Wednesday, March 12, 2025
Latest:
Entertainment

इंजीनियरिंग छोड़ एक्टिंग में आए गोपाल सिंह:बोले- रामगोपाल वर्मा हमारे जैसे आर्टिस्ट के लिए भगवान थे, मधुर भंडारकर ने ढूंढ कर काम दिया

Share News

एक्टर गोपाल सिंह अपने दमदार अभिनय के जरिए बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। एक्टर को सबसे पहला मौका राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘कंपनी’ में मिला था। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान गोपाल सिंह ने बताया कि रामगोपाल वर्मा हमारे जैसे आर्टिस्ट के लिए भगवान थे। ‘कंपनी’ के बाद ‘एक हसीना थी’, ‘पेज-3’, ‘ट्रैफिक सिग्नल’, ‘बदलापुर’ और ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ जैसी कई फिल्मों में दमदार भूमिका निभा चुके गोपाल सिंह के करियर के लिए ‘ट्रैफिक सिग्नल’ टर्निंग पॉइंट फिल्म थी। इस फिल्म में मधुर भंडारकर ने गोपाल को ढूंढ कर काम दिया दिया था। पढ़िए गोपाल सिंह से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.. एक्टिंग की तरफ आपका झुकाव कब और कैसे हुआ? मेरा जन्म बिहार के कैमूर जिले में हुआ था। मेरे पिता छत्तीसगढ़ में माइंस में सिविल इंजीनियर थे। मैं वहीं पला बढ़ा। वहां हफ्ते में एक दिन रोड साइड सिनेमा दिखाया जाता था। अभिनय का बीज वहीं से पड़ा। 12th के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने दिल्ली चला गया। सेकेंड ईयर के दौरान एक मित्र के साथ मंडी हाउस में एक नाटक का रिहर्सल देखने गया। मुझे बहुत अच्छा लगा। मुझे लगने लगा कि नाटक करना चाहिए। पंडित एन के शर्मा के एक्ट वन नाट्यग्रुप जॉइन किया। तीन साल में लगभग 21 नाटकों में काम किया। दिल्ली के साहित्य कला परिषद में ए ग्रेड आर्टिस्ट और रिपरटरी चीफ भी रहा। पेरेंट्स को जब आपने एक्टिंग प्रोफेशन के बारे में बताया तब उनकी क्या प्रतिक्रिया थी? नाटकों में व्यस्तता के चलते पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। पेरेंट्स को नाटक के बारे में बताया। मम्मी और पापा दोनों दिल्ली आ गए। उन्होंने नाटक के रिहर्सल देखे, उन्हें ठीक लगा। पापा ने सिर्फ यही कहा कि अगर पढ़ाई पूरी कर लेते तो अच्छा रहता, लेकिन उन्होंने एक्टिंग में आने से कभी नहीं रोका। मुंबई कब आए और पहला ब्रेक कैसे मिला? शुरू से ही मेरे मन में यह बात स्पष्ट थी कि नाटकों के जरिए खुद को अभिनेता के तौर पर परिपक्व करना है। मुंबई 2001 के मध्य में आया। यहां हम जैसे दिखने वाले एक्टर के लिए राम गोपाल वर्मा भगवान थे। हम यही सोचते थे कि मुंबई आने के बाद सबसे पहले राम गोपाल वर्मा के ऑफिस में जाना है। उनके ऑफिस के बाहर हमेशा भीड़ लगी रहती थी। इस इंतजार में लोग खड़े रहते थे कि रामू जी की उनपर नजर पड़े। वो भीड़ में से बुलाकर लोगों को अपनी फिल्मों के लिए कास्ट भी करते थे। मैं भी इसी उम्मीद में गया और मुझे फिल्म ‘कंपनी’ में काम करने का अवसर मिला। पहली ही फिल्म में मोहन लाल, अजय देवगन और विवेक ओबेरॉय जैसे स्टार्स के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? एक्टिंग करते समय