Tuesday, March 11, 2025
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अमेरिका से डिपोर्ट कुरूक्षेत्र का युवक गिरफ्तार:नाबालिग से छेड़छाड़ का केस; पटियाला में US से लौटाए चचेरे भाई मर्डर केस में पकड़े

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अमेरिका से डिपोर्ट होकर बीती रात भारत लौटा हरियाणा का एक युवक पॉक्सो एक्ट का आरोपी निकला। कुरुक्षेत्र का ये युवक जैसे ही अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा वैसे ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। युवक पर आरोप था कि उसने 2022 में एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़खानी की और उसे जान से मारने की धमकी दी। जब पुलिस ने विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया तो वो 2022 में ही विदेश निकल गया। वहीं पंजाब के 2 चचेरे भाइयों को भी पुलिस ने प्लेन से उतरते ही गिरफ्तार कर लिया था। इन पर 2 साल पहले हुई एक हत्या का केस दर्ज है। जांच में पता चला है कि सजा से बचने के लिए दोनों भाई डंकी के जरिए अमेरिका भाग गए थे। राजपुरा सिटी थाने के SHO बलविंदर सिंह ने कहा है कि दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर तीन दिन की रिमांड पर लिया गया है। इनकी पहचान संदीप और प्रदीप के रूप में हुई है। ये पटियाला में राजपुरा के रहने वाले हैं। हालांकि, इनके परिजनों का कहना है कि बच्चों को झूठे केस में फंसाया जा रहा है। 2 साल पहले क्या हुआ था… रेहड़ी वालों से झगड़ने पहुंचे थे आरोपी
25 जून 2023 को पटियाला के राजपुरा सिटी थाने में दर्ज FIR के मुताबिक, शिकायतकर्ता हरमनजोत ने जानकारी दी थी कि दाना मंडी के करीब उनकी रेहड़ी लगती है। वहां 25 जून की रात 10.30 बजे हसमुख सिंह उनकी रेहड़ी पर आया। हसमुख सिंह आकर किसी बात पर बहस करने लगा। पास खड़े उनके रिश्तेदार और दोस्त उसे समझाने लगे, लेकिन हसमुख सिंह नहीं माना। उसने अपने दोस्तों संदीप सिंह उर्फ सनी और सुखदेव सिंह को बुला लिया। ये लोग स्विफ्ट कार और स्कॉर्पियो में कुछ अन्य लोगों को लेकर आए थे। तलवारें लेकर आए युवक, हाथापाई की
शिकायतकर्ता ने बताया कि आरोपियों के हाथ में तलवारें थीं। इन तलवारों से आरोपियों ने शिकायतकर्ता हरमनजोत के भाई सचंदर सिंह और फूफा सरवन सिंह पर हमला कर दिया। हालांकि, उन्होंने उस समय तलवारें नहीं चलाई थीं, केवल हाथापाई की थी। इसके बाद सभी धमकी देकर वहां से चले गए थे। कह रहे थे कि कल देख लेंगे। लेकिन, घटना के कुछ देर बाद ही आरोपी वहां फिर से आ गए और तलवारों से सचंदर सिंह और सरवन सिंह पर हमला कर दिया। इसमें दोनों घायल हो गए। मौके पर मौजूद लोगों ने दोनों को अस्पताल पहुंचाया। वहां सरवन सिंह को डॉक्टरों ने मृत घोषित किया। आरोपी युवक ही तलवार लेकर पहुंचे थे
इस घटना में दोनों भाइयों पर आरोप है कि ये गांव ढींडसा के रहने वाले हसमुख के साथ दाना मंडी पहुंचे थे। यहां फल विक्रेताओं के साथ हुए झगड़े में ये दोनों साथ थे। हसमुख के कहने पर ही संदीप और प्रदीप तलवारें लेकर दाना मंडी पहुंचे थे। आरोपियों के परिजन क्या बोले… घर नहीं पहुंचे बच्चे, पुलिस ने रास्ते से ही पकड़ लिया
इधर, दोनों आरोपियों के पारिवारिक सदस्य सतनाम सिंह ने जानकारी दी है कि आज सुबह ही सूचना मिली कि अमेरिका से डिपोर्ट होकर आए प्रदीप और संदीप घर नहीं पहुंचे हैं। पूरा परिवार उनके घर आने का इंतजार कर रहा था। बाद में पता चला कि दोनों को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है। एजेंट ने साफ रास्ते से भेजने की बात कही थी
सतनाम सिंह ने कहा है कि दोनों को झूठे केस में फंसाया गया है। दोनों को बाहर भेजने के लिए हमने 1.20 करोड़ रुपए खर्च किए थे। पैसे लेने से पहले एजेंट ने साफ रूट से भेजने की बात कही थी, लेकिन दोनों बच्चों को जंगल के रास्ते भेजा गया। गाड़ी को लेकर FIR में नाम आया था
