Monday, July 21, 2025
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अमेरिका में वोटिंग के लिए नागरिकता का प्रमाण देना जरूरी:ट्रम्प ने आदेश जारी किया; विदेशी नागरिकों से चंदे पर रोक लगाई

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने मंगलवार को चुनावी प्रकिया में बदलाव से जुड़े एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए। इसके तहत अमेरिकी नागरिकों को वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का प्रमाण देना होगा। ट्रम्प ने यह आदेश चुनाव में धोखाधड़ी रोकने के लिए दिया है। ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक इसका मकसद मतदाता सूची में अवैध रूप से शामिल अप्रवासियों पर नकेल कसना है। डोनाल्ड ट्रम्प ने 2020 के चुनाव में अपनी हार के पीछे फर्जी मतदान को वजह बताया था। हालांकि ट्रम्प के इस आदेश को राज्यों ने कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर ली है। ट्रम्प ने मंगलवार को आदेश पर साइन करते हुए कहा- ‘चुनावी धोखाधड़ी’। आपने यह शब्द सुना होगा। मैं इसे खत्म करने जा रहा हूं। एग्जीक्यूटिव ऑर्डर में यह कहा गया है कि अमेरिका जरूरी चुनाव सुरक्षा लागू करने में असफल रहा है। इसमें राज्यों को व्हाइट हाउस के साथ सहयोग करने को कहा गया है। अगर कोई राज्य इसमें मदद नहीं करते हैं तो उन्हें संघ से मिलने वाली फंडिंग रुक सकती है। वोटिंग के लिए राज्यों में नियम अलग-अलग अमेरिका में वोटिंग को लेकर कोई एकसमान नियम नहीं है। हर राज्य के अपने अलग कानून हैं। टेक्सास, जॉर्जिया और इंडियाना जैसे राज्यों में वोटिंग की प्रक्रिया बेहद सख्त है। यहां पर वोट डालने के लिए फोटो आईडी (जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट) दिखाना जरूरी है। वहीं, कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क और इलिनॉय जैसे राज्यों में वोटिंग को लेकर उतने सख्त नहीं हैं। इन राज्यों में नाम और पता बताकर या फिर कोई दस्तावेज जैसे कि बिजली का बिल दिखाकर वोटिंग की जा सकती है। इसके अलावा मिशिगन जैसे राज्यों में वोट डालने के दौरान फोटो आईडी मांगी जाती है। अगर किसी के पास यह नहीं है तो वह एक हलफनामा साइन कर वोटिंग कर सकता है।
वोटिंग को लेकर इन राज्यों में इतना अंतर क्यों है?
यह अंतर राजनीतिक और ऐतिहासिक कारणों से है। कुछ लोग कहते हैं कि वोटर आईडी से धोखाधड़ी रुकती है, जबकि कुछ का मानना है कि इससे गरीब या अल्पसंख्यक वोटर को परेशानी होती है। यह बहस सालों से चल रही है। विदेशी नागरिकों के चंदा देने पर रोक इस कार्यकारी आदेश के तहत अमेरिकी चुनावों में विदेशी नागरिकों द्वारा चंदा देने पर कड़ी पाबंदी लगाई गई है। पिछले कुछ सालों में विदेशी नागरिकों से मिलने वाला चंदा अमेरिकी चुनावों में बड़ा मुद्दा बना है। इसकी एक बड़ी वजह स्विस अरबपति हैंसयोर्ग वीस भी हैं, जिन्होंने अमेरिका में सैकड़ों मिलियन डॉलर का चंदा दिया है। वीस के समर्थ वाले एक संगठन सिक्सटीन थर्टी फंड ने ओहायो के संविधान में गर्भपात सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए 3.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दान दिया था। हाल ही में, कंसास ने भी इसी तरह का एक विधेयक पारित किया है, जिसमें विदेशी नागरिकों, कंपनियों, सरकारों या राजनीतिक दलों द्वारा राज्य के संवैधानिक संशोधनों के पक्ष या विरोध में अभियान चलाने के लिए चंदा देने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

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