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अमेरिका ने 3 भारतीय कर्मचारियों का H-1B वीजा रद्द किया:अबू धाबी एयरपोर्ट से वापस भेजा, अनुमति से ज्यादा समय के लिए भारत में रुके थे

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अबू धाबी एयरपोर्ट पर अमेरिका में H-1B वीजा पर काम करने वाले तीन भारतीयों को US में एंट्री से रोक दिया गया। साथ ही अमेरिकी अधिकारियों ने उनके H-1B वीजा रद्द भी कर दिए। इन लोगों ने भारत में अनुमति से ज्यादा समय बिताया था। एक कर्मचारी लगभग तीन महीने तक भारत में रहा, जबकि अन्य ने तीन महीने से ज्यादा समय तक ओवर-स्टे किया। इन भारतीय नागरिकों के पास ओवर-स्टे को जस्टिफाई करने के लिए इमरजेंसी प्रूफ और एम्प्लॉयर्स की ओर से जारी किया गया लेटर भी था, लेकिन फिर भी अधिकारियों ने उन्हें भारत लौटने को कहा। प्रभावित कर्मचारी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया तीनों में से एक प्रभावित कर्मचारी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया, जो वायरल हो रहा है। इस पोस्ट में प्रभावित कर्मचारी ने लिखा, ‘अबू धाबी में हमें अमेरिकी इमिग्रेशन में भारी परेशानी हुई। हम तीन लोगों के H-1B वीजा रद्द कर दिए गए, क्योंकि हम भारत में दो महीने से ज्यादा रुके थे। अटॉर्नी ने एंट्री से इनकार कर दिया और 41.122(h)(3) सील के अनुसार कारण बताते हुए वीजा पर कैंसिल सील लगा दी और हमें भारत वापस भेज दिया।’ इमरजेंसी प्रूफ-अप्रूवल ईमेल के बावजूद वीजा रद्द किए कर्मचारी ने यह भी बताया कि इमरजेंसी प्रूफ और कंपनी के अप्रूवल ईमेल को दिखाने के बावजूद, अबू धाबी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अमेरिकी कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) ने उनके वीजा रद्द कर दिए। H-1B वीजा धारकों के लिए अमेरिका से बाहर अधिकतम 60 दिन रुकने की अनुमति है, वो भी ‘वैलिड रीजन’ के साथ। हालांकि, वीजा रद्द होने से बचने के लिए 30-40 दिन से ज्यादा नहीं रुकना चाहिए। अबू धाबी में प्री-क्लियरेंस सुविधा दरअसल, अबू धाबी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर US कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) प्रीक्लियरेंस सुविधा है। इसका मतलब है कि यात्रियों को अमेरिका के लिए अपनी फ्लाइट पर जाने से पहले ही US के इमिग्रेशन और कस्टम्स चेक्स से गुजरना पड़ता है। इस सुविधा की वजह से कई बार सख्ती देखने को मिलती है। H-1B वीजा क्या है? H-1B एक नॉन इमिग्रेंट यानी गैर-आप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को अस्थायी रूप से नौकरी देने की अनुमति देता है। यह इंजीनियरिंग, आईटी, मेडिसिन और बिजनेस जैसे सेक्टर्स में लागू होता है। इस वीजा के लिए कंपनी को कर्मचारी को स्पॉन्सर करना होता है और अमेरिकी सरकार को आवेदन देना पड़ता है। आमतौर पर यह वीजा छह साल के लिए वैध होता है, लेकिन कंपनी की याचिका पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है।

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