Sports

एक खराब बॉल मिलती तो पंजाब चैंपियन होता:आखिरी ओवर तक क्रीज पर डटे रहने वाले शशांक बोले- मैंने इस सीजन में पॉजिटिव रहना सीखा

Share News

3 जून 2025। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में आईपीएल 2025 का फाइनल मुकाबला। पंजाब को जीतने के लिए 12 बॉल में 42 रन की जरूरत थी। फैंस की उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी थीं। क्रीज पर शशांक सिंह और काइल जेमीसन थे। शशांक ने हार नहीं मानी। आखिरी ओवर में जीत के लिए 29 रन चाहिए थे। शशांक ने तीन छक्के और एक चौका लगाकर 22 रन बटोरे। पंजाब किंग्स भले ही 6 रन से फाइनल हार गई, लेकिन शशांक ने फैंस के दिल जीत लिए। बेंगलुरू के विराट की आंखों में आंसू थे, तो शशांक भी मैदान पर फफककर रो पड़े थे। दैनिक भास्कर ने शशांक से बातचीत कर ये जाना कि फाइनल मैच के प्रेशर में उनके जेहन में क्या चल रहा था? कप्तान श्रेयस अय्यर ने उन्हें क्या कहा था और IPL के बाद उनका अगला टारगेट क्या है? पढ़िए, शशांक से बातचीत… सवाल: आखिरी ओवर के वक्त दिमाग में क्या चल रहा था?
शशांक: मुझे पूरा भरोसा था कि मैं कर लूंगा। हर बॉल पर छक्के की जरूरत थी। जब पहला बॉल मिस हुआ था तो बहुत बुरा लगा, सेकेंड बॉल पर मैंने सिंगल नहीं दिया था। उस समय मेरे सामने काइल जेमीसन बैटिंग कर रहे थे। मेरी स्ट्रैटजी थी कि स्ट्राइकर एंड पर मैं रहूं। ये लगभग नामुमकिन था, लेकिन एक उम्मीद रहती है कि एक नो बॉल हो जाए या एक खराब बॉल मिल जाए तो सब संभव है। भरोसा रखना बेहद जरूरी होता है। जब आप फाइनल जैसा मुकाबला खेलते हैं तो सामने वाली टीम भी प्रेशर में रहती है। मुझे यकीन था कि खराब बॉल आएगी। मैं अपना सौ फीसदी दे रहा था। जब आखिरी बॉल पर 12 रन चाहिए थे, तब मुझे लगा कि हम नहीं कर पाए। सवाल: टाइम आउट के दौरान कप्तान श्रेयस अय्यर ने क्या कहा था?
शशांक: पूरे टूर्नामेंट के दौरान हम लोग उम्मीद और भरोसे की ही बात कर रहे थे। टाइम आउट में श्रेयस ने हमसे यही कहा कि विश्वास रखना, तुम कर पाओगे। अच्छी इंटेंसिटी से बैटिंग करना और अच्छा इंटेंट रखना। श्रेयस को पूरा भरोसा था कि हम दोनों कर पाएंगे। हमें भी विश्वास था। पूरी टीम को विश्वास था कि हम लोग कर लेंगे। पर हमेशा कोई हारता है, कोई सीखता है तो हम लोग उस दिन सीखे। सवाल: आपने पंजाब के टॉप-2 में होने की पहले ही भविष्यवाणी की थी?
शशांक: हम लोगों की जब टीम बनी तो मैं सबसे मिला। कोच रिकी पोंटिंग, ब्रेड हैडिन, जेम्स होप्स और हमारे डोमेस्टिक कोच सुनील जोशी, ट्रेवर गोंजाल्विस…सभी टूर्नामेंट को लेकर पॉजिटिव थे। कप्तान श्रेयस को मैं पहले से जानता हूं। इस बार मिला तो उनमें काफी पॉजिटिव बदलाव देखने को मिला। जब आप ऐसे पॉजिटिव माहौल में रहते हैं तो भरोसा बढ़ता है। हम सभी लोगों को उम्मीद थी कि हम टॉप-2 में आएंगे। ये भरोसा भी था कि हम जीतेंगे, मगर मैं वहां गलत हो गया। हमारी टीम में शुरू से आखिर तक एकजुटता थी, वो ही गेम में जरूरी होती है। सवाल: फाइनल हारने के बाद टीम का रिएक्शन क्या था?
शशांक: फाइनल में हार के बाद भी श्रेयस पॉजिटिव था। उसने कहा कि ये चैंपियन टीम है, हम अभी नहीं जीत पाए लेकिन अगले साल का आईपीएल कुछ महीने ही दूर है। हम लोग वापस आने वाले हैं और हम कप लेने वाले हैं। नेक्स्ट टाइम फाइनल मैच बेंगलुरू में होगा और इसमें कोई दो राय नहीं कि हम ही जीतेंगे। हां, कुछ देर तक बुरा जरूर लगा। उसके बाद अब हम अभी से 2026 आईपीएल की तैयारियों में जुट गए हैं। हमें ये डर भी नहीं रहता है कि यदि कोई इंजर्ड हो गया तो कौन खेलेगा, हमारे 25 के 25 प्लेयर्स मैच विनर हैं। हमारे पीछे मैनेजमेंट का बहुत बड़ा हाथ था। हमारे जितने डोमेस्टिक प्लेयर्स थे, प्रियांश, प्रभसिमरन और मैं…हम सब का सीजन ठीक ठाक गया है। सवाल: एमपी में क्रिकेट का भविष्य कैसा है?