2 साल पहले हुए झगड़े पर सतनाम सिंह ने कहा कि झगड़े में दोनों को फंसाया गया है। इस केस में स्विफ्ट गाड़ी के कारण दोनों के नाम सामने आए थे। पुलिस ने गाड़ी हमारे घर से बरामद की थी। सतनाम ने अपील की है कि उनके बच्चों को झूठे केस से निकाला जाए और बाहर भेजने वाले एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मैं 8-10 हजार में ड्राइवरी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहा हूं। अब पढ़िए, डिपोर्ट होकर आए अन्य परिवारों की कहानी… संगरूर के चट्ठा सेखवा के रहने वाले हरदीप सिंह भी अपने घर पहुंच गए हैं। इनके परिवार ने तो मीडिया से बातचीत करने से साफ इनकार कर दिया। हालांकि इनके एक रिश्तेदार ने मीडिया से बातचीत के दौरान हरदीप के सफर के बारे में बताया। रिश्तेदार ने बताया कि हरदीप सिंह (31) ने पटियाला यूनिवर्सिटी से एमबीए किया था। वह काफी समय ने नौकरी की तलाश कर रहा था। लेकिन जब वह कामयाब नहीं हुआ तो उसने विदेश जाने की राह चुनी। उसने दो से तीन देशों के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। 18 सितंबर 2024 को वो घर से अमेरिका के लिए निकल गया था। एजेंट ने उसे अमेरिका पहुंचाने के लिए 40 लाख मांगे थे, जो दे दिए गए थे। माजरी का तरणवीर भी अपने गांव खेड़ा पहुंच गया है। तरणवीर के करीबी रिश्तेदार बताते हैं कि परिवार ने उसे जमीन बेचकर विदेश भेजा था। एजेंटों ने उसे अमेरिका भेजने के लिए 50 लाख से ज्यादा रुपये लिए थे। वह करीब 9 महीने पहले ही घर से अमेरिका के लिए निकला था। अमेरिका पहुंचने के लिए उसने मेक्सिको के जंगलों में करीब 8 महीने तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ी। इस दौरान उसे सिर्फ ब्रेड और फल खाने को दिए जाते थे। जनवरी महीने के अंत में अमेरिका में प्रवेश करते समय उसके पास जरूरी दस्तावेज नहीं थे, जिस कारण उसे अमेरिकी पुलिस ने पकड़ लिया। तरणवीर के पिता किसान हैं। वह गांव के सरपंच भी रह चुके हैं। तरणवीर के करीबी बताते हैं कि जब से वह घर आया है तब से काफी घबराया हुआ है। इस कारण वह अभी किसी से कोई बातचीत भी नहीं कर रहा है। मोहाली के डेराबस्सी के गांव जड़ौत के रहने वाले जसविंदर सिंह का बेटा गुरप्रीत सिंह और उसकी पत्नी घर पहुंच गए हैं। पिता जसविंदर का कहना है कि इस घटना से दोनों डिप्रेशन में हैं, कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं। उन्होंने बताया है कि वे फरवरी में अमेरिका पहुंचे थे। आखिरी बार 5 फरवरी को उनकी बातचीत बेटे-बहू से हुई थी। इसके बाद कल मीडिया से पता चला कि बेटा और बहू वापस आ रहे हैं। इसके बाद वे खुद अमृतसर एयरपोर्ट गए और बेटे-बहू को साथ लेकर आए। जसविंदर थानेदार हैं। उन्होंने बताया है कि परिवार में 2 बेटे हैं। बड़े बेटे गुरप्रीत सिंह का करीब 5 साल पहले हरियाणा के शहजादपुर की रहने वाली अमनप्रीत कौर के साथ विवाह हुआ था। गांव में 2 मंजिला पक्का मकान है। दोनों करीब 8 महीने पहले अमेरिका गए थे। परिवार का कहना है कि इन्हें अमेरिका भेजने के लिए हमने कर्ज लिया था। कई मुल्कों से होते हुए वे अमेरिका पहुंचे थे। एक बेहतर जिंदगी की लालसा में उन्हें विदेश भेजा था। अमेरिका से डिपोर्ट लोगों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीर बांधी गई थी। यह दावा होशियारपुर के गांव कुराला के रहने वाले दलजीत सिंह ने किया है। वे भी उस विमान से भारत लाए गए हैं। उन्होंने बताया कि वे ट्रैवल एजेंट की ठगी का शिकार हुए हैं। दलजीत की पत्नी बताती हैं कि करीब 3 साल पहले पति अमेरिका जाने के लिए निकले थे। सोचा था कि वहां पहुंचते ही दिन अच्छे हो जाएंगे, लेकिन वह समय मुसीबतों से कम नहीं था। अमेरिका भेजने के लिए एजेंट से 40 लाख में सौदा किया था। एजेंट ने करीब 5 एकड़ जमीन भी अपने नाम करवा ली। पति दलजीत एक महीना पहले ही अमेरिका पहुंचे थे। फिर वापस आने की सूचना मिली। उन्होंने बताया कि गांव के एक व्यक्ति के जरिए उन्होंने ट्रैवल एजेंट से संपर्क किया था। एजेंट ने उन्हें कानूनी रूप से अमेरिका ले जाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में उन्हें कई स्थानों से ले जाया गया, जिससे उनकी यात्रा की वैधता पर संदेह पैदा हो गया।

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