Tuesday, December 24, 2024
Entertainment

ऑस्ट्रेलिया में बर्तन धोते थे अमित सियाल:टैक्सी भी चलाई, जूते की दुकान पर बैठे; मुश्किल से मिली पहली फिल्म 4 साल रिलीज नहीं हुई

Share News

इस बार की स्ट्रगल स्टोरी में हमने एक्टर अमित सियाल की कहानी को समेटा है। ये वही अमित सियाल हैं जिन्होंने सीरीज महारानी में नवीन कुमार, जामताड़ा में बृजेश भान और मिर्जापुर में राम शरण मौर्या का रोल निभाया है। अजय देवगन की फिल्म रेड में इन्होंने लल्लन सुधीर का किरदार निभाया था। दोपहर 2 बजे अमित मुंबई स्तिथ दैनिक भास्कर ऑफिस पहुंचे। थोड़ी औपचारिकता के बाद उन्होंने संघर्ष की कहानी बतानी शुरू की। उन्होंने बताया कि पेरेंट्स के सामने खुद को साबित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना पड़ा, जहां उन्होंने कभी टैक्सी चलाई, तो कभी बर्तन धोए। उन्होंने कहा- मैं इन कामों को छोटा नहीं मानता, जिसका नतीजा है कि मैं एक-एक करके सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा हूं। पढ़िए अमित सियाल की कहानी, उन्हीं की जुबानी…. मां-बाप के तानों से बचने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने का प्लान बनाया
अमित 20-21 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया चले गए थे, जहां उन्होंने पढ़ाई के साथ छोटी-मोटी नौकरियां भी कीं। इस बारे में वे कहते हैं, ‘जब एक बार थिएटर से जुड़ा तो खुद को उससे दूर नहीं कर पाया। दिल्ली जाकर कुछ समय के लिए बैरी जॉन के एक्टिंग स्कूल में कोर्स भी किया। पढ़ाई से वास्ता छूटता जा रहा था। मेरी यह कंडीशन देखकर मां-बाप को डर सताने लगा। हर दिन बस वे यही कहते थे- बेटा पढ़ाई पर ध्यान दो, लेकिन मुझे तो एक्टिंग के अलावा कुछ सूझ ही नहीं रहा था। उस वक्त मेरा एक दोस्त हुआ करता था। उसकी भी कंडीशन ठीक मेरे जैसी थी। हम दोनों परिवार के तानों के मारे थे। उसी वक्त ऑस्ट्रेलिया में स्टूडेंट वीजा का रास्ता खुला था। इस बारे में जानकर दोस्त और मैंने तरकीब सोची। हमने प्लान किया कि हम ऑस्ट्रेलिया जाएंगे, वहां पर पढ़ाई और नौकरी करेंगे, जिससे घरवालों को भरोसा हो जाएगा कि हम भविष्य को लेकर सीरियस हैं। बारी-बारी से हमने यह बात हमने घरवालों को बताई। पहले तो पापा ने साफ मना कर दिया, लेकिन फिर भी मेरा रोना-धोना चालू था। आखिरकार उन्हें मानना ही पड़ा, पर दोस्त अपने परिवार वालों को मनाने में नाकाम रहा। इस तरह परिवार की रजामंदी मिलने के बाद मैंने ऑस्ट्रेलिया की तरफ रुख किया।’ ऑस्ट्रेलिया में कभी बर्तन धोए, तो कभी टैक्सी चलाई
अमित आगे कहते हैं, ‘ऑस्ट्रेलिया पहुंच कर मुझे जिंदगी का असली सबक मिला। मैंने पहले ही प्लान कर लिया था कि वहां पर नौकरी भी करूंगा और पढ़ाई भी। वहां पहुंचते ही मुझे एक होटल में बर्तन धोने का काम मिल गया। 6 घंटे के काम के लिए 35 डॉलर मिलते थे और खाना भी मिलता था। मैंने कभी भी किसी काम को कमतर नहीं आंका, ना ही मेरे घरवालों ने। मैंने वहां बर्तन धोने के अलावा टैक्सी भी चलाई, डोर-टु-डोर सेल्समैन का भी काम किया। ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में रहकर मैं गुजारे के लिए पेरेंट्स से मदद नहीं ले सकता था। इस कारण मैंने ही यह सारे काम करने का जिम्मा उठाया था।’ रणदीप हुड्डा के साथ भी टैक्सी चलाई
अमित जब ऑस्ट्रेलिया में रह रहे थे, तब उनकी मुलाकात एक्टर रणदीप हुड्डा से हुई थी, जो बाद में उनके बहुत अच्छे दोस्त बन गए। रणदीप से दोस्ती के बारे में अमित कहते हैं, ‘यह बात तबकी है, जब मैं 21 साल का था। मैं ऑस्ट्रेलिया में जहां रहता था, एक दिन रणदीप वहां आए थे। मेरा उनसे कॉमन फ्रेंड की वजह से मिलना हुआ था। पहली मुलाकात के बाद हम दोस्त बन गए। जब भी मैं और रणदीप मिलते थे, तब सिर्फ फिल्मों की ही बातें करते थे। हमने साथ में टैक्सी भी चलाई है। रणदीप तो वहां पर मॉडलिंग भी करते थे।’ 2001 में वापस दिल्ली आए, काम नहीं मिला तो जूते बेचने का काम किया