शशांक: एमपी में रजत बहुत स्टेब्लिश प्लेयर है। दिल्ली से खेलने वाला एक माधव तिवारी था, एक अनिकेत था, कोलकाता की टीम में भी एक मिस्ट्री बॉलर आया। एमपी में टैलेंट की कमी नहीं है। जब मैं खेला, तब भी नहीं थी। स्किल सब के पास होती है। बस वो सही समय पर क्लिक करना जरूरी है। एमपी की टीम ने इस बार मुश्ताक अली कप का फाइनल खेला। दो साल पहले रणजी ट्रॉफी जीती। ये सब चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं और ये ग्रास रूट लेवल से ही आती हैं। छोटे शहरों में क्रिकेट डेवलप हो रहा है। मप्र क्रिकेट एसोसिएशन को इसका क्रेडिट देना चाहिए। सवाल: IPL के बाद अब क्या करने वाले हैं?
शशांक: देश के लिए खेलना हर खिलाड़ी का सपना होता है। उससे पहले रणजी, विजय हजारे ट्रॉफी जैसे कई सारे टूर्नामेंट हैं। सबसे ज्यादा जरूरी है आराम करना। मैं अगले कुछ दिन तक परिवार के साथ समय बिताऊंगा। ये सीजन काफी लंबा था। कई उतार-चढ़ाव थे। मेंटल स्ट्रेस भी बहुत ज्यादा था। एक बार मेरा छत्तीसगढ़ का टूर्नामेंट खत्म होगा, तो मेरा प्लान है एक महीने तक अपने मम्मी- पापा और बहन के साथ समय बिताना। सवाल: क्रिकेट की इस जर्नी में परिवार का कैसा सपोर्ट रहा?
शशांक: मैं बहुत लकी हूं इस मामले में कि मेरे फैमिली का बहुत सपोर्ट रहा है। आज भी उतार-चढ़ाव आते हैं, बुरा वक्त आता है तो वो मेरी हिम्मत बढ़ाते हैं। हमारे देश में क्रिकेट बहुत बड़ा गेम है। सभी को फैमिली से इतना सपोर्ट नहीं मिलता है। मुझे पता है कि जिस दिन मैं आखिरी मैच खेलूंगा, तब तक मुझे फैमिली और दोस्तों का सपोर्ट मिलेगा। सवाल: इस IPL से पर्सनली क्या सीखने को मिला?
शशांक: पॉजिटिव रहना। ये इस आईपीएल की सबसे बड़ी सीख है। मुझे सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, लाइफ के लिए भी सीख मिली है। मैं श्रेयस को 15 साल से जानता हूं पर इस साल हम तीन महीने साथ थे तो एक दूसरे को बहुत अच्छे से जान सके। मैंने तब महसूस किया कि वह इतना कामयाब क्यों है? इसमें कोई शक नहीं कि स्किल्स वाइज, टैलेंट वाइज वो बहुत ऊपर है। वो हमेशा बहुत पॉजिटिव रहता है। हमने तीन महीने में कभी नहीं देखा कि उसने किसी से नेगेटिव बात की हो, उसने हम सभी को प्रभावित किया है। मैं सभी को कहना चाहूंगा कि अपने जीवन में पॉजिटिव रहिए। क्रिकेट तो लाइफ का एक पार्ट है, लाइफ सबसे ऊपर है। ये खबर भी पढ़ें… इंदौर के रजत की कप्तानी, पहली बार IPL जीती RCB इंदौर के रजत पाटीदार की कप्तानी में आखिरकार रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरु (आरसीबी) को आईपीएल की ट्रॉफी मिल ही गई। 17 साल से आईपीएल में आरसीबी ने कई कप्तान बदले पर रजत इस टीम के लिए लकी चार्म साबित हुए। रजत ने इस आईपीएल में 15 मैच में 143.77 के स्ट्राइक रेट से 312 रन बनाए। इस सीजन वे दो फिफ्टी भी लगा चुके हैं। पढ़ें पूरी खबर… रजत ने दोस्त से कहा था- इस बार ट्रॉफी जिताऊंगा​​​​​​​​​​​​​​ ​​​​​​​इंदौर के रजत पाटीदार की कप्तानी में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरु (आरसीबी) ने IPL-2025 की ट्रॉफी अपने नाम की।​​​​​​​ रजत पाटीदार ने बचपन में जिन कोच से ट्रेनिंग ली। दैनिक भास्कर ने उन्हीं बचपन के कोच राम अत्रे से बात की। उन्होंने बताया कि रजत एक सिंसियर और मेहनती खिलाड़ी थे, जो मैदान पर पूरी लगन से प्रैक्टिस करते थे।​​​​​​​ पढ़ें पूरी खबर… ​​​​

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *