एमआरआई स्कैन से पहले गैडोलीनियम आधारित कंट्रास्ट एजेंट को इंजेक्ट किया जाता है, जिससे क्लियर स्कैन बनाने में मदद मिलती है. लेकिन कुछ मामलों में यह धातु शरीर में रह जाती है. यहां तक कि उन लोगों में भी, जिन्हें कोई लक्षण नहीं होते. यह धातु सालों बाद भी खून और मूत्र में पाई जा सकती है.