैं। सीरीज में ऐसा कोई रोमांचक पल नहीं आता है कि शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रखे। सीरीज का म्यूजिक कैसा है? इस सीरीज में वैसे तो 6 गाने हैं, लेकिन ‘होके मजबूर’ और ‘पइसा’ के अलावा ऐसा कोई गीत नहीं जो याद रहे। फिल्म का बैकग्राउन्ड म्यूजिक सामान्य है। फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं? ताजा खबर में कहानी के नाम पर कोई ताजगी नहीं है। फिर भी अगर आपके पास फुरसत हो और भुवन बाम के प्रसंशक हैं तो सीरीज एक बार देख सकते हैं।