Wednesday, July 9, 2025
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‘अनुवाद शब्दों का होता है, ख्यालों का नहीं’:बुक लॉन्च इवेंट में गुलजार साहब बोले- भाषा चाहे जो हो, विषय का मर्म नहीं बदलना चाहिए

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ज्ञानपीठ से लेकर ऑस्कर सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार विजेता लेखक-शायर गुलजार का जीवन अनेक रंगों से भरा है। मौका था, किताब ‘धूप आने दो’ के अंग्रेजी संस्करण लॉन्च का। गुलजार साहब ने इस समारोह में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। किताब ‘धूप आने दो’ एक तरह से उनकी आत्मकथा मानी जा सकती है। इस किताब के पन्ने उनके जीवन के अनुभवों और घटनाओं से भरे हुए हैं। मूल रूप से मराठी भाषा में लिखी इस किताब को अंग्रेजी में अनुवादित किया गया है। मशहूर लेखक अंबरीश मिश्रा ने इसका अंग्रेजी अनुवाद किया है। मराठी पत्रिका के लिए लिखते थे गुलजार साहब, वहां लिखे अध्यायों को एक किताब में संजोया गया
अंबरीश मिश्रा ने इस किताब के उद्भव पर बात की। उन्होंने कहा, ‘मराठी भाषा में त्योहारों के समय कई विशेषांक निकलते थे। उसमें दीपावली के मौके पर एक पत्रिका निकलती थी, ऋतुरंग। इस पत्रिका के लिए गुलजार साहब ने 33 साल तक लिखा है। इसके लिए वे हर साल एक निबंध लिखते थे। इसके अलावा वे और भी बहुत सारी निजी और सामाजिक घटनाओं के बारे में अपने विचार लिखते थे। वे ऋतुरंग के संपादक के साथ उर्दू में बातचीत करते थे। उनकी बातों का मराठी में अनुवाद किया जाता था। अब उसे अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया गया है, जिसकी जिम्मेदारी मैंने निभाई है। अंबरीश ने यह भी कहा, ‘आज इस बुक लॉन्च को लेकर मैं काफी एक्साइटेड हूं। वैसे तो अंग्रेजी भाषा में लिखने में मुझे उतना आनंद नहीं आता, लेकिन गुलजार साहब के साथ काम करके बहुत अच्छा लगा। उन्होंने एक-एक शब्दों को तौलकर इस बुक में रखा है।’ भाषा जो भी, मर्म नहीं बदलना चाहिए
गुलजार साहब ने कहा कि अनुवाद सिर्फ शब्दों का होता है, ख्यालों का नहीं। लोग यह चीज समझने में भूल करते हैं। भाषा जहां चाहे जो भी हो, मर्म नहीं बदलना चाहिए। बंटवारा जमीन का होता है, लोगों का नहीं
गुलजार साहब ने बंटवारे के वक्त जो दंश झेला, इस किताब में उसका भी जिक्र है। उन्होंने कहा, ‘बंटवारे का जो दर्द है, वो मैंने झेला है। बंटवारा कभी नहीं होना चाहिए। हालांकि एक बात मैं आपको बता दूं, बंटवारा हमेशा जमीन का होता है, लोगों का नहीं। आज के वक्त में इसकी बात न हो, वही अच्छा है। गुलजार साहब ने कहा कि इस किताब में उनसे जुड़ी हुई बहुत सारी घटनाएं हैं, इसमें वे किसी एक को विशेष दर्जा नहीं दे सकते। यह किताब दिल से लिखी गई है। इस किताब के अंदर कुछ दुर्लभ तस्वीरें भी हैं, जो गुलजार साहब की जीवन यात्रा दर्शाती हैं। इसमें ऐसे कई वाकये हैं, जिसने कहीं न कहीं गुलजार साहब के जीवन में एक आमूलचूल परिवर्तन किया है।

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