2001 में अमित भारत वापस आ गए थे। कहीं ना कहीं भारत वापस आने के लिए रणदीप ने ही अमित को मोटिवेट किया था। इस बारे में अमित ने बताया, ‘कुछ समय ऑस्ट्रेलिया में रहने के बाद रणदीप ने भारत वापस आकर एक्टिंग फील्ड में काम करने का मन बना लिया था। उन्हीं के नक्शेकदम पर चल कर मैं भी आ गया। मैं ऑस्ट्रेलिया से सीधे दिल्ली आ गया था। दिल्ली में कई जगह नौकरी के लिए अप्लाय किया, लेकिन रिसेशन की वजह से कहीं भी काम नहीं मिला। बहुत दिन बिना काम के बीते। थक-हार कर मुझे कानपुर वापस आना पड़ा। मैंने सोचा कि पापा के साथ जूते वाले काम में हाथ बटाऊंगा, लेकिन उनके साथ तालमेल नहीं बैठा। आखिरकार मुझे फिर दिल्ली जाना पड़ा। वहां पर मेरी मुलाकात थिएटर के कुछ दोस्तों से हुई। उन्हीं दोस्तों ने मुझे फिर से थिएटर से जुड़ने के लिए इंस्पायर किया। एक बार फिर मेरा मन एक्टिंग की तरफ मुड़ गया। ऐसा लगने लगा कि अगर एक्टिंग नहीं करूंगा तो मर जाऊंगा। इस समय मैंने Takeaway (एक किस्म का रेस्टोरेंट) खोला था । सोचा कि अगर कहीं काम नहीं मिला तो भूखा तो नहीं मरूंगा ना।’ पहली फिल्म 4 साल बाद रिलीज हुई
आगे की बातचीत में अमित ने फिल्म इंडस्ट्री में मिली पहली ठोकर के बारे में बताया। वे कहते हैं, ‘एक दिन रणदीप हुड्डा ने कॉल कर फिल्म D में काम करने का ऑफर दिया। उनका कहना मान कर मैं मुंबई आ गया, लेकिन यह फिल्म समय से शुरू नहीं हो पाई। उस वक्त डायरेक्टर तनुजा चंद्रा एक फिल्म बना रही थीं। रणदीप ने इस फिल्म का भी ऑडिशन देने को कहा। ऑडिशन के दिन ही मैं लेट हो गया, जिस कारण तनुजा जी बहुत भड़क गईं। खैर मेरा ऑडिशन हुआ और सिलेक्शन भी हो गया। फिल्म के साइनिंग अमाउंट के रूप में मुझे 50 हजार रुपए मिले थे। मैं इस फिल्म में एक्ट्रेस महिमा चौधरी के साथ स्क्रीन शेयर करने वाला था। लग रहा था कि बस इस फिल्म को करने के बाद करियर सेट हो जाएगा। मेरे अंदर घमंड आ गया कि मेरा काम अच्छा है जो स्ट्रगल नहीं करना पड़ा। जो लोग स्ट्रगल करते हैं, वे काम नहीं करते। बस इंडस्ट्री को बदनाम करते हैं। नतीजतन इस घमंड का खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा। इस फिल्म को रिलीज होने में 4 साल लगे। इसके बाद मुझे फिर से जीरो से शुरुआत करनी पड़ी।’ पहली फिल्म की रिलीज लेट होने पर टूट गए थे
पहली फिल्म लम्बे वक्त तक रुक जाने पर अमित बुरी तरह से टूट गए थे। उन्होंने कहा, ‘यह समय मेरे लिए बहुत दुखदायी था। खुद पर गुस्सा आने लगा था। डर सताने लगा था कि कोई इस समय साथ देगा या नहीं। एक बात बिल्कुल सही है कि एकदम से मिली सफलता को इंसान पचा नहीं पाता है। ठीक मेरे साथ भी वही हुआ। कुछ समय तक खुद को सहारा देने के बाद मैंने एक बार फिर से थिएटर से नई शुरुआत की। साथ ही फिल्मों में छोटे-छोटे सीन्स भी करता रहा, जिससे बहुत कुछ सीखने को मिला।’ अमित ने फिल्मों से ज्यादा OTT में काम किया है। उन्हें सबसे बड़ी सफलता सीरीज इनसाइड एज से मिली थी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अजय, अक्षय और माधवन के साथ फिल्म करने वाले हैं
अमित ने अपकमिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, ‘आने वाले समय में फिल्म रेड 2 रिलीज होने वाली है। उसमें भी मैंने काम किया है। इसके अलावा अक्षय और माधवन सर के साथ धर्मा प्रोडक्शन की एक फिल्म है। इसके अलावा 1-2 सीरीज भी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *