अमेरिका में टिकटॉक पर बैन लगभग तय:फेडरल कोर्ट ने पेरेंट कंपनी बाइटडांस की हिस्सेदारी बेचने को कहा, भारत में 2020 से प्रतिबंधित है ऐप
चाइनीज शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक (TikTok) पर अमेरिका में बैन लगना लगभग तय हो गया है। कोर्ट ने टिकटॉक को 19 जनवरी तक अपनी पेरेंट कंपनी बाइटडांस की हिस्सेदारी बेचने के लिए कहा है, नहीं तो ऐप को अमेरिका में बैन कर दिया जाएगा। यूएस की एक फेडरल कोर्ट ने शुक्रवार को ऐप की ‘फ्री स्पीच’ वाली अपील को खारिज कर दिया है। तीन जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए बाइटडांस के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि अमेरिका का कोई भी कानून किसी भी तरह ‘फ्री स्पीच’ को नहीं रोकता है। न्यायाधीश डगलस गिन्सबर्ग ने फैसले में लिखा- ‘अमेरिका में फ्री स्पीच की रक्षा करने के लिए पहला संविधान संशोधन मौजूद है। सरकार ने दुश्मन देश से फ्री स्पीच की रक्षा की है। अमेरिका ने विरोधी देश को अमेरिकी लोगों का डेटा इकट्ठा करने से रोका है।’ भारत सरकार जून-2020 में और ब्रिटेन सरकार मार्च-2023 में चाइनीज शॉर्ट वीडियो ऐप को बैन कर चुकी है। इसके अलावा पाकिस्तान, नेपाल और अफगानिस्तान सहित करीब 50 देशों ने भी टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा रखा है। क्या है मामला? क्या हैं विकल्प?
सुप्रीम कोर्ट जा सकती हैं कंपनियां – बाइटडांस और टिकटॉक सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दे सकती हैं, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि अदालत इस मामले को उठाएगी या नहीं। कंपनियों ने मामले को हायर कोर्ट में ले जाने के इरादे की पुष्टि कर चुकी हैं, उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास ‘अमेरिकियों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करने का एक स्थापित ऐतिहासिक रिकॉर्ड है।’ नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रोक सकते हैं बैन – अगर 19 जनवरी को टिकटॉक पर बैन लगता है तो इसे रोका जा सकता है। क्योंकि, 20 जनवरी को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ लेंगे और माना जा रहा है कि ट्रंप टिकटॉक के बैन का विरोध कर सकते हैं। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान टिकटॉक के बचाव की बात कही थी। हालांकि ऐसा करना कानूनी तौर पर संभव नहीं माना जा रहा है। एक विकल्प यह है कि ट्रंप इस कानून को वापस लेने के लिए कांग्रेस को भी कह सकते हैं, जिसमें रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन चाहिए होगा। टिकटॉक ने 2022 में बाइडेन प्रशासन के सामने एक समझौते का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन प्रशासन का मानना है कि इसके पालन में तकनीकी चुनौतियां हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का रुख नई जानकारियां मिलने के बाद बदल भी सकता है। ऐप पर बैन का असर क्या होगा? भारत में टिकटॉक सहित 500 से ज्यादा ऐप पर बैन
भारत में जून 2020 में टिकटॉक ऐप को बैन कर दिया गया था। भारत सरकार ने चीनी ऐप्स को देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। भारत-चीन सीमा पर सैन्य झड़प के बाद भारत ने टिकटॉक सहित 59 चीनी ऐप्स पर बैन लगाया था। बैन से कुछ महीने पहले, भारत ने चाइनीज कंपनियों के निवेश पर भी प्रतिबंध लगाया था। भारत में अब तक 500 से ज्यादा चाइनीज ऐप्स पर प्रतिबंध लग चुका है। चाइनीज कंपनी के वीडियो ऐप टिकटॉप पर पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देने के आरोप थे। इसके अलावा उस पर भारतीयों का डेटा चोरी करने के आरोप का भी सामना करना पड़ा था। सबसे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने इस पर बैन लगाया था। हाईकोर्ट से बैन होने के बाद बाइटडांस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उसने भी मद्रास हाईकोर्ट का ऑर्डर बहाल रखा था। भारत में बैन की वजह से इसकी पेरेंट कंपनी बाइटडांस को रोज 5 लाख डॉलर (3.50 करोड़ रुपए) का नुकसान हो रहा है। मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि टिकटॉक की डाउनलोडिंग पर रोक लगाई जाए, इससे पोर्नोग्राफी को बढ़ावा मिल रहा है। इसके बाद सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एपल को गूगल को अपने ऑनलाइन स्टोर से टिकटॉक हटाने के लिए कहा था। दोनों कंपनियों ने ऐप हटा दिया। उस वक्त देश में टिकटॉक के 24 करोड़ यूजर थे। टिकटॉक ने क्या कहा था
बैन के वक्त टिकटॉक इंडिया के CEO निखिल गांधी ने कहा था- हम भारतीय कानून का पालन कर रहे हैं। हम भारतीय कानून के तहत डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। हमने चीन समेत किसी भी विदेशी सरकार के साथ भारतीय यूजर्स की जानकारी शेयर नहीं की है। अगर भविष्य में भी हमसे अनुरोध किया जाता है तो हम ऐसा नहीं करेंगे। हम यूजर की निजता की अहमियत समझते हैं। भारत में चीन के ऐप्स पर बैन कैसे लगा था
साल 2000 में बने IT कानून में एक धारा है- 69A। यह धारा कहती है कि देश की सम्प्रभुता, सुरक्षा और एकता के हित में अगर सरकार को लगता है, तो वह किसी भी कम्प्यूटर रिसोर्स को आम लोगों के लिए ब्लॉक कर देने का ऑर्डर दे सकती है। यह धारा कहती है कि अगर सरकार का ऑर्डर नहीं माना गया, तो सात साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।