सामने वाला स्टार सिर्फ कैरेक्टर ही लगता है। मैं किसी स्टार के स्टारडम में नहीं खोया। शूटिंग के बाद हम लोग मिलते थे। बातचीत होती थी। यह अलग बात है। हां, मोहन लाल जी की एक खासियत थी कि इतने बड़े स्टार होने के बाद जमीन से जुड़े इंसान हैं। उनके हिंदी में बहुत ही लंबे-लंबे डायलॉग थे। मुझसे पूछते थे कि हिंदी कैसी बोल रहा हूं? यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मोहन लाल सर जैसे दिग्गज अभिनेता के साथ वक्त गुजारने का समय मिला था। पहली फिल्म का फायदा कितना मिला? राह चलते मुझे लोग पहचानने लगे थे। मेरे पिता जी माइंस में सिविल इंजीनियर थे। उनके लिए खुशी की यह बात थी कि माइंस के जीएम मेरे घर आए और पिताजी से बोले कि मैंने सुना है कि आपका लड़का फिल्म में काम करता है। उस समय पिता जी बहुत खुश हुए थे। खैर, फिल्म ‘कंपनी’ के बाद ऐसे ही दौर चलता रहा। ‘एक हसीना थी’ जैसी कई फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभाए। सही मायने में आपको पहचान किस फिल्म से मिली? ‘एक हसीना थी’ देखने के बाद मुझे पता चला कि मधुर भंडारकर जी मुझे अपनी फिल्म ‘पेज 3’ के लिए ढूंढ रहे हैं। मधुर जी मिला तो उन्होंने ‘पेज 3’ के लिए एक छोटा सा रोल ऑफर किया। मैंने बड़ी विनम्रता से हाथ जोड़कर कहा कि सर मैं छोटा रोल नहीं करना चाहता हूं। मधुर जी बोले की अभी यह फिल्म कर लो अगली फिल्म में महत्वपूर्ण रोल दूंगा। फिर मधुर भंडारकर ने अपना वादा निभाया? बिल्कुल, जब वो फिल्म ‘ट्रैफिक सिग्नल’ बना रहे थे तब मेरा नंबर चेंज हो गया था। मधुर जी ने मुझे ढूंढ कर बुलाया और ‘ट्रैफिक सिग्नल’ में मुझे सामरी का किरदार दिया। यह किरदार बहुत ही लोकप्रिय हुआ। इस किरदार की वजह से लोगों ने पहचानना शुरू किया। मधुर जी की फिल्मों में मेरे लायक कोई किरदार होता है तो जरूर देते हैं। फिल्म ‘लॉकडाउन’ में भी उन्होंने बहुत ही अच्छा किरदार दिया था। अभी मेरी वेब सीरीज ‘चिड़िया उड़’ रिलीज हुई है। इसे पहले मधुर भंडारकर ही डायरेक्ट करने वाले थे, लेकिन व्यस्तताओं की वजह से नहीं कर पाए। फिर इस सीरीज को रवि जाधव ने डायरेक्ट किया। इसमें मेरा बहुत ही चैलेंजिंग किरदार है। आपने अब तक कई तरह के किरदार निभाए हैं, किस किरदार से आपको अच्छी पहचान मिली? लोग ‘ट्रैफिक सिग्नल’ से ही मुझे पहचानने लगे थे। अब वेब सीरीज ‘चिड़िया उड़’ से भी एक अलग पहचान बन गई है। लोग इस सीरीज के किरदार राजू भाई के नाम से जानने लगे हैं। विपुल शाह की फिल्म ‘बस्तर: द नक्सल स्टोरी’ में भी मुझे अलग तरह का किरदार निभाने का मौका मिला। इस फिल्म से भी मुझे एक अलग पहचान मिली। अभी आपके आने वाले कौन से प्रोजेक्ट हैं? अभी मैं अजय देवगन के प्रोडक्शन की फिल्म ‘मां’ कर रहा हूं। इसमें काजोल लीड भूमिका में हैं। इस फिल्म को विशाल फूरिया डायरेक्ट कर रहे हैं। यह हॉरर शैली की फिल्म है। इसमें मेरा बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार है। एक वेब सीरीज भी कर रहा हूं, लेकिन इसके बारे में अभी कुछ विस्तार से नहीं बता पाऊंगